19.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 10:31 pm
19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Karma Puja 2024: आज मनाया जा रहा है करमा, जानें इस प्राकृतिक पर्व को लेकर क्या है मान्यता

Advertisement

Karma Puja 2024: कर्मा पूजा, झारखंड राज्य का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार में से एक है. इसे आज 14 सितंबर 2024 को मानाया जा रहा है. इस राज्य की जनजातियों के अलावा, कर्मा पूजा कई अन्य राज्यों में भी एक महत्वपूर्ण आयोजन है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Karma Puja 2024:  झारखण्ड के दूसरा सबसे बड़ा प्राकृतिक पर्व है करमा 14 सितम्बर 24,शनिवार को है.जिसे आदिवासी और सदान मिल-जुलकर सदियों से मनाते आ रहे हैं.यह पर्व सदाचार,परंपरा और सामाजिक एकता के प्रतीक है.मान्यता के अनुसार करमा पर्व के अवसर पर बहनें अपने भाइयों की दीर्घायु एवं मंगलमय भविष्य की कामना करती हैं.
यह सर्वविदित है कि झारखण्ड के जनजातियों ने जिन पंरपराओं एवं संस्कृति का जन्म दिया,सजाया-सँवारा,उन सबों में नृत्य,गीत और संगीत का परिवेश प्रमुख है. लोक पर्व पर ढोल और मांदर के थाप पर झूमते गाते हैं.कर्मा पर्व भी आदिवासी संस्कृति का प्रतीक है.आदिवासी समाज में कर्मापूजा पर्व एक लोकप्रिय उत्सव है. इस अवसर पर करमा नृत्य किया जाता है. आइए जानें ज्योतिषाचार्य डॉ एन के बेरा से करमा पर्व के बारे में

- Advertisement -

Karam Puja 2024: झारखंड के प्रकृति पर्व करमा पर जानें पूजा विधि और महत्व

Happy Karma Puja 2024: आज रे करम गोसाईं घरे-दुआरे … प्रकृति पर्व करमा की यहां से भेजें बधाई

कब मनाया जाता है करमा पर्व ?

कर्मा पर्व भादो शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को मनाया जाता है,जिसे पद्मा एकादशी, भादो एकादशी भी कहते हैं.इस मौके पर पूजा करके आदिवासी अच्छे फसल की कामना करते हैं साथ ही बहनें अपने भाईयों की सलामती के लिए प्रार्थना करती है.

कैसे होती है करमा पर्व में पूजा ?

 झारखण्ड में होने वाले सभी प्राकृतिक पर्वों का आयोजन पाहन द्वारा किया जाता है.पूजा शुरू होने से पहले आंगन के बीच में पाहन जंगल से करम वृक्ष की शाखा लगाई जाती है.करम शाखा लगाने पर एक अलग गीत भी गाया जाता है.करमा के वृक्ष से डाल को एक बार में कुल्हाड़ी से काटा जाता है और इसे जमीन पर गिरने नहीं दिया जाता है.जंगल से लाकर घर के आंगन या अखरा के बीचों-बीच इसे लगाया जाता है.करमा पूजा के दिन खेत-खलिहान और घर में करमा के छोटे-छोटे डाल लगाए जाते हैं.


कर्मा वृक्ष रोपित होने के बाद पूजा के समय गांव के सभी वरिष्ठ नागरिक,बड़े-बुजुर्ग,माता-बहने सभी पूजा देखने और सुनने के लिए वहां आते हैं.पूजा करते समय करम वृक्ष के चारों ओर आसन पर बैठती है.प्रकृति के आराध्य देव मानकर इसे पूजते हैं.प्रसाद में चना,उड़द,जौ,गेहूं,मकई,ज्वार,कोदो का अंकुर और गुड़ होता है,जिसे करम देव को अर्पित कर वहाँ उपस्थित लोगों के बीच वितरण करते हैं.इस दौरान करमा और धरमा की कहानी सुनी जाती है,जो संदेश देती है कि जीवन को खुशहाल बनाने के लिए कर्म और धर्म दोनों की आवश्यकता होती है.जब तक दोनों के योग नहीं होता,विकास नहीं हो सकता.इसके बाद शुरू होता है नाच-गान का सिलसिला,जिससे रातभर आस-पास का क्षेत्र गूँजता रहता है.करमा पर्व के बासी दिन अर्थात् दूसरे दिन नवाँखानी यानी नया अन्न ग्रहण करते हैं.करमा तक गोड़ाधान पक जाता है.घर में पहला अनाज आ जाता है.उस खुशी में भी करमा पर्व मनाते हैं.


करम त्योहार में करम पेड़ की तीन डालियां लाकर पूजा-अर्चना की जाती है,किंतु आराधना,मंत्रोच्चारण एवं आह्वान में करम देव,करम गोसाँई अथवा करम राजा संबोधित करके ही अनुष्ठान किया जाता है.

करमा पर्व का महत्व क्या है ?

करमा पर्व के दिन बहनें उपवास करती है.वे उस दिन नाखून कटवाकर स्नान करती हैं और पैरों में आलता लगाती है.उस दिन वे रंग-बिरंगे नये वस्त्र पहनकर खूब श्रृंगार करती है.और तरह तरह के आभूषण पहनती है.जावा डाली को भी कच्चे धागे में गूँथे फूलों की माला से सजाया जाता है.उस दिन लड़कियां सुबह से ही प्रसन्न होती है,साथ ही उन्हें करम राजा से बिछुड़ने की दुःख भी होता है-

आज रे करम राजा घरे दुआरे ।

 काल रे करम राजा कांसाई नदीर धारे ।।

पूरे दिन नृत्य का कार्यक्रम चलता रहता है.शाम तक नौ बार नृत्य के लिए निश्चित स्थान पर जावा-डाली लाकर उसके इर्द-गिर्द नृत्य किया जाता है.

करमा पर्व पर मान्यता

पूजा स्थल पर प्रदीप रखकर करमैती करम के पत्ते पर खीरा रख कर उस पर पाxच बार काजल और सिन्दुर का टीका लगाती है.इसके बाद उस पर उरवा चावलों का चूर्ण डालती है.तदुपरांत खीरे के गोल-गोल टुकड़ों को करम वृक्ष की शाखा में जगह-जगह पिरो दिया जाता है अथवा बाँध दिया जाता है.खीरा पुत्र का प्रतीक माना जाता है.पुष्ट खीरे को करम राजा को समर्पित करके वे अपने लिए स्वस्थ पुत्र की कामना करती है.इसके बाद वे करम डाल के चारों ओर बैठ जाती है और हाथों में पूजा करने के निमित्त धान के नये-नये पौधों को ले लेती है.जावा –डाली के ऊपर इन्हें चढ़ाया जाता है.धान के पौधों द्वारा पूजा कृषि संस्कृति से इनके सम्बन्ध का स्पष्ट प्रमाण प्रस्तुत करती है.

पूजन समाप्ति के बाद कथा कही जाती है और कथा की समाप्ति पर सभी स्त्रियाँ करम वृक्ष की शाखा को गले लगाती है.इसके बाद शुरू होता है नृत्य का कार्यक्रम.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें