24.8 C
Ranchi
Thursday, March 6, 2025 | 11:53 am
24.8 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

15 August: सुभाष चंद्र बोस की टीम में रहीं बिहार की भारती चौधरी, 17 साल की उम्र में मां ने पहना दी वर्दी

Advertisement

आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हिंदुस्तान को गुलामी की बेड़ी से बाहर निकाले में जिन रणबांकुरों की भूमिका रही. उनमें एक हैं भागलपुर की भारती चौधरी. जिन्होंने बेहद कम उम्र में सुभाष चंद्र बोस की टीम को ज्वाइन किया था.

Audio Book

ऑडियो सुनें

भारत आज आजाद है. देश में रहने वाले किसी भी व्यक्ति के हाथ व पांव गुलामी की जंजीरों से नहीं बंधे हैं. भारत आज यानी 15 अगस्त 2022 को आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. लेकिन 75 साल पहले का भारत बेहद अलग था. ब्रिटिश हुकूमत के आगे सांस भी खुलकर लेने की आजादी हिंदुस्तानियों को नहीं थी. लेकिन तब भी देश को आजाद कराने अनेकों रणबांकुरे अपना सर्वस्व न्योछावर कर आजादी की जंग में शामिल हो गये और आजादी लेकर ही माने.

अंग्रेजों से लड़ने वाले कई रणबांकुरे आज भी हमारे बीच

आज जब देश आजादी का 75वां वर्षगांठ मना रहा है तो उस समय जरुरी है विशेष रुप से उन रणबांकुरों को याद करना जिन्होंने तब जान की बाजी लगाकर और ब्रिटिश यातनाओं को झेलकर इस आजादी में अपनी बड़ी भूमिका निभाई. ऐसे कई रणबांकुरे आज भी हमारे बीच हैं. बिहार के भागलपुर में आज भी आजादी के कई ऐसे दिवाने हैं जो उन दिनों अंग्रेजों से लड़ा करते थे. इनमें महिलाएं भी शामिल हैं.

भागलपुर की भारती चौधरी को मां ने यूनिफॉर्म पहनाया

नाथनगर में स्वतंत्रता सेनानियों की बड़ी संख्या है. यहां के लोगों ने देश को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभायी थी. आजादी के बाद भारत के राजदूत रहे पुरानी सराय के आनंद मोहन सहाय व उनकी बेटी भारती चौधरी उर्फ आशा सेन की हिम्मत व जज्बे से अंग्रेजों के होश ठिकाने आ गये थे. दो फरवरी 1932 को कोबे (जापान) में जन्मीं स्वतंत्रता सेनानी भारती चौधरी उर्फ आशा सेन को मां ने यूनिफॉर्म पहना दिया और देश के लिए लड़ने को भेज दिया .

Also Read: 15 August: बिहार के 105 वर्षीय मालेश्वर मंडल, जब मैट्रिक परीक्षा देने के दौरान अंग्रेजों ने खदेड़ा…
17 वर्ष की उम्र में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के साथ मैदान में

1944 में आशा सेन 17 वर्ष की उम्र में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के नेतृत्व में गठित आजाद हिंद फौज की सहयोगी रेजिमेंट रानी झांसी रेजिमेंट में शामिल हुई थीं. 1944 में आशा जी को रानी झांसी रेजिमेंट में शामिल कर लिया गया. उसके बाद बैंकाक में उन्हें नौ माह की युद्ध संबंधी कड़ी ट्रेनिंग दिलायी गयी. इसमें राइफल चलाना, एंटी एयर क्राफ्ट गन चलाना, युद्ध के तरीके, गुरिल्ला युद्ध की बारीकियां का प्रशिक्षण दिया गया.

सिंगापुर, मलेशिया व वर्मा के युद्ध मैदान में सक्रिय रहीं

देश को आजादी दिलाने के लिए ब्रिटिश फौज से युद्ध के दौरान वह सिंगापुर, मलेशिया व वर्मा के युद्ध मैदान में सक्रिय रहीं. इस दौरान उन्हें कई सप्ताह तक रेजिमेंट की नायक कर्नल लक्ष्मी सहगल के नेतृत्व में वर्मा के घने जंगल में रहना पड़ा.

अंधाधुंध बम बरसता रहा…

भारतीय सेना को मणिपुर की ओर आगे बढ़ते देख हतप्रभ ब्रिटिश सेना ने सेना पर लड़ाकू विमान से अंधाधुंध बम बरसाना शुरू कर दिया. छिपने के ठिकाने, पेड़-पौधे जला डाले गये. कई सिपाही हताहत हो गये. कई महिला सिपाही भी गंभीर रूप से जख्मी हो गयी. उन सबों को अस्पताल पहुंचाया. यह आपातकालीन प्रशिक्षण था.

Posted By: Thakur Shaktilochan

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें
Home होम Videos वीडियो
News Snaps NewsSnap
News Reels News Reels Your City आप का शहर