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कई बार ज्यादा गेंद का सामना करना रन बनाने से ज्यादा जरूरी हो जाता है, पुजारा ने कही यह बात

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नयी दिल्ली : चेतेश्वर पुजारा का मानना है कि कई बार गेंदों का सामना करना रन बनाने से अधिक मायने रखता है और इस दिग्गज भारतीय बल्लेबाज ने हाल के ऑस्ट्रेलियाई दौरे में यही सब कुछ किया. पुजारा का मानना है कि स्ट्राइक रेट की चर्चा को कुछ जरूरत से ज्यादा महत्व दिया जाता है. शीर्ष क्रम के इस बल्लेबाज ने दो साल पहले ऑस्ट्रेलिया में अधिक रन (521 रन, 41.41 की स्ट्राइक रेट से) बनाये लेकिन विपरीत परिस्थितियों में हाल के दौरे के अपने प्रदर्शन (271 रन, 29.20 की स्ट्राइक रेट) को भी वह समान रूप से महत्वपूर्ण मानते हैं.

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नयी दिल्ली : चेतेश्वर पुजारा का मानना है कि कई बार गेंदों का सामना करना रन बनाने से अधिक मायने रखता है और इस दिग्गज भारतीय बल्लेबाज ने हाल के ऑस्ट्रेलियाई दौरे में यही सब कुछ किया. पुजारा का मानना है कि स्ट्राइक रेट की चर्चा को कुछ जरूरत से ज्यादा महत्व दिया जाता है. शीर्ष क्रम के इस बल्लेबाज ने दो साल पहले ऑस्ट्रेलिया में अधिक रन (521 रन, 41.41 की स्ट्राइक रेट से) बनाये लेकिन विपरीत परिस्थितियों में हाल के दौरे के अपने प्रदर्शन (271 रन, 29.20 की स्ट्राइक रेट) को भी वह समान रूप से महत्वपूर्ण मानते हैं.

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पुजारा ने इंग्लैंड के खिलाफ आगामी श्रृंखला में जैव सुरक्षित वातावरण में जाने से पहले कहा कि दोनों दौरे टीम के लिए शानदार रहे और निजी तौर पर मैंने दोनों दौरों में अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन परिस्थितियां पूरी तरह से भिन्न थी. मैंने लगभग आठ महीने बाद (कोविड-19 के कारण) वापसी की. इस बीच कोई प्रथम श्रेणी मैच भी नहीं हुआ. 31 वर्षीय बल्लेबाज पुजारा ने श्रृंखला के दौरान चट्टान की तरह क्रीज पर खड़ा रहकर टीम की जीत में मुख्य भूमिका निभाई.

विशेषकर ब्रिसबेन में अंतिम टेस्ट मैच में जहां उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई आक्रमण का डटकर सामना किया और कई गेंदें शरीर पर भी झेली. पुजारा ने कहा कि तैयारियों के लिहाज से यह आसान नहीं था और ऑस्ट्रेलियाई टीम हमारे में से प्रत्येक के लिए रणनीति के साथ उतरी थी. उन्होंने कहा कि लय हासिल करने में थोड़ा समय लगा लेकिन सौभाग्य से आखिर में सब कुछ सकारात्मक रहा. आंकड़ों के लिहाज से यह बहुत अच्छी श्रृंखला नजर नहीं आ रही हो लेकिन अगर आप पिचों पर गौर करो तो इस बार बहुत अधिक रन नहीं बने. निसंदेह यह पिछली बार की तुलना में अधिक चुनौतीपूर्ण था.

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भारत की तरफ से अब तक 81 टेस्ट मैच खेलने वाले पुजारा ने कहा कि दो साल पहले खेली गयी 1258 गेंदों की तुलना में इस बार उन्होंने जिन 928 गेंदों का सामना किया वह चुनौतीपूर्ण तेज गेंदबाजी आक्रमण, पिचों की प्रकृति और भारतीय टीम के कई खिलाड़ियों के चोटिल होने के कारण अधिक मायने रखती है. पुजारा ने कहा कि दोनों दौरों की तुलना करना बहुत मुश्किल है लेकिन यह दौरा विशेष था क्योंकि हमारी टीम कमजोर थी और कई युवा खिलाड़ी खेल रहे थे. वैसे मैं ऐसा नहीं कहूंगा कि केवल यही सर्वश्रेष्ठ श्रृंखला थी जिसका मैं हिस्सा रहा हूं.

उन्होंने कहा कि यहां तक कि ऑस्ट्रेलिया में पिछली श्रृंखला भी कड़ी थी तथा 2017-18 की घरेलू श्रृंखला भी चुनौतीपूर्ण थी जिनका मैं हिस्सा रहा. पुजारा का स्ट्राइक रेट अक्सर चर्चा का विषय बना रहता है क्योंकि वह एक तरफ से पैट कमिन्स, जोश हेजलवुड और मिशेल स्टार्क जैसे गेंदबाजों को पस्त करके दूसरे छोर के बल्लेबाजों के लिए काम आसान करते रहे. उन्होंने कहा कि कई बार ऐसा समय आता है जबकि स्ट्राइक रेट मायने नहीं रखता. प्रत्येक बल्लेबाज की अपनी भूमिका होती है. टीम प्रबंधन इसे अच्छी तरह से समझता है. चाहे वह रवि (शास्त्री, मुख्य कोच) भाई हो या विक्की (विक्रम राठौड़, बल्लेबाजी कोच) भाई या अजिंक्य (रहाणे), उन्होंने मुझसे उसी तरह से बल्लेबाजी करने के लिए कहा जैसी मैं करता हूं.

पुजारा ने कहा कि मुझे रन बनाने के लिए अतिरिक्त समय लेना पड़ा. मैं हमेशा बड़ी तस्वीर पर ध्यान देता हूं क्योंकि मैं जानता था कि अगर मैं एक छोर पर टिका रहा तो गेंदबाजों के लिए टीम को आउट करना आसान नहीं होगा. उन्होंने कहा कि यहां तक कि परिस्थितियों के अनुसार मेरी बल्लेबाजी भी बदल जाती है. जब पिच बल्लेबाजी के लिए अनुकूल हो तो मैं स्ट्राइक रोटेट करूंगा. आप एक ही तरह से बल्लेबाजी नहीं कर सकते. यह अच्छा है कि दूसरे छोर पर रोहित और ऋषभ जैसे स्ट्रोक प्लेयर थे और ऐसे में मुझे उसी तरह से बल्लेबाजी करने की जरूरत थी जैसा मैं करता हूं.

Posted By: Amlesh Nandan.

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