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इस फर्स्ट क्लास दिग्गज क्रिकेटर का हुआ निधन, रणजी ट्रॉफी में है सर्वाधिक विकेट लेने का रिकॉर्ड

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रणजी ट्रॉफी में सर्वाधिक विकेट लेने वाले अपने जमाने के दिग्गज स्पिनर राजिंदर गोयल का उम्र संबंधी बीमारियों के कारण रविवार को रोहतक में निधन हो गया.

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रणजी ट्रॉफी में सर्वाधिक विकेट लेने वाले अपने जमाने के दिग्गज स्पिनर राजिंदर गोयल का उम्र संबंधी बीमारियों के कारण रविवार को रोहतक में निधन हो गया. वह 77 वर्ष के थे. उनके परिवार में पत्नी और पुत्र नितिन गोयल हैं जो स्वयं प्रथम श्रेणी क्रिकेटर रहे हैं और घरेलू मैचों के मैच रेफरी हैं. बायें हाथ के स्पिनर गोयल को घरेलू स्तर पर बेहतरीन प्रदर्शन के बावजूद कभी भारतीय टीम में जगह नहीं मिली क्योंकि वह उस युग मे खेला करते थे जबकि बिशन सिंह बेदी जैसे बेहतरीन स्पिनर भारत का प्रतिनिधित्व किया करते थे.

इसी दौर में एक अन्य स्पिनर मुंबई के पदमाकर शिवालकर भी खेलते थे और उन्हें भी भारत की तरफ से खेलने का मौका नहीं मिला. इस दिग्गज स्पिनर को एक अच्छे क्रिकेटर ही नहीं बल्कि भले इंसान के रूप में भी याद किया जाता है. भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के पूर्व अध्यक्ष रणबीर सिंह महेंद्रा ने शोक व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘यह क्रिकेट के खेल और निजी तौर पर मेरी बहुत बड़ी क्षति है. वह इस देश में बायें हाथ के सर्वश्रेष्ठ स्पिनरों में से एक थे.

संन्यास लेने के बाद भी उन्होंने इस खेल में बहुमूल्य योगदान दिया. ” राष्ट्रीय टीम में जगह नहीं मिलने के बावजूद गोयल 1958-59 से 1984-85 तक घरेलू क्रिकेट में खेलते रहे. इन 26 सत्र में उन्होंने हरियाणा की तरफ से रणजी ट्राफी में 637 विकेट लिए जो राष्ट्रीय चैंपियनशिप में रिकॉर्ड है. उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कुल 157 मैच खेलकर 750 विकेट लिए. वह बेदी थे जिन्होंने उन्हें बीसीसीआई पुरस्कार समारोह में सीके नायुडु जीवनपर्यंत उपलब्धि सम्मान सौंपा था.

गोयल में लंबे स्पैल करने की अद्भुत क्षमता थी. जिस पिच से थोड़ी भी मदद मिल रही हो उस पर उन्हें खेलना नामुमकिन होता था. वह इतने लंबे समय तक खेलते रहे इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि वह विजय मांजरेकर के खिलाफ भी खेले और उनके बेटे संजय के खिलाफ भी. उन्हें 1974-75 में वेस्टइंडीज के खिलाफ बेंगलुरू में टेस्ट मैच के लिए टीम में चुना गया था. वह 44 साल की उम्र तक प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलते रहे.

सुनील गावस्कर ने अपनी किताब ‘आइडल्स’ में जिन खिलाड़ियों को जगह दी थी उसमें गोयल भी शामिल थे. गावस्कर ने अपनी किताब में लिखा है कि गोयल अपने लिए नये जूते और किट लेकर आए लेकिन उन्हें 12वां खिलाड़ी चुना गया. अगले टेस्ट मैच में बेदी की वापसी हो गयी लेकिन गोयल को फिर कभी देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिला. कपिल देव निश्चित तौर पर हरियाणा के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर रहे हैं लेकिन उनसे पहले गोयल थे जिन्होंने इस राज्य की गेंदबाजी की कमान बखूबी संभाल रखी थी.

कपिल देव की अगुवाई वाली हरियाणा ने जब 1991 में मुंबई को हराकर रणजी ट्रॉफी जीती थी तब गोयल उसकी चयनसमिति के अध्यक्ष थे. एक बार गोयल से पूछा गया कि क्या उन्हें इस बात का दुख है कि बेदी युग में होने के कारण उन्हें भारत की तरफ से खेलने का मौका नहीं मिला, उन्होंने कहा, ‘‘जी बिलकुल नहीं. बिशन बेदी बहुत बड़े गेंदबाज थे. ”

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