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हॉकी विश्व कप: आज इतिहास रचने मैदान में उतरेगा भारत, स्पेन से होगा पहला मैच

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18 सदस्यीय भारतीय टीम में कई वहीं खिलाड़ी हैं, तो तोक्यो में अच्छा प्रदर्शन किया था. विश्व कप के लिए भारत की 18 सदस्यीय टीम की घोषणा की गयी है.

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हॉकी वर्ल्ड कप 2023 की मेजबानी इस बार भारत कर रहा है. शुक्रवार को स्पेन के खिलाफ पहले मैच से ही भारतीय टीम अपने अभियान की शुरुआत कर देगी. टीम इंडिया ने 1975 में आखिरी बार विश्वकप जीता था, लेकिन इस बार घर में टूर्नामेंट होने की वजह से 48 साल का सूखा खत्म होने की उम्मीद है. खास बात यह है कि पिछले ओलिंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने सिल्वर मेडल जीता था. इस बार 18 सदस्यीय भारतीय टीम में कई वहीं खिलाड़ी हैं, तो तोक्यो में अच्छा प्रदर्शन किया था. विश्व कप के लिए भारत की 18 सदस्यीय टीम की घोषणा की गयी है. आपका परिचय कराते हैं भारत के उन योद्धाओं से, जिन पर भारत की नैया किनारे लगा कर ओड़िशा हॉकी विश्व कप में पदक जिताने का दारोमदार रहेगा.

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हरमनप्रीत सिंह : लाजवाब ड्रैग फ्लिकर

उम्र : 26 वर्ष, मैच : 164, गोल : 126

दुनिया के सबसे खतरनाक ड्रैग फ्लिकर में से एक कप्तान हरमनप्रीत सिंह का रोल सबसे अहम रहने वाला है. भारत के लिए 164 मैचों में कुल 126 गोल इसकी गवाही भी देता है. पेनाल्टी कॉर्नर पर अचूक निशाना साध ड्रैग फ्लिक से गोल कर हरमनप्रीत सिंह ने भारत को 2020 के तोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने में अहम भूमिका निभायी थी. हॉकी विश्व कप में भी उनसे इसी खेल की उम्मीद होगी. 2020-21 एफआइएच प्रो-लीग में ड्रैग फ्लिक से सबसे ज्यादा 18 गोल कर भारत को तीसरा स्थान दिलाने में अहम रोल निभाया था. वह ओड़िशा में लगातार दूसरा हॉकी विश्व कप खेलेंगे.

पीआर श्रीजेश : टीम की दीवार

गोलरक्षक, उम्र : 34 वर्ष, मैच : 274

किले की सबसे मजबूत दीवार और सबसे उम्रदराज गोलरक्षक पीआर श्रीजेश भारत के लिए अपना लगातार चौथा और अपने घर में तीसरा हॉकी विश्व कप खेलेंगे. दो बार 2021 व 2022 में एफआइएच के साल के सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर रहे श्रीजेश देश के उस दक्षिणी अंचल से आते हैं, जिसने देश को आइएम विजयन जैसे धुरंधर फुटबॉलर दिये. 2021 तोक्यो ओलिंपिक में श्रीजेश के दमदार प्रदर्शन से भारत ने जर्मनी को पेनाल्टी शूट आउट में 5-4 से हरा कर कांस्य पदक जीता था. 274 मैच खेलनेवाले श्रीजेश हॉकी विश्व कप में भारत के मजबूत स्तंभ में से एक होंगे.

आकाशदीप सिंह : आक्रमण और रक्षण की कड़ी

उम्र : 28 वर्ष, मैच : 219, गोल : 85

अब ‘लिंकमैन’के रूप में आकाशदीप सिंह पर इस बार ओड़िशा हॉकी विश्व कप में भारत की चुनौती बहुत आगे ले जाने की जिम्मेदारी होगी. मौजूदा टीम में आकाशदीप(85गोल) सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय गोल करने में तीसरे नंबर पर हैं. आकाशदीप को बेशक यह मलाल ताउम्र रहेगा कि चीफ कोच ग्राहम रीड द्वारा नजरअंदाज किये जाने से वह चार दशक के बाद तोक्यो ओलिंपिक में कांसा जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा नहीं बन पाये. हालांकि इस बार मौका मिला है, तो बतौर सीनियर टीम को आगे ले जायेंगे.

मनप्रीत : मध्यपंक्ति की मजबूत कड़ी

उम्र : 30 वर्ष, मैच : 314, गोल : 24

भारत की मध्यपंक्ति की मजबूत कड़ी हैं मनप्रीत सिंह. मनप्रीत पंजाब के उसी मीठा पुर से आते हैं जिसने भारत को ओलिंपियन परगट सिंह जैसा दुनिया का बेहतरीन फुलबैक व कप्तान दिया. मनप्रीत भारत अनुभवी खिलाड़ियों में से एक हैं, पिछला तीनों ओलिंपिक खेल चुके हैं. उनमें विरोधियों को छक्का छुड़ाने की क्षमता हैं. पिछली बार मनप्रीत की कप्तानी में भारत विश्व कप हॉकी के क्वार्टर फाइनल में हार गया था. हालांकि इस बार खिलाड़ी के तौर पर छक्का छुड़ाने को तैयार हैं.

पीआर श्रीजेश : टीम की दीवार

गोलरक्षक, उम्र : 34 वर्ष, मैच : 274

किले की सबसे मजबूत दीवार और सबसे उम्रदराज गोलरक्षक पीआर श्रीजेश भारत के लिए अपना लगातार चौथा और अपने घर में तीसरा हॉकी विश्व कप खेलेंगे. दो बार 2021 व 2022 में एफआइएच के साल के सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर रहे श्रीजेश देश के उस दक्षिणी अंचल से आते हैं, जिसने देश को आइएम विजयन जैसे धुरंधर फुटबॉलर दिये. 2021 तोक्यो ओलिंपिक में श्रीजेश के दमदार प्रदर्शन से भारत ने जर्मनी को पेनाल्टी शूट आउट में 5-4 से हरा कर कांस्य पदक जीता था. 274 मैच खेलनेवाले श्रीजेश हॉकी विश्व कप में भारत के मजबूत स्तंभ में से एक होंगे.

मनदीप : जानते हैं गोल की कला

उम्र : 27 वर्ष, मैच : 194, गोल : 96

पतले-दुबले छरहरे 27 वर्ष के मनदीप सिंह में दुनिया की किसी भी रक्षापंक्ति को उसकी डी में पहुंच कर गोल करने की क्षमता हैं. कदकाठी और गोल करने की क्षमता भारत के सर्वकालीन स्ट्राइकर मोहम्मद शाहिद के साथी रहे मोहम्मद नईम की बरबस याद दिलाती है. मनदीप सिंह भारत की मौजूदा टीम में मनप्रीत सिंह और वरुण कुमार सहित उन तीन खिलाडिय़ों में से एक है, जो ओलंपियन परगट के गांव मीठापुर से हैं. ये तीनों ही टीम की जान है.

ललित: लाजवाब है कलाकारी

उम्र : 29 वर्ष, मैच : 133, गोल : 31

स्ट्राइकर ललित उपाध्याय बाबा भोले नाथ की उसी वाराणसी नगरी से आते हैं, जिसने भारत को मोहम्मद शाहिद जैसा बेहतरीन हॉकी कलाकार और विवेक सिंह जैसा सेंटर हाफ दिया. एक बनाम एक और पेनाल्टी शूटआउट में ललित उपाध्याय अपनी हॉकी की कलाकारी के कारण भारत की तुरुप के इक्के साबित होने वाले हैं. ललित लगातार तीसरा विश्व कप खेलेंगे. वह भारत की 2018 के एशियाई खेलों में कांसा तथा 2022 में बर्मिघम में राष्ट्रमंडल में रजत जीतने वाली टीम के सदस्य हैं.

अमित रोहिदास : सबसे तेज रशर

उम्र : 29 वर्ष, मैच : 131, गोल : 19

उपकप्तान अमित रोहिदास ने खुद को ओड़िशा के अपने ही गांव सोउनामरा(सुंदर गढ़) की देश को मुस्तैद फुलबैक देने की भारत के लिए तीन ओलिंपिक, तीन विश्व कप और तीन एशियाई खेल सहित सबसे ज्यादा 412 अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच वाले हॉकी इंडिया के मौजूदा अध्यक्ष दिलीप टिर्की का सही वारिस साबित किया है. अमित रोहिदास की गिनती पेनाल्टी कॉर्नर पर गोली की रफ्तार से आते ड्रैग फ्लिक को उसी तेजी से रोकने वाले भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे तेज रशर में होती है. साथ ही पेनाल्टी कॉर्नर पर खुद ड्रैग फ्लिक से गोल करने भी अमित को खूब आता है.

वरुण : ड्रैग फ्लिकर के हैं विकल्प

उम्र : 27 वर्ष, मैच : 118, गोल : 29

वरुण कुमार भारत के लिए लगातार दूसरा विश्व कप खेलने जा रहे हैं. 2016 में जूनियर हॉकी विश्व कप जीतने वाली टीम के सदस्य रहे वरुण बतौर ड्रैग फ्लिकर बहुत विकल्प देते हैं. बस ड्राइवर के बेटे वरुण 2017 में बेल्जियम दौरे से भारतीय सीनियर टीम में जगह बनाने के बाउ 2018 में ब्रेडा में चैंपियंस ट्रॉफी में रजत, एशियाई खेलों में कांसा और 2018 में भुवनेश्वर में विश्व कप के क्वॉर्टर फाइनल में स्थान बनाने वाली टीम का अहम हिस्सा रहे. रिजर्व खिलाडिय़ों के रूप में शामिल होने के बाद 2020 के तोक्यो ओलिंपिक में सही वक्त पर गोल कर भारत को कांसा जिताने के बाद बीते वर्ष बर्मिंघम राष्ट्रमंडल में रजत जिताने में अपनी चमक दिखायी थी.

सुरेन्दर : रक्षापंक्ति का आधार

उम्र : 29 वर्ष, मैच : 172, गोल : 4

लंबे कद के सुरेन्दर कुमार हरियाणा के करनाल के करीब छोटे से गांव से आते हैं. 2013 में भारत की जूनियर हॉकी विश्व कप में अपनी चमक दिखाने के एक वर्ष के भीतर ही एशियन चैंपियंस ट्रॉफी से सीनियर टीम में जगह बनाने के साथ टीम की रक्षापंक्ति का आधार बन गये सुरेन्दर कुमार. हॉकी इंडिया लीग में दिल्ली वेवराइडर्स के लिए खेलते हुए कोच सैड्रिक डिसूजा के मार्गदर्शन में न्यूजीलैंड के साइमन चाइल्ड के साथ खेल अपना खेल खूब निखारा और 2016 में रियो ओलिंपिक में भारत की टीम में खेले.

जर्मनप्रीत सिंह : निरंतर बेहतर

उम्र : 26 वर्ष, मैच : 50, गोल : 6

अमृतसर के पास के गांव आनेवाले जर्मनप्रीत सिंह ने जूनियर स्तर शानदार प्रदर्शन कर बतौर फुलबैक छाप छोड़ी. रेलवे में कार्यरत जर्मनप्रीत मौका मिलने पर आगे बढ़ कर खुद मैदानी गोल करने के साथ ड्रैग फ्लिक और लौटती गेंद को गोल डालना खूब जानते हैं. वह भारत की 2022 में बर्मिंघम राष्ट्र्रमंडल खेलों में रजत जीतने वाली टीम का अहम हिस्सा रहे

कृष्ण बहादुर : जीवट के धनी

उम्र : 25 वर्ष, मैच : 80

कृष्ण बहादुर पाठक का परिवार 1990 में रोजी-रोटी की तलाश में पड़ोसी देश नेपाल से आकर कपूरथला(पंजाब) में बस गया. कृष्ण बहादुर पाठक खुद खेल में रूचि नहीं थी, लेकिन पिता टेक बहादुर चाहते थे कि बेटा हॉकी खेले और उन्हें सुरजीत हॉकी में भर्ती करा दिया. बस इसके बाद तो हॉकी उन्हें पसंद आने लगी. भारत की 2016 में जूनियर विश्व कप जीतने वाली टीम में विकास दहिया के बाद वह दूसरे गोलरक्षक थे.जीवट के धनी कृष्ण बहादुर पाठक ने सदाबहार पीआर श्रीजेश के साथ मिलकर बराबर अपने गोलरक्षण को सुधार कर उनका सही वारिस साबित किया. पाठक 2018 के भुवनेश्वर विश्व कप और 2020 के टोक्यो ओलिंपिक में भी भारत के रिजर्व गोलरक्षक रहे.

हार्दिक सिंह: मेहनत रंग लाई

उम्र : 26 वर्ष, मैच : 84, गोल : 6

हार्दिक सिंह को हॉकी भले ही विरासत में मिली, लेकिन भारत की सीनियर हॉकी टीम में जगह बनाने के लिए उन्हें खुद को कुंदन की तरह कसौटी पर घिसा. 2018 में एशियन चैंपियंस जिताने में बतौर रक्षापंक्ति सेंटर हाफ अहम में रोल निभाने के बाद उन्हें 2018 हॉकी विश्व कप में देश की नुमाइंदगी का मौका मिला. 2020 तोक्यो ओलिंपिक, एफआइएच प्रो-लीग 2021-22 व 2022 राष्ट्रमंडल में भी अच्छा प्रदर्शन किया. हार्दिक पर भारत की मध्यपंक्ति का दारोमदार रहेगा.

शमशेर सिंह : मैदान पर शेर

उम्र : 25 वर्ष, मैच : 47, गोल : 10

शमशेर सिंह ने पंजाब के बेहद गरीब से आकर मैदान पर लिंकमैन के रूप में शेर दिल प्रदर्शन कर भारत की सीनियर हॉकी टीम में अपनी नियमित जगह बनायी है. 2019 में तोक्यो टेस्ट इंवेंट से सीनियर भारतीय टीम में आगाज करने के बाद जब आकाशदीप सिंह जैसे सदाबहार स्ट्राइकर को बाहर रख कर शमशेर सिंह को 2020 के टोक्यो ओलिंपिक के लिए भारतीय टीम में चुना गया, तो तब चीफ कोच सभी आलोचकों के निशाने पर आ गये थे. शमशेर की मॉडर्न हॉकी की जरूरत के मुताबिक ऑफ द बॉल रनिंग के कोच कायल थे. इस बार भी शमशेर से बड़ी उम्मीद है.

विवेक सागर : विवेक लाजवाब

उम्र : 22 वर्ष, मैच : 90, गोल : 16

दद्दा ध्यानचंद की हॉकी विरासत को आगे बढ़ाने वाले भारत की 1975 हॉकी विश्व कप की जीत के हीरो अशोक कुमार सिंह के मध्य प्रदेश हॉकी अकेडमी में शिष्य रहे विवेक सागर प्रसाद का बतौर सेंटर हाफ अपने नाम के मुताबिक ‘विवेक’लाजवाब है. विवेक ने अपने भारतीय टीम के साथी स्ट्राइकरों के लिए बहुत चतुराई से गेंद बढ़ाने के साथ अपने छोटे कद का लाभ उठाते हुए प्रतिद्वंद्वी टीम की रक्षापंक्ति को छका गोल कर मुरीद बना दिया है.

नीलकांत : लक्ष्य आगे और आगे

उम्र : 27 वर्ष, मैच : 91, गोल : 13

नीलकांत शर्मा ने पूर्वोत्तर में मणिपुर की भारतीय हॉकी टीम को कोथाजीत सिंह और चिंगलसाना सिंह जैसे की हॉकी आक्रामक मिडफील्डर की परंपरा को आगे बढ़ाया. 2016 में भारत को लखनउ में जूनियर विश्व कप जिता कर नीलकांत सुर्खियों में आये. 2018 में भुवनेश्वर में पहली बार सीनियर हॉकी विश्व कप में खेले 2021 में अर्जुन अवार्ड से नवाजे जा चुके नीलकांत छोर बदल कर हमला बोले दुनिया की किसी भी रक्षापंक्ति को छकाने में सक्षम हैं.

अभिषेक : स्ट्राइकर हैं विशेष

उम्र : 23 वर्ष, मैच : 28, गोल : 11

लंबे कद के मजबूत कदकाठी के पहली बार हॉकी विश्व कप में शिरकत करने जा रहे अभिषेक अपनी धार व रफ्तार और कलाकारी के कारण विशेष स्ट्राइकर हैं. उनमें दुनिया की मजबूत से मजबूत रक्षापंक्ति को भेदने की क्षमता है. उन्हें खुद गोल करने के साथ पेनल्टी कॉर्नर बनाना भी खूब आता है. 2021-22 में एफआइएच प्रो हॉकी से सीनियर टीम में जगह बनायी थी

सुखजीत : मौका भुनाना जानते है

उम्र : 26 वर्ष, मैच : 26, गोल: 4

पंजाब के नौजवान स्ट्राइकर सुखजीत सिंह ने मौकों भुना की अपनी क्षमता से चीफ कोच ग्राहम रीड को खासा प्रभावित कर अनुभवी दो लंबी स्ट्राइकर-गुरजंट सिंह और दिलप्रीत सिंह को पीछे छोड़ 2023 के हॉकी विश्व कप के लिए भारतीय टीम में जगह पायी. सुखजीत पर भारत की उम्मीदों पर खरा उतरने की चुनौती होगी.

नीलम संजीप खेस : चुनौती बड़ी

उम्र : 24 वर्ष. मैच : 34, गोल :5

ओड़िशा के आदिवासी अंचल सुंदरगढ़ के कडुआबहल गांव से आकर जूनियर हॉकी से पहचान बना सीनियर टीम में जगह बनाने वाले नीलम संजीप खेस अच्छे फुलबैक हैं. उनके चयन पर बड़ा सवाल यही है कि क्या वह किले की चौकसी के साथ बतौर ड्रैग फ्लिकर विकल्प देंगे, जो फिलहाल रिजर्व खिलाडियों में शामिल हैं.

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