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बिहार में प्ले स्कूल की तर्ज पर बनेगा आंगनबाड़ी केंद्र, जानें किन जिलों में शुरू होगा पायलट प्रोजेक्ट

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पहले चरण में पायलट प्रोजेक्ट के तहत पटना, गया, भोजपुर, बेगूसराय एवं किशनगंज में काम होगा. इन जिलों में 30-30 केंद्रों को विकसित किया जायेगा, जिसमें बच्चों की उपलब्धता और उनकी बढ़ती रूचि का आकलन सेविका-सहायिका करेंगी.

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पटना. राज्य में आंगनबाड़ी केंद्रों के प्रति बच्चों का लगाम बढ़ाने के लिये इन्हें प्ले स्कूल की तर्ज पर विकसित करने का निर्णय लिया गया है. पहले चरण में पायलट प्रोजेक्ट के तहत पटना, गया, भोजपुर, बेगूसराय एवं किशनगंज में काम होगा. इन जिलों में 30-30 केंद्रों को विकसित किया जायेगा, जिसमें बच्चों की उपलब्धता और उनकी बढ़ती रूचि का आकलन सेविका-सहायिका करेंगी. बच्चों की संख्या बढ़ने के बाद पायलट प्रोजेक्ट को अन्य जिलों में भी शुरू किया जायेगा.

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अधिकारी दूसरे राज्यों के आंगनबाड़ी केंद्रों से भी जुटा रहे हैं रिपोर्ट

समाज कल्याण विभाग के अधिकारी कुछ माह पूर्व दूसरे राज्यों में आंगनबाड़ी केंद्रों को देखने गये थे. जिसके बाद उन्होंने अपनी रिपोर्ट विभाग को सौंपा था. इसी रिपोर्ट के आधार पर यह निर्णय लिया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक हर केंद्र को प्ले स्कूल की तर्ज पर साफ-सुथरा रखा जायेगा. पोषाहार के लिये अलग से जगह चिन्हित होंगे. जहां बच्चे आराम से बैठकर भोजन कर सकें.

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शौचालय व पानी की शुद्धता का रखा जायेगा पूरा ध्यान

आंगनबाड़ी केंद्रों को विकसित करने के दौरान बच्चों के लिये शौचालय और पानी की शुद्धता का पूरा ख्यान रखा जायेगा. बच्चों को साफ पानी मिले. इसके लिये हर घर नल का जल योजना से जोड़ा जायेगा और पानी की शुद्धता की जांच हर तीन माह पर होगी.

स्कूल की दीवारें होंगी रंगीन

आंगनबाड़ी केंद्रों की दीवारों को रंगीन किया जायेगा. जहां बच्चों के लिये उनकी रूचि के अनुसार फल-सब्जियों व जानवरों की तस्वीर बनायी जायेगी, ताकि बच्चों को पढ़ाने व पढ़ाने में दिक्कत नहीं हो.

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20 रूपये में बोरा बेचेंगे बिहार के सरकारी स्कूल के हेडमास्टर

इधर, बिहार के सरकारी स्कूलों के हेडमास्टरों को नया टास्क मिला है. 20 रूपये प्रति बोरा के हिसाब से बोरा बेचने का. बोरा न सिर्फ बेचना है बल्कि उस पैसे को बड़े जतन को सरकारी खाते में जमा कराना भी है. हेडमास्टर पैसे को जिला में भेजेंगे और फिर जिला स्तर पर सारे पैसे को सरकारी खजाने में जमा कराया जायेगा. राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने ये फरमान जारी किया है. हेडमास्टर बोरा बेच रहे हैं या नहीं इसकी निगरानी भी की जायेगी.

मिड डे मिल का बोरा बेचने का टास्क

वैसे शिक्षा विभाग ने पहले हेडमास्टर को बोरा बेचने का काम दिया था. दरअसल राज्य के हर स्कूल में मिड डे मिल के लिए अनाज जाता है. अनाज जिस बोरे में रख कर भेजा जाता है उसे हेडमास्टर को बेचने का टास्क दिया गया है. राज्य सरकार ने पहले कहा था कि मिड डे मिल के खाली बोरे को 10 रूपये के हिसाब से बेचना है. लेकिन अब सरकार को लग रहा है कि बोरे की कीमत बढ़ गयी है. लिहाजा हेडमास्टर को 20 रूपये में एक बोरा बेचने का निर्देश दिया गया है.

पहले 10 रूपये में बेचने का था निर्देश

इस संबंध में शिक्षा विभाग के निदेशक मिथिलेश मिश्रा ने सभी जिलों को पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि पहले निदेश दिया गया था कि मध्याहन भोजन योजना अन्तर्गत आपूर्ति किये गये खाद्यान्न के खाली गनी बैग(बोरा) को 10 रूपये की दर से बिक्री किया जाये, लेकिन बोरा का ये रेट 2016 में निर्धारित किया गया था. तब से अबतक गनी बैग (बोरा) की दर में वृद्धि हुई है. अतः उक्त के आलोक में सम्यक विचारोपरान्त निर्णय लिया गया है कि उपयोग किये गये प्रति गनी बैग (बोरा) को न्यूनतम 20 रूपये की दर से बिक्री किया जाय.

कोषागार में जमा होगा पैसा

राज्य सरकार के पत्र में कहा गया है कि प्रधानाध्यापक के द्वारा गनी बैग (बोरा) बिक्री के उपरान्त प्राप्त राशि को जिलों में संचालित राज्य योजना मद के तहत खोले गये बैंक खाते में जमा करेंगे. गनी बैग से प्राप्त विद्यालयवार राशि को जिला कार्यालय के द्वारा एकत्रित कर समेकित रूप से चेक के माध्यम से सम्पूर्ण राशि को कोषागार द्वारा चालान पारित कराकर जमा किया जायेगा. सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को कहा गया है कि वे अभी से ही खाली गनी बैग (बोरा) को बिक्री कराने के लिए अपने स्तर से सभी संबंधित को निदेश देना सुनिश्चित करें.

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