21.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 12:29 pm
21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Surya Grahan 2024: सूर्य ग्रहण क्यों लगता है? जानें धार्मिक मान्यता और महत्व

Advertisement

Surya Grahan: इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को लगेगा. ग्रहण खगोलीय घटनाक्रम है. शास्त्रों में ग्रहण लगने का कारण राहु-केतु को बताया गया है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Surya Grahan 2024: सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटनाक्रम है. ज्योतिषशास्त्र में सूर्य ग्रहण के शुभ और अशुभ प्रभावों के बारे में अध्ययन किया जाता है. धर्म शास्त्रों में सूर्य ग्रहण लगने का कारण राहु-केतु को बताया गया है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया, उस वक्त सबसे पहले हलाहल विष निकला, इसके साथ ही कई बहुमूल्य वस्तुएं भी निकलीं. समुंद्र मंथन के आखिरी समय भगवान धन्वंतरी हाथ में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए. उस अमृत कलश को पाने के लिए देवताओं और असुरों में छीना-झपटी शुरू हो गई. देवता चाहते थे कि अमृत हमे मिले. वहीं राक्षस चाहते थे कि अमृत का पान करके अमरत्व को प्राप्त कर लें. देवताओं और राक्षसों के बीच अमृत को लेकर मची रस्साकस्सी को खत्म करने के लिए भगवान विष्णु को मोहिनी रूप धारण करना पड़ा.

- Advertisement -

ग्रहण क्यों लगता जानें धार्मिक मान्यता

विश्वमोहिनी के वचन सुन कर दैत्यो, दानवों और राक्षसों ने कहा कि हम सबकी आप पर पूर्ण विश्वास है. आप जिस प्रकार से अमृतपान कराएंगी, हम लोग उसी प्रकार से अमृतपान कर लेंगे. विश्वमोहिनी ने अमृत घट लेकर देवताओं और असुरों को अलग-अलग पंक्तियो में बैठने के लिये कहा. विश्वमोहिनी ने असुरों को अपने कटाक्ष से मदहोश करते हुए देवताओं को अमृतपान कराने लगे.

राहु और केतु के कारण लगता है ग्रहण

भगवान विष्णु की इस चाल को स्वरभानु नामक दानव समझ गया. वह देवता का रूप बना कर देवताओं में जाकर बैठ गया और प्राप्त अमृत को मुख में डाल लिया, तभी चन्द्रमा तथा सूर्य ने खुलासा करते हुए बताया कि ये स्वरभानु दानव है. इतना सुनते ही भगवान विष्णु ने तत्काल अपने सुदर्शन चक्र से उसका सिर गर्दन से अलग कर दिया. धार्मिक मान्यता है कि राहु और केतु ने ही सूर्य और चन्द्रमा का ग्रहण कराते हैं.

सूर्य का ग्रास करने आते हैं राहु-केतु

धार्मिक मान्यता के अनुसार, राहु-केतु हर साल चंद्रमा और सूर्य का ग्रास करने आते हैं. क्योंकि सूर्य और चंद्रमा ने ही अमृत पान के समय उस राक्षस का भेद उजागर किया था. शास्त्र में बताया गया है कि राहु और केतु के कारण ही सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण लगता है. सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन और चंद्र ग्रहण पूर्णिमा के दिन लगता है.
Festival 2024: अप्रैल में कब है चैत्र नवरात्र, चैती छठ और रामनवमी, जानें मां दुर्गा की सवारी और नहाय-खाय का शुभ योग

जानें विज्ञान के अनुसार क्यों लगता है ग्रहण

सूर्य ग्रहण एक तरह का ग्रहण है. भौतिक विज्ञान के अनुसार जब सूर्य व पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाता है, तो चन्द्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढक जाता है, इसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है. पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है और चंद्रमा पृथ्वी की. कभी-कभी चांद, सूरज और धरती के बीच आ जाता है. फिर वह सूरज की कुछ या सारी रोशनी रोक लेता है, जिससे धरती पर साया फैल जाता है. इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है. यह घटना हमेशा सर्वदा अमावस्या को ही होती है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें