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बिहार में विश्वविद्यालयों के अधिकारियों की नियुक्ति अधिनियम में संशोधन, सरकार ने जारी किया गजट

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प्रदेश के विश्वविद्यालयों में अब कुलपति/प्रतिकुलपति/ कुलसचिव/विभागाध्यक्ष/ अंगीभूत कॉलेजों के प्राचार्य के अलावा शेष सभी पदाधिकारियों मसलन परीक्षा कंट्रोलर, प्रोक्टर, कॉलेजों के लिए निरीक्षक, विश्वविद्यालय अभियंता,वित्तीय सलाहकार, वित्त अफसर, डीन स्टूडेंट वेलफेयर एवं डेवलपमेंट काे-ऑर्डिनेटर आदि की नियुक्ति विश्वविद्यालय की एक उच्च अधिकार प्राप्त समिति करेगी.

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पटना. प्रदेश के विश्वविद्यालयों में अब कुलपति/प्रतिकुलपति/ कुलसचिव/विभागाध्यक्ष/ अंगीभूत कॉलेजों के प्राचार्य के अलावा शेष सभी पदाधिकारियों मसलन परीक्षा कंट्रोलर, प्रोक्टर, कॉलेजों के लिए निरीक्षक, विश्वविद्यालय अभियंता,वित्तीय सलाहकार, वित्त अफसर, डीन स्टूडेंट वेलफेयर एवं डेवलपमेंट काे-ऑर्डिनेटर आदि की नियुक्ति विश्वविद्यालय की एक उच्च अधिकार प्राप्त समिति करेगी.

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सरकार ने इसे आशय की अधिसूचना का गजट प्रकाशन कर दिया है. दरअसल विश्वविद्यालयों के पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए अब तक किसी भी प्रकार की नियमावली नहीं थी. मात्र कुलपति की अनुशंसा पर यह नियुक्तियां हो जाया करती थीं. दरअसल इन संबंधित पदों पर विश्वविद्यालय अपने हिसाब से फैसला लेता था. लिहाजा सरकार ने इस मामले में जरूरी संशोधन कर नियमावली बनायी है.

विश्वविद्यालय पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए गठित समिति की अध्यक्षता पदेन कुलपति करेंगे. बतौर सदस्य कुलाधिपति और सरकार की तरफ से मनोनीत सदस्य, अकादमिक काउंसिल की तरफ से दस नामों के पैनल में से तीन विशेषज्ञ भी समिति के सदस्य होंगे. हालांकि, यह सदस्य संबंधित विश्वविद्यालय के नहीं होंगे.

इन तीन सदस्यों में से एक अनुसूचित जाति या जनजाति वर्ग के होंगे और शेष दो सदस्य राज्य के बाहर के होंगे. इसके अलावा समिति में अनुशासन से संबंधित विभागाध्यक्ष होंगे. इस संदर्भ में विशेष व्यवस्था यह है कि चयन समिति में महिला एवं अतिपिछड़ा का प्रतिनिधि नहीं हो तो राज्य सरकार यथा स्थिति में महिला अथवा अतिपिछड़ा वर्ग या दोनों के अतिरिक्त सदस्यों का मनोनयन कर सकेगी.

कुलपति के अधिकारों में कटौती का अंदेशा!

विश्वविद्यालय शिक्षा से जुड़े जानकारों के मुताबिक एक तरह से यह कुलपति के अधिकारों में कटौती का मामला है. यह उच्चाधिकार समिति में सर्वसम्मति से फैसला लेना होगा. विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की समिति तमाम दबावों में काम कर सकती है. हालांकि कुछ एक जानकारों का भी यह कहना है कि सरकार के इस फैसले से लोकतांत्रिक ढंग से लिये जा सकेंगे. फिलहाल सरकार के बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम एवं पटना विश्वविद्यालय अधिनियम में बदलाव का फैसला काफी अहम माना जा रहा है.

Posted by Ashish Jha

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