26.4 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 04:37 pm
26.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

श्रद्धांजलि : आंखों से दुनिया देखते रहेंगे दूधनाथ सिंह

Advertisement

!!प्रवीण तिवारी!! मैं मरने के बाद भी याद करूंगातुम्हें तो लो, अभी मरता हूंझरता हूं जीवन की डाल से……. -दूधनाथ सिंह …और अब हमारे बीच प्रसिद्ध साहित्यकार दूधनाथ सिंह नहीं रहे. अपने लिखे प्रचुर साहित्य के साथ-साथ अपनी आंखें भी दान दे गये. जिन आंखों से वे दुनिया देखते रहेंगे. गुरुवार की देर रात उन्होंने […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

!!प्रवीण तिवारी!!

मैं मरने के बाद भी
याद करूंगा
तुम्हें
तो लो, अभी मरता हूं
झरता हूं
जीवन की
डाल से…….

- Advertisement -

-दूधनाथ सिंह

…और अब हमारे बीच प्रसिद्ध साहित्यकार दूधनाथ सिंह नहीं रहे. अपने लिखे प्रचुर साहित्य के साथ-साथ अपनी आंखें भी दान दे गये. जिन आंखों से वे दुनिया देखते रहेंगे. गुरुवार की देर रात उन्होंने अंतिम सांस ली. वे प्रोस्टेट कैंसर के शिकार थे. दो साल पहले उनकी पत्नी निर्मला ठाकुर का भी निधन हो चुका था. अपने पीछे वे भरा-पूरा परिवार छोड़ गये हैं. उनकी कहानियों ने साठोत्तरी भारत के पारिवारिक, आर्थिक, नैतिक व मानसिक सभी क्षेत्रें में उत्पन्न विसंगतियों को चुनौती दी थी. उनके चेहरे पर सदैव मुस्कुराहट कायम रही. वे सबसे खुलकर मुस्कराकर ही मिलते थे.

विलक्षण प्रतिभा के धनी थे दूधनाथ सिंह

एक और बात कि हिंदी में एक साथ इतना अलग-अलग विधाओं में लिखने वाला लेखक कम ही मिलता है. वे विलक्षण प्रतिभा के धनी थे. दूधनाथ सिंह ने एक साथ कहानी से लेकर कविता, संस्मरण, आलोचना, संपादन, आलेख आदि लिखा और उन्होंने इन सभी विधाओं के लेखन के साथ न्याय भी किया, जब उनके संस्मरण ‘लौट आओ धार’ को पढ़ेगें, जो एक जबरदस्त गद्य लेखन है. तो उस दोबारा से पढ़ने की इच्छा होगी.

इसे भी पढ़ें : मशहूर साहित्यकार दूधनाथ सिंह का निधन, प्रोस्टेट कैंसर से थे पीड़ित

फिर उनकी कहानियां ‘रक्तपात’, ‘धर्मक्षेत्रे-कुरूक्षेत्रे’, ‘तूफू’ और ‘जनमुर्गियों का शिकार’ पठनीयता के दृष्टिकोण से बेहद लोक प्रिय हुई. उनकी लिखी एक कहानी ‘का करूं साबजी’ को पढ़ते हुए महसूस होगा कि हम इस युग को जी रहे है. इसमें बेरोजगारी के समय के हालातों को बेहद खूबसूरती से लिखा गया है, जो हमारे लिए आज भी प्रासंगिक है.

नयी कहानी आंदोलन को दी चुनौती

दरअसल, दूधनाथ सिंह ने नयी कहानी आंदोलन को चुनौती दी और साठोत्तरी कहानी आंदोलन का सूत्रपात किया. अपनी कहानी रक्तपात में लिखते है-‘‘बहुत खराब लगता है. और नहीं तो क्या? वहां तप करते रहे. मर्द तो कुत्ते होते ही है. इधर पतल चाटी, उधर चीभ चटखारी, उधर हांड़िया में मुंह में डाला……….सभी लाज-लिहाज तो बस, हमारे लिए ही है.’ अपने लेखन के साथ-साथ उन्होंने लेखकों की एक समृद्ध पीढ़ी भी तैयार की और संस्थागत रूप से साहित्य रचना को प्रश्रय दिया.

महादेवी और निराला के प्रिय थे दूधनाथ

दूधनाथ सिंह की गिनती हिंदी के चोटी के लेखकों-चिंतकों में होती है. वे महादेवी वर्मा और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के प्रिय थे. उन्होंने संपादन कार्य भी किया, जिसमें सुमित्रानंद पंत की कविताओं के साथ शमशेर और निराला की भक्ति कविताओं का संकलन शामिल है. ‘पक्षधर’ पत्रिका का एक अंक निकाला, जो आपातकाल के दौरान सरकार द्वारा जप्त कर ली गयी. उनके बारे में वरिष्ठ कवि-कथाकार, कला समीक्षक वो पत्रकार प्रयाग शुक्ल ने दूरभाष पर कहा कि ‘मुझे अफसोस है दूधनाथ सिंह के जाने का. जब मैं कलकता में था, वह भी कलकता में थे. 1961–62 की बात है. तब से हम एक–दूसरे को जानते है. हम बराबर संपर्क में थे. सबसे बड़ी कि पिछले 10-15 वर्षों में उन्होनें अद्भूत काम किया है.

बड‍़े साहित्यकारों की कृति का किया संपादन

महादेवी वर्मा, शमशेर, निराला और केदारनाथ अग्रवाल पर संपादन किया. उन्हें याद करते हुए लिखा जो हमारे मूर्धन्य रहे हैं. एक लेखक का अपने लिखने के साथ अपने से बड़ों पर लिखना–उन्हें याद करना महत्वपूर्ण हो जाता है फिर ‘सन साठ के बाद कहानियों’ का संपादन उनके सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है. भिन्न–भिन्न विधाओं में काम किया. दूधनाथ सिंह अपने लेखन से हमारे साथ बने रहेंगे-बचे रहेंगे.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें