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83 Movie: कोई हनीमून तो कोई छुट्टियां मनाने गया था इंग्लैंड, सैयद किरमानी ने विश्व विजेता टीम के खोले कई राज

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1983 World Cup: 1983 की भारतीय टीम का अहम हिस्सा रहे विकेटकीपर खिलाड़ी सैयद किरमानी ने विश्व विजेता टीम के बारे में कई बातें बतायी हैं.

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1983 World Cup: भारतीय क्रिकेट टीम के 1983 के वर्ल्ड कप जीतने की कालजयी कहानी पर आधारित कबीर खान की फ़िल्म 83 ने आज सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है. 1983 की भारतीय टीम का अहम हिस्सा रहे विकेटकीपर खिलाड़ी सैयद किरमानी से इस फ़िल्म, 83 विश्वकप की यादों और क्रिकेट पर उर्मिला कोरी की हुई बातचीत…

83 की जीत पर फ़िल्म बन रही है इस पर आपका पहला रिएक्शन क्या था?

मैं तो हमेशा से चाहता था कि हमारी उस ऐतिहासिक जीत पर फ़िल्म बनें. अक्सर सुनता कि फलां खिलाड़ी की बायोपिक बन रही है तो लगता कि हमारे ऐतिहासिक जीत के बारे में क्यों नहीं फ़िल्म बन रही है. आखिरकार मेरी चाहत पूरी हो गयी. मालूम पड़ा कोई कबीर खान बना रहे हैं. मैंने उनका नाम पहले नहीं सुना था. गूगल किया तो मालूम हुआ कि उन्होंने सलमान खान सहित कई बड़े बॉलीवुड स्टार्स के साथ काम किया है. मुझे समझ आ गया कि एक बेहतरीन फ़िल्म बनने वाली है.

फ़िल्म में आपकी भूमिका साहिल खट्टर निभा रहे हैं आपने उन्हें किस तरह गाइड किया

बलविंदर सिंह संधू सभी एक्टर्स के कोच थे लेकिन मैंने अपनी तरफ से साहिल खट्टर को अपने से जुड़ी हर छोटी छोटी जानकारी दी. मेरा चलने के अंदाज़ से लेकर स्टंप के पीछे तक सभी कुछ मैंने उसे सीखाया. मैंने कहा कि तुम्हे कुछ भी ज़रूरत हो तो बताओ.मैं तुमसे बस एक फ़ोन कॉल की दूरी पर है.

आज और उस दौर के क्रिकेट में आप क्या फर्क पाते हैं

आज के भारतीय क्रिकेट और हमारे दौर के भारतीय क्रिकेट में जमीन आसमान का अंतर है. हमने वर्ल्ड कप जीत कर एक नींव रखी जिस पर आज भारतीय क्रिकेट सफलता की नयी कहानी लिख रहा है. आज भारतीय क्रिकेट बोर्ड सबसे अमीर बोर्ड माना जाता है. हमारे वक़्त में सबसे गरीब बोर्ड था. आज एक टीम के पीछे पूरी एक टीम होती है. जो खिलाड़ियों की फिटनेस से लेकर हर चीज़ का ख्याल रखते हैं.हमारे समय में कोच तक नहीं था सब कुछ मान सिंह हैंडल करते थे.

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आपने कहा कि हमारा क्रिकेट बोर्ड उस वक़्त सबसे गरीब बोर्ड था ऐसे में किस तरह की दिक्कतों का सामना करते थे?

दिक्कतें थी लेकिन उस पर ध्यान ही नहीं जाता है. बस अपने देश का नाम ऊंचा करना है. ने परिवार को गर्व महसूस करवाना है. दिमाग में होता था.क्रिकेट में पैसे कमाने के लिए नहीं आए थे.

आप लोग 83 वर्ल्ड कप खेलने आए थे जीतना जेहन में था?

नहीं, हमें लगा था कि हम नॉकआउट तक भी खेल गए तो बहुत होगा. इंग्लैंड जाने से पहले हम आपस में बातें करते हुए खुद को सांत्वना देते थे. श्रीकांत की नयी नयी शादी हुई थी वो कहता कि मेरा हनीमून हो जाएगा. कोई बोलता इंग्लैंड में छुट्टियां बिताने का मौका मिल जाएगा.

83 विश्वकप के दौरान किस मैच को आपलोग अपना टर्निंग पॉइंट कहेंगे?

पहले ही मैच को हमारा पहला मैच दो बार की विश्व विजेता टीम वेस्ट इंडीज से था और वर्ल्ड कप के टूर्नामेंट में हम चौथी सबसे कमजोर टीम थी. जिम्बाब्वे, अफ्रीका औऱ श्रीलंका हमसे कमज़ोर थे लेकिन पहले ही मैच में हमने वेस्ट इंडीज पर एक अच्छी जीत दर्ज की जिससे हमारा भरोसा बढ़ गया.

प्लेयर के तौर आपके लिए 83 मैच के दौरान सबसे खास पल क्या रहे हैं?

जिम्बावे के साथ क़वालीफाईंग मैच में हमारी स्थिति बहुत बुरी थी. 128 के स्कोर पर सात खिलाड़ी पवेलियन जा चुके थे. कपिल 50 के निजी स्कोर पर क्रीज पर मौजूद थे. मैं पहुंचा मैदान में बैटिंग के लिए कपिल ने कहा कि 30 ओवर और खेलना है. कैसे खेलेंगे .मेरा ये गिफ्टेड नेचर है कि मैं जल्दी घबराता नहीं हूं. मैंने कहा कि ये मैच करो या मरो वाला है. बिना मारे मरेंगे नहीं. मैं अपना बेस्ट दूंगा. एक गेंद में खेल कर आपको दे दूंगा आप पांच गेंद खेलेंगे नहीं बल्कि मारेंगे. पहले दो बॉल मेरे दाएं बाएं से निकल गए लेकिन फिर मैंने तीसरी बॉल पर चौका मारा.जिससे कपिल देव का आत्मविश्वास फिर से बढ़ गया क्योंकि मैं आल राउंडर नहीं था.मैं सिर्फ विकेटकीपर था. दूसरा था वर्ल्ड कप के फाइनल मैच में वेस्टइंडीज प्लेयर फौद का कैच.

आप अपने क्रिकेट करियर का अचीवमेंट किसे कहेंगे?

मेरे पूरे कैरियर में दो ऐसे पल रहे हैं जिन्हें मैं अचीवमेंट करार दूंगा. सबसे पहला देश के लिए वर्ल्ड कप जैसा सम्मान लाना. जिसने तिरंगे की शान को बढ़ा दिया.दूसरा थोड़ा निजी है.83 के दौरान मुझे वर्ल्ड का बेस्ट विकेटकीपर का खिताब भी मिला था.चांदी का ग्लोव और उसमें चांदी का बॉल जड़ा था. यह सम्मान अब तक किसी विकेटकीपर को वर्ल्ड कप के दौरान नहीं मिला है तो यह मेरे लिए बहुत सम्मान की बात है.

आइपीएल को आप क्रिकेट के लिहाज से कितना सही मानते हैं क्रिकेटर्स के चोटिल होने की खबरों की वजह से हमेशा विवादों में रहता है?

अति हर चीज़ की बुरी है फिर चाहे क्रिकेट ही क्यों ना हो.किसी भी प्लेयर की चोट पूरी तरह से ठीक हो ही नहीं पाती है.वे उसी चोट में खेलते रहते हैं. हर खिलाड़ी किसी ना किसी स्पॉन्सर से जुड़ा है इसलिए उसे चोटिल हालात में भी खेलना है और स्पॉन्सर है तो सेलेक्शन टीम को भी उससे चुनना पड़ता है. चोटिल खिलाड़ी का खामियाजा इंडियन टीम को भुगतना पड़ता है.

विराट कोहली को कप्तानी से हटाए जाने के विवाद पर आपकी क्या राय है?

अंदरूनी क्या हो रहा है वो मुझे पता नहीं है लेकिन विराट कोहली के बयान के बाद मैं यही कहूंगा कि इतना बड़ा वो प्लेयर है.उसे आप कप्तानी पर बरकरार रख रहे हैं या हटा रहे हैं.एक बार उसे बताइए तो .उससे बात कीजिये.

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