15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Astro Tips: क्या आपको भी जीवन में हमेशा दो रास्ते नजर आते हैं, जानिए कौन-सा चुनना चाहिए राह

Advertisement

Astro Tips: अक्सर जीवन में ऐसा मोड़ आता है जब व्यक्ति को समझ नहीं आता कि वह कौन-सा विकल्प चुने, किस रास्ते जाये, जो उसके जीवन को सही दिशा में ले जाये. ऐसे में अगर हम अध्यात्म की शरण में जायें, तो धुंधली तस्वीर साफ नजर आती है और आप यकीनन अपने लिए सही मार्ग चुन सकते हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

रजनीकांत पांडेय
Astro Tips: किसी एक ही दिशा में जाने के लिए दो रास्ते हैं. एक रास्ता तो ऐसा है, जो कंटकाकीर्ण है, पथरीला है, सड़क के किनारों पर लगे पेड़-पौधों की डालें सड़क की ओर आ गयी हैं, जिसके चलते पेड़ों में कांटें निकल आये हैं. सावधानी हटी तो कांटों के चुभने का अंदेशा भी है, जबकि उसी दिशा में जाने वाला दूसरा रास्ता बहुत साफ-सुथरा है, दुरुस्त है. आंख बंद कर चलने पर भी कहीं कांटों के चुभने या पत्थर के टुकड़ों से ठोकर खाकर गिरने का खतरा नहीं है. हर तरह की सुविधा भी इस रास्ते पर उपलब्ध होने की व्यवस्था है. दोनों रास्ते एक ही मंजिल की तरफ ले जाने वाला है, मगर मन उलझन में रहता है कि दोनों में से कौन-सा मार्ग चुनें, जो सही दिशा में ले जाये!
धर्म-अध्यात्म के जानकार आचार्य सलिल पांडेय इस बारे में गहरी जानकारी देते हैं.

- Advertisement -

कभी-कभी लोग बेवकूफ भी समझेंगे
स्वाभाविक है कि अधिकांश लोग सुगम रास्ते को चुनेंगे, क्योंकि दुर्गम रास्ते पर मिलने वाला कष्ट को ज्यादातर लोग उठाना नहीं चाहेंगे. इसके विपरीत दुर्गम रास्ते पर चलने वाले को लोग बेवकूफ समझेंगे तथा उपहास भी उड़ायेंगे. जबकि दुर्गम रास्ते पर चलने वाले ने यह सोचकर इस रास्ते को इसलिए वरीयता दी कि इस पर जो अवरोध आदि है, उसे वह हटाते और रास्ते को सुगम बनाते हुए चलेगा, ताकि भविष्य में किन्हीं कारणों से सुगम वाले रास्ते में कोई अनहोनी हो गयी, तो मजबूरी में लोगों को इसी रास्ते पर चलना होगा. जब रास्ता सुगम होगा, तो भले उसे कठिनाई हो रही है, लेकिन आने वाले समय में लोगों को किसी तरह कठिनाई न हो सके.

एक सकारात्मकता की राह, तो दूसरी नकारात्मकता की राह

यह तो भौतिक सड़क की बात है. अब जिंदगी की राह को भी देखा जाये तो जिंदगी जीने की भी दो-राहें होती हैं, जिनमें एक सकारात्मकता की राह है, तो दूसरी नकारात्मकता की राह. अब यह खुद को निर्णय करना पड़ता है कि किस रास्ते पर कदम रखा जाये. सकारात्मकता के रास्ते में नैतिक मूल्यों, कड़ी मेहनत, सत्यनिष्ठ आचरण, धैर्य और संतोषप्रद भावना को कीमती पूंजी समझ कर रखना होगा. संभव है कि समाज में नकारात्मक ढंग से जीने वाले भौतिक उपलब्धियों के बल पर बहुत आगे निकल रहे हों, लेकिन सत्चरित्र, कर्तव्यनिष्ठा और अनुभव की पूंजी है, वह सकारात्मक रास्ते पर चलने पर ही मिलेगी. सकारात्मक रास्ता सुकून की नींद देगा जबकि नकारात्मकता का रास्ता सबसे पहले नींद गायब करेगा, मन में भय देगा और आकस्मिक रूप से किसी विपत्ति के आने पर उससे जूझने की शक्ति छीन लेगा, क्योंकि जिंदगी में हर वक्त एक जैसी परिस्थितियां नहीं होती हैं.

Kedarnath Opening Date 2024: ज्योतिर्लिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि तय, जानें श्रद्धालु कब कर सकेंगे दर्शन

आत्मबल छीनता है नकारात्मक तरीका

इतिहास के पन्नों को पलट कर देखा जाये, तो सबूत के तौर पर ऐसे तमाम लोगों के उदाहरण मिल जायेंगे, जिनका किसी कालखंड में बहुत प्रभाव था, लेकिन उसी प्रभावशाली शख्स के जीवन में ऐसा भी समय आया कि वह दीनहीन बनने के लिए मजबूर हो गया. नकारात्मक तरीका आत्मबल भी छीनता है. गलत ढंग से उपलब्धियां अर्जित करते समय भले ही ऐसा लगता हो कि इसकी भनक किसी को नहीं लग रही है, लेकिन खुद अपना मन तो जानता है कि अकूत भौतिक उपलब्धियों के लिए जो तरीका अपनाया गया है, वह सही नहीं है. गलत कार्य करते समय एकांत की तलाश होती है. यदि प्लानिंग बनाकर समूह में गलत कार्य किया जाता है, तो समूह में शामिल लोग ही एक दूसरे पर विश्वास नहीं करते हैं. एक अज्ञात भय समूह के पूरे लोगों में समाया रहता है. जिंदगी की सर्वाधिक कष्टदायी स्थिति मन का भयाक्रांत होना ही है. अंदर से डरा हुआ व्यक्ति आंख मिलाकर बात करने का साहस खो बैठता है. अनेक बार तो यह भी हालत हो जाती है कि किसी अन्य नकारात्मक व्यक्ति को संकट में पड़ जाने की सूचना से यह लगने लगता है कि कहीं यही हालत उसकी भी न हो जाये.

सकारात्मक मार्ग पर मिलते हैं दो उपहार

अगर हम सकारात्मक मार्ग पर चलें तो यह तरीका आपको पहला उपहार आत्मविश्वास के रूप में देता है और दूसरा अनुभव प्रदान करता है. किसी काम को संपादित करने में पहली बार कुछ दिक्कतें आ सकती हैं, लेकिन आगे चलकर उसी काम को करने में सरलता महसूस होने लगती है. किसी वाहन के संचालन का ही उदाहरण लिया जाये, तो पहली बार उसे संचालित करने में जितनी सजगता बरती गयी, धीरे-धीरे उसमें कमी आती जायेगी. फिर तो एक ऐसा भी समय आ जाता है कि कब गेयर बदलना है, कब ब्रेक लगाना है, कब स्पीड तेज और कम करना है, वह स्वतः होने लगता है. जिंदगी की डगर में भी यही स्थिति होती है. मन रूपी ड्राइवर सकारात्मक रहा है, तो दुर्घटना की संभावना कम होती जाती है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें