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WB News : बंगाल टीम से इंडिया टीम में शामिल हुए आकाशदीप रांची में रच रहे इतिहास

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2016 में आकाशदीप दिल्ली और फिर कोलकाता चले गए, जहां उन्हें यूनाइटेड क्लब और मोहन बागान एथलेटिक क्लब के लिए खेलने के लिए चुना गया. बाद में, आकाशदीप ने बंगाल अंडर-23 टीम का प्रतिनिधित्व किया और काफी अच्छा प्रदर्शन किया. इंडिया टीम में आकाशदीप के शामिल होने से परिवार समेत दुर्गापुर में उनको जानने वाले काफी खुश है.

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दुर्गापुर,मुकेश तिवारी : पश्चिम बंगाल क्रिकेट टीम से अब इंडिया टीम में शामिल हुए क्रिकेटर आकाशदीप (Cricketer Akashdeep) झारखंड के रांची में इंग्लैंड के खिलाफ भारत की ओर से क्रिकेट खेलते हुए इतिहास रच रहे है. झारखंड के रांची के रहने वाले क्रिकेटर व पूर्व विश्व कप विजेता कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की तरह ही क्रिकेट में आए हाल ही में टीम इंडिया की जर्सी पहने आकाशदीप ने शाही मूड में अपना टेस्ट डेब्यू किया है. आकाशदीप ने कैप्टन कूल के होम ग्राउंड रांची के जेएससीए स्टेडियम में इंग्लिश बल्लेबाजों को अपनी बोलिंग के मार्फत समझा दिया है. हालांकि धोनी और आकाशदीप दोनों में दो समानताएं हैं. दोनों के उत्थान में टेनिस बॉल से खेला जाने वाला खेल रहा है. ये दोनों आसनसोल और कोलकाता में अलग-अलग जगहों पर टेनिस बॉल से क्रिकेट खेलते थे और पुराने और नए दोनों के उत्थान में एक और ‘सामान्य’ योगदान है. वह एकमात्र सौरभ गांगुली हैं.

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रणजी ट्रॉफी में दम दिखाने के बाद आकाश दीप को भारत की टीम में मौका मिला

रणजी ट्रॉफी में दम दिखाने के बाद आकाश दीप को भारत की टीम में मौका मिला. बिहार से आये आकाशदीप ने टेस्ट मैच में इंडिया टीम की जर्सी पहन ली है. इंग्लैंड के खिलाफ उनका प्रदर्शन सभी ने देखा है. स्वाभाविक रूप से, सौरीश लाहिड़ी अपने प्रिय छात्र की सफलता से उत्साहित है. उन्होंने एक मिडिया साक्षात में बताया है की, यह 2017-18 सीजन की बात है.’ मैं उस समय अंडर-23 बंगाल टीम का कोच था. आकाशदीप मुझे मैदान के आसपास मिला. मैं पहली नजर में ही उस पर मोहित हो गया था. मैं रेंजर्स ग्राउंड पर सीएबी सेकेंड डिवीजन मैच देख रहा था. जब दूसरे गेंदबाज ने विकेट पर गेंद फेंकी तो विकेटकीपर ने विकेट से 10 गज दूर खड़े होकर गेंद पकड़ी, लेकिन आकाशदीप के मामले में विकेट कीपर लगभग 30-35 गज दूर खड़ा था. यह देखकर मैंने मैदान से ही सौरभ गंगोपाध्याय (दादा) को फोन किया था. मैंने स्पष्ट रूप से कहा था, ‘इस लड़के को एक मौका दीजिए. कई वर्षों तक बंगाल को सेवा देगा. इस तरह आकाशदीप की जर्नी शुरू हुई.

2010 में दुर्गापुर आने के बाद क्रिकेट एकेडमी ज्वाइन की

2010 में दुर्गापुर आने के बाद वहां अपने चाचा के सपोर्ट से उन्होंने एक क्रिकेट एकेडमी ज्वाइन की. अकाश तेज़ गेंदबाज़ी के लिए मशहूर होना शुरू हुए थे कि दिल का दौरा पड़ने से उनका पिता की मृत्यु हो गई .2015 तक वह एक अच्छी गति वाले तेज गेंदबाज बन गए. हालांकि, 16 साल की उम्र में उनके सर से पिता का साया उठ गया, जिसके बाद से परिवार की जिम्मेदारी आकाशदीप पर आ गई. 6 महीन के अंदर ही आकाश दीप के भाई की भी मौत हो गई. घर में आचानक दो मौतों के बाद, आकाश दीप की मां उन्हें वापस कोलकाता नहीं भेजना चाहती थी. हालांकि, आकाश के करीबी दोस्त वैभव ने उनकी मां को मनाया. जिसके बाद 2016 में वह दिल्ली और फिर कोलकाता चले गए, जहां उन्हें यूनाइटेड क्लब और मोहन बागान एथलेटिक क्लब के लिए खेलने के लिए चुना गया. बाद में, आकाशदीप ने बंगाल अंडर-23 टीम का प्रतिनिधित्व किया और काफी अच्छा प्रदर्शन किया. इंडिया टीम में आकाशदीप के शामिल होने से परिवार समेत दुर्गापुर में उनको जानने वाले काफी खुश है.

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