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Astrology: आपके ग्रहों की स्थिति बताती है किस दिशा में मिलेगी सफलता

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Astrology: समझ में नहीं आता कि किस दिशा में आगे बढ़ें और कौन-सा करियर विकल्प चुनें. इस स्थिति में ज्योतिष महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. हस्तरेखा और जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति का विश्लेषण करके यह पता लगाया जा सकता है कि जातक को किस क्षेत्र में जाना चाहिए और कहां मेहनत के अनुसार परिणाम प्राप्त होंगे.

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डॉ एनके बेरा, ज्योतिषाचार्य

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Astrology: करियर में एक पड़ाव आता है जब छात्र अपने विषय चयन को लेकर काफी उलझनों का सामना करते हैं. समझ नहीं आता कि किस दिशा में जायें, कौन-सा करियर विकल्प का चुनाव करें. ऐसे में ज्योतिष निर्णायक भूमिका निभा सकता है. हस्त रेखा व जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति देखकर जाना जा सकता है कि जातक को किस क्षेत्र में जाना चाहिए और कहां परिश्रम के अनुरूप परिणाम भी प्राप्त होगा…

ग्लोबलाइजेशन के इस युग में प्रत्येक व्यक्ति अधिकाधिक भौतिक सुविधाएं प्राप्त करना चाहता है. ये सुविधाएं उसके अर्जित किये गये ज्ञान और कौशल पर निर्भर करती हैं. 10वीं कक्षा उर्तीर्ण करने के बाद जब विषय-चयन का अवसर आता है, उस समय यदि अपनी रुचि, क्षमताओं एवं ग्रहों के बलाबल के अनुसार सही विषय चुनकर अध्ययन किया जाये, तो सफलता मिलने की संभावना अधिक रहती है.

किसी जातक के लिए कोई विषय उपयुक्त है अथवा नहीं, इसका निर्धारण उसके हाथ की रेखाएं देखकर तथा उसके जन्मकालीन ग्रहों को देखकर किया जा सकता है. जन्मकुंडली के ग्रहों की स्थिति देखकर ज्ञात किया जा सकता है कि जातक को किस क्षेत्र में जाना चाहिए, अतएव विषय चयन करने से पूर्व या करियर संबंधी अन्य कोई अति महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पूर्व ज्योतिषी से परामर्श कर निर्णय लेने से अप्रत्याशित सफलता प्राप्त होती है.

विभिन्न ग्रह योगों का विषय चयन में योगदान

जन्मकुंडली में द्वितीय भाव वाणी एवं ज्ञानोपयोग का, तृतीय भाव रुचि एवं पराक्रम का, चतुर्थ भाव एवं नवम भाव शिक्षा का और पंचम भाव उच्च शिक्षा और बुद्धि का कारक होता है. गुरु विद्या का, बुध बुद्धि का एवं मंगल तर्क क्षमता का परिचायक होता है. उत्तम विद्या-प्राप्ति के लिए जन्मपत्रिका में इन सभी का शुभ एवं बली होना आवश्यक है.

जातक के लिए उपयुक्त विषय का चयन करने से पूर्व दशम भाव और दशमेश की स्थिति पर भी ठीक प्रकार से विचार कर लेना चाहिए, चूंकि शिक्षा का अंतिम लक्ष्य उत्तम करियर का निर्माण ही है, इसलिए यह अवश्य देख लें कि विद्या (चतुर्थ एवं पंचम भाव) का आजीविका (दशम भाव) से संबंध है या नहीं.

इन सभी ग्रह-स्थितियों के साथ-साथ भाग्य एवं तृतीय भाव की स्थिति भी अच्छी होनी आवश्यक है. भाग्येश यदि प्रबल है, तो जातक को शिक्षा-प्राप्ति में आर्थिक बाधाओं या अन्य बाधाओं का सामना नहीं करना पड़ेगा तथा परिश्रम के अनुरूप परिणाम भी प्राप्त होगा.

विषय-चयन करते समय कुंडली में महादशा-अंतर्दशा का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए. यदि कुंडली में अच्छी शिक्षा के योग विद्यमान हों, किंतु दशा-अंतर्दशा प्रतिकूल चल रही हो, तो चयनित विषय में अपेक्षित सफलता प्राप्त नहीं हो पाती है. जैसे ही दशा-अंतर्दशा अनुकूल होती है, वैसे ही जातक को उक्त विषय में अपेक्षित सफलता प्राप्त होने लगती है.

इसी तरह हस्त रेखाओं द्वारा हथेली के रंग, बनावट, ग्रहों का पर्वत, भाग्य रेखा, मस्तिष्क रेखा, सूर्य रेखा, मंगल रेखा, बुध का स्थान, चंद्रमा की स्थिति, गुरु की स्थिति, शनि की स्थिति का विचार कर अनुकूल विषय का चयन कर सकते हैं और अच्छे करियर का चयन कर समाज में प्रतिष्ठित व्यक्ति के रूप में सुखी-संपन्न जीवन व्यतीत कर सकते हैं.

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