34 C
Ranchi
Tuesday, April 22, 2025 | 09:09 am

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

भगवान शिव तो सब जीवों के हैं

Advertisement

योगेंद्र झा सृष्टि के प्रारंभ से ही जीवों में वर्चस्व की लड़ाई होती रही है. इसका मूल कारण उदर पूर्ति या भूख था. जीवों का भोजन जीव है- ‘जीवोजीवस्य भोजनम्’ की अवधारण का प्रारंभ उसी काल से प्रारंभ हो गया. इसी क्रम में शाकाहारी, मांसाहारी एवं शाका-मांसाहारी का भी जन्म हुआ, पर मानव अन्य प्राणियों […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

योगेंद्र झा

सृष्टि के प्रारंभ से ही जीवों में वर्चस्व की लड़ाई होती रही है. इसका मूल कारण उदर पूर्ति या भूख था. जीवों का भोजन जीव है- ‘जीवोजीवस्य भोजनम्’ की अवधारण का प्रारंभ उसी काल से प्रारंभ हो गया. इसी क्रम में शाकाहारी, मांसाहारी एवं शाका-मांसाहारी का भी जन्म हुआ, पर मानव अन्य प्राणियों की तुलना में एक चीज के कारण आगे बढ़ता गया. वह थी बुद्धि, जो ज्ञान और विज्ञान में परिवर्तित होता गया.

इसी से उसे अनुभव हुआ कि कोई शक्ति है, जो अदृश्य है और ब्रह्मांड को चल रही है. इसी शक्ति ने ईश्वर का मूर्त-अमूर्त रूप सामने लाया. प्राचीन भारत में मूर्त रूप ईश्वर को देखने की प्रवृत्ति जागी, जो बाद में विश्वास एवं आस्था में परिवर्तित हुई. मूर्तरूप के कारण वैष्णव-शैव एवं शाक्त परंपरा का प्रार्दुभाव है.

शैव से शिवभक्ति जगी. लोगों ने शिव के साक्षात रूप जो सत्यं-शिवं-सुंदरम् को जाना, पर वह सुंदरता दैहिक नहीं थी- आध्यात्मिक एवं विश्वास के योग्य थी. शिव का वह रूप सुंदर है और विभत्स भी. शिव अकेला, पर भक्तों, भूत-प्रेतों, सर्पों, पशुओं आदि के साथी भी हैं. वह सर्वहारा के भी हैं.

यही कारण है कि शिव भारतवर्ष में हिंदु मान्यताओं के अनुसार सर्वपूजित ईश्वर हैं. उनकी पूजा-भूखे पेट या खाकर भी की जाती है. उनकी पूजा गंगाजल एवं सामान्य जल से की जाती है. वे ज्योतिर्लिंग के रूप में प्राप्तवान हैं और बिना ज्योतिर्लिंग के रूप में भी. यही तो शिव की महिमा है. लोगों ने शिव को पहचाना, पर उनका आदि और अंत का पता करना कठिन था. ऐसी भावना जागी :

अतीत पन्थानां तब च महिमा वांगमनसमो,

स कस्यस्तोत्य: कीर्तिविधगुण: कस्य विषय:

पदेर्त्ववाचीने पंतति न मन, कस्य न वच:।।

अर्थात हे शिव, आपकी महिमा पहुंच से परे है. आपकी महिमा वेद भी स्वीकारता है. आपकी महिमा की स्तुति के लिए वर्ण की कमी हो जाती है. आपके सगुण रूप पर आशक्त होना स्वाभाविक है. सभी आपके गुण रूप की प्रार्थना करते हैं.

हे वर देनेवाले शिव, आपकी महिमा से ही इस ब्रह्मांड का सृजन, पालन एवं पतन होता है. आप की महिमा का ही प्रताप है कि जीव चलता है, थमता है व विलीन भी हो जाता है. इसकी स्वीकृति सभी वेदों ने की है.

तवैर्श्चयतज्ज मदुदरक्षाप यकृत

त्रवीण वस्तु तिसृपुगुण भिन्नासु तनुषु।

अभव्यानामस्मिन वरद रमणीयाम रमणी

विहन्तु व्याक्रोशी विद्यत इहैके जड़धिव:।।

शिव तो पूर्ण समर्पित हठी, क्रोधी भक्तों पर भी पसीज जाते हैं, लगत समर्पण पर दंड भी देते हैं. उसके विनाश का कारण भी बनते हैं. शिव वरदान देने के साथ उसके क्रियाकलाप पर भी निगाहें रखते हैं और दंभी की दमता का नाश हो जाता है.

अमुष्य त्वत्सेवा समधिगतंसारं भुजवनं

बलात कैलासेधिगतंसारं भुजवनं

बलात कैलाशेअपि त्वच्धिक्सतौ विक्रयत:।

अलम्या पातालेव्यल सचलिताष्ठ शिरसि

प्रतिष्ठा व्वस्यासीद ध्रुवमूप चितोमुहति खल।।

हे त्रिपुरारी, आपकी सेवा में रावण शक्तिशाली बना. उसने अभिमान में कैलाश को उठा कर तौलने का प्रयास किया, पर आपके पैर के अंगूठे के रोक के कारण वह कैलाश को हिला भी न सका. उसका अभिमान चूर-चूर हो गया. तो शिव की महिमा है कि उनका पूजन करनेवाला भले ही उन पर न्याेछावर रहे, पर वह दंभी न हो, भुजबल का प्रयाेग न करें.

शिव की महिमा ऐसी है कि गरीब, अमीर, शक्तिशाली, कमजोर, ऋषि, संन्यासी, गृहस्थ, ब्राह्मण, गैर-ब्राह्मण सभी समान है. वे सभी को पसंद करते हैं. वह सर्वव्यापी, सर्वज्ञानी है,पर उन्हें पाने के लिए पवित्र अंत:करण, परमशक्ति एवं समर्पण जरूरी है. शिव की अनुकंपा से संपन्नता आती है, जीवन सुखद एवं पवित्र हो जाता है. उनका सानिध्य प्राप्त होता है.

अहरणं वयं धूर्जते: स्रोत्र: मेतत्

पठति परममकत्या शुद्धचित: पुमान य:।

मबति शिव लोके रुद्रतुल्यस्तयात्र

प्रचुरतरघनायु: पुत्रवान कीर्तिमाश्व।।

लेखक : सेवानिवृत्त कल्याण आयुक्त

[quiz_generator]

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snaps News reels