जोहानिसबर्ग : दक्षिण अफ्रीका खेल परिसंघ और ओलंपिक समिति (SASCOC) ने क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका (CSA) को सस्पेंड कर दिया है क्योंकि वह इस क्रिकेट संस्था में कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार की जांच करना चाहता है. ओलंपिक समिति की यह कार्रवाई दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट बोर्ड के लिए एक और झटका है, जिस पर भ्रष्टाचार और नस्ली भेदभाव के आरोप लगते रहे हैं. इसका मतलब है कि अब सीएसए में दैनिक कार्यों का संचालन करने के लिये कोई नहीं होगा.
ईएसपीएनक्रिकइन्फो कि रिपोर्ट के अनुसार ओलंपिक समिति ने मंगलवार को बोर्ड की बैठक में सर्वसम्मति से यह फैसला किया. उसने आरोप लगाया कि सीएसए में ‘कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार के कई उदाहरण हैं जिससे क्रिकेट की बदनामी हुई.’ सीएसए के पूर्व सीईओ थबांग मुनरो को पिछले महीने भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाने वाली रिपोर्ट के बाद पद से हटा दिया गया था.
कार्यवाहइक सीईओ जॉक फॉल और अध्यक्ष क्रिस नेनजानी ने पिछले महीने त्यागपत्र दे दिया था. फॉल की जगह कुगेंड्री गवेंडर ने ली थी. देश के चोटी के खिलाड़ियों ने भी पांच सितंबर को होने वाली वार्षिक आम बैठक (एजीएम) टालने के लिए सीएसए की आलोचना की थी. सीएसए को अब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) की कार्रवाई का सामना भी करना पड़ सकता है क्योंकि ओलंपिक समिति की कार्रवाई सरकारी हस्तक्षेप माना जा सकता है.
इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल के नियमों के अनुसार किसी भी क्रिकेट खेलने वाले देश में टीम को नियंत्रित करने वाली संस्था स्वतंत्र होनी चाहिए. सरकार का किसी भी तरह क्रिकेट बोर्ड पर नियंत्रण नहीं होना चाहिए या उसके कामों में हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए. बोर्ड को सस्पेंड करने वाली साउथ अफ्रीकी संस्था वहां की सरकार का हिस्सा है. ऐसे में यह कदम आईसीसी के नियमों का विरोध है. ऐसे में सरकार के इस कदम के खिलाफ मामला सुलझने तक आईसीसी दक्षिण अफ्रीकी टीम को इंटरनेशनल क्रिकेट से बैन कर सकती है.
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साउथ अफ्रीका से पहले जिम्बाब्वे पर भी आईसीसी ने इसी वजह से बैन लगाया था. अगर आईसीसी साउथ अफ्रीका की टीम को बैन करता है तो यह वहां की टीम के साथ दूसरी बार होगा. इसके साथ ही साउथ अफ्रीका दूसरी बार बैन होने वाला पहला देश बन जायेगा. इस देश की टीम पर साल 1970 से 1990 के बीच नस्लवाद के कारण बैन लगा दिया गया था. इसके बाद टीम के लिए नयी रणनीति लाई गई थी जिससे सभी को बराबरी से टीम में मौका मिलना सुनिश्चित किया गया और बैन हटाया गया.
सीएसए ने भी अपने बयान में बोर्ड को निलंबित करने के ओलंपिक समिति के फैसले पर आपत्ति व्यक्त की है. उसने बयान में कहा, ‘सीएसए और सदस्य परिषद ओलंपिक समिति द्वारा लिये गये फैसले से सहमत नहीं है तथा उसे इसमें उठाये गये विभिन्न मसलों पर ओलंपिक समिति के सामने अपना पक्ष रखने का मौका नहीं मिला.’
इसके अनुसार, ‘इसके अलावा जिस आधार पर ओलंपिक समिति ने सीएसए के वित्तीय मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए कहा है उसको लेकर सीएसए कानूनी सलाह ले रहा है. सीएसए हालांकि अपनी स्थिति को समझने और क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ हित में उचित हल निकालने के लिये ओलंपिक समिति के साथ आगे बात करने को तैयार है.’
Posted By: Amlesh Nandan