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Sankashti Chaturthi 2024: आज रखा जा रहा है संकष्टी चतुर्थी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त

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Sankashti Chaturthi 2024: संकष्टी चतुर्थी, एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है, जो कि घटते चंद्रमा के चौथे दिन पड़ता है और भगवान गणेश को समर्पित है. इस पवित्र दिन पर, भक्त सफलता, समृद्धि और मार्गदर्शन के लिए गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनकी पूजा करते हैं.

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Sankashti Chaturthi 2024: संकष्टी चतुर्थी को सबसे पवित्र दिन माना जाता है जो भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित है. इस शुभ दिन पर, भक्त भगवान गणपति की पूजा करते हैं और सुबह से शाम तक उपवास रखते हैं. संकष्टी चतुर्थी हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ती है.

संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त क्या है ?

वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 20 सितंबर की रात 09:20 बजे प्रारंभ होगी और इसका समापन 21 सितंबर की शाम 06:15 बजे होगा. उदया तिथि के अनुसार, विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत 21 सितंबर 2024, शनिवार को मनाया जाएगा, और इस दिन चंद्रोदय का समय रात 08:27 बजे है.

संकष्टी चतुर्थी का महत्व

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाने वाला विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का बहुत महत्व है. भक्तगण गणेश जी की पूजा करते हैं और उनसे सफलता, समृद्धि और नकारात्मकता से सुरक्षा का आशीर्वाद मांगते हैं. यह दिन ज्ञान, सौभाग्य और आध्यात्मिक विकास से जुड़ा है. व्रत रखना, मंत्रोच्चार करना और गणेश जी को मोदक (मीठे पकौड़े) चढ़ाना इस उत्सव का मुख्य हिस्सा है. विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी के माध्यम से भक्तगण जीवन की चुनौतियों से निपटने, बाधाओं को दूर करने और अंततः मोक्ष प्राप्त करने के लिए गणेश जी का मार्गदर्शन, शक्ति और आशीर्वाद मांगते हैं. यह शुभ दिन भक्तों में विश्वास, आशा और सकारात्मकता को पुनर्जीवित करता है.

संकष्टी चतुर्थी व्रत विधि

सुबह जल्दी उठें और पूजा अनुष्ठान शुरू करने से पहले पवित्र स्नान करें.

पूजा कक्ष को साफ करें और भगवान गणेश की मूर्ति रखने के लिए एक लकड़ी का तख्ता लें.

मूर्ति के सामने एक दीया जलाएं और मूर्ति को माला से सजाएं. भगवान गणेश के माथे पर तिलक लगाएं और भगवान के सामने पानी से भरा कलश रखें.

लड्डू और मोदक चढ़ाएं और भगवान गणपति का आशीर्वाद लें.

मूर्ति का आह्वान करने के लिए आपको 108 बार गणेश मंत्र का जाप करना चाहिए.

गणेश स्तोत्र और संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें.

पूजा के अंत में गणेश आरती का पाठ करें.

आपको चंद्र देव को जल अर्पित करना चाहिए.

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