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क्या पाब्लो नेरुदा की हत्या हुई थी? इस सवाल के बीच पढ़ें उनकी यादगार कविताएं

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चिली के नोबेल पुरस्कार विजेता कवि पाब्लो नेरूदा की मौत का रहस्य एक बार फिर गहराने लगा है. फोरेंसिक विशेषज्ञों के अनुसार नेरूदा की मृत्यु कैंसर से नहीं हुई थी. इस राय के सामने आने के बाद से चर्चा शुरू हो गयी है कि क्या नेरुदा की हत्या हुई थी? 1973 में चिली के सैनिक […]

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चिली के नोबेल पुरस्कार विजेता कवि पाब्लो नेरूदा की मौत का रहस्य एक बार फिर गहराने लगा है. फोरेंसिक विशेषज्ञों के अनुसार नेरूदा की मृत्यु कैंसर से नहीं हुई थी. इस राय के सामने आने के बाद से चर्चा शुरू हो गयी है कि क्या नेरुदा की हत्या हुई थी? 1973 में चिली के सैनिक जनरल ऑगस्टो पिनोचे ने अलेंदे सरकार का तख्ता पलट दिया था. इसी दौरान राष्ट्रपति अलेंदे की मौत हो गयी और उसके 12 दिन बाद ही नेरूदा की भी मौत हो गयी थी. सेना ने उनके घर के हर सामान को तोड़ दिया था और उनकी अंतिम यात्रा के वक्त कर्फ्यू लगा दिया गया था, बावजूद इसके उनकी अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए. नेरुदा साम्यवाद के समर्थक थे, उनकी अंतिम यात्रा के दौरान लोगों ने नेरुदा का यह गीत गाया था- "एकजुट लोगों को कोई ताक़त नहीं हरा सकती.

अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की 16 सदस्यीय विशेष जांच दल नेरूदा के मौत के कारणों का पता लगा रहा है. फोरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद अब यह बात साबित हो गई है कि नेरूदा की मौत कैंसर से नहीं हुई थी, हालांकि उनकी मौत के असल कारणों का अभी भी पता नहीं चल पाया है.
नेरूदा की पत्नी माल्टिडे का कहना था कि नेरुदा कैंसर से पीड़ित ज़रूर थे लेकिन वह जानलेवा नहीं था. नेरूदा के ड्राइवर अराया ने बताया था कि जिस दिन नेरूदा की मौत हुई उस दिन उनके पेट में इंजेक्शन लगाया गया था. नेरुदा की मौत का सच सामने आये या ना आये, लेकिन यह तो तय है कि अपनी कविताओं के जरिये वे हमेशा अपने चाहने वालों के दिलों पर राज करेंगे.

पढ़ें उनकी कुछ यादगार कविता:-
ना होना शायद तुम्हारे साथ ना होना है
-पाब्लो नेरूदा-
ना होना शायद तुम्हारे साथ ना होना है,
बिना तुम्हारे चल पड़ने के, एक नीले फूल की मानिंद
धूप को चीरते हुए, और फिर आंखों से ओझल हो जाना
पथरीली पगडंडी से कोहरे के पार,
तुम्हारे हाथ में उस दीये के बिना
सिर्फ़ मेरी नज़रों में जो सुनहरा है,
और किसी को पता नहीं
गुलाब की कलियों में से खिल उठा है,
और सबसे बड़ी बात, तुम्हारे होने, तुम्हारे आये बिना
अचानक उमड़कर मेरी ज़िंदगी को पहचानते हुए
गुलाब के पौधे से, गेंहू की खेत से छनती हवा की तरह
और इसका मतलब कि मैं हूं, चूंकि तुम हो.
तुम्हारे होने से मैं हूं, और हम हैं
और प्यार की ख़ातिर, तुम्हें, मुझे,
हमें, होना है, हम होंगे.
(उज्जवल भट्टाचार्य द्वारा अंग्रजी से अनूदित)
अगर तुम मुझे भूल जाओ
मैं चाहता हूं तुम्हें पता हो
यह बात.
तुम्हें पता है बात कैसी है
जब मैं
चमकते चांद, या पतझड़ में
खिड़की के सामने शाखों को देखता हूं,
अगर मैं
आग के नजदीक
बुझी हुई राख
या झुलस चुके तने को छूता हूं,
यह सब मुझे तुम्हारी ओर ले जाता है,
मानो कि सबकुछ
महक, रोशनी, हर चीज़
छोटी-छोटी नावें हैं
मुझे बहा ले जाती हैं
तुम्हारे टापू की ओर जिसे मेरा इंतज़ार है.
बहरहाल,
अगर धीरे-धीरे तुम्हारा प्यार ख़त्म हो जाये
मेरा प्यार ख़त्म हो जायेगा धीरे-धीरे.
अगर अचानक
तुम मुझे भूल जाओ
मुझे मत खोजना,
मैं तुम्हें भूल चुका होऊंगा.
अगर तुम पागलों की तरह सोचती रहो
मेरी ज़िंदगी से होकर
कितने परचम लहराए,
अगर तुम तय करती हो
मुझे दिल के उस तट पर छोड़ जाना
जहां मेरी जड़ें हैं,
याद रखना
उसी दिन
उसी घड़ी
अपनी बांहें फैलाकर
अपनी जड़ों के साथ मैं निकल पड़ूंगा
किसी दूसरे मुल्क की ओर.
लेकिन
अगर हर दिन,
हर घड़ी,
तुम्हें यह अहसास हो कि तुम मेरी हो
अपनी मिठास के साथ,
अगर हर रोज़ तुम्हारे होठों पर
एक फूल खिलता रहे मुझे खोजते हुए,
मेरी प्रियतमा, मेरी अपनी,
मुझमें वह सारी आग कायम है,
कुछ भी बुझी नहीं, कुछ भी भूला नहीं,
तुम्हारा प्यार मेरे प्यार का बसेरा है, प्रियतमा,
ज़िन्दगी भर वह तुम्हारे आगोश में होगी
मुझे छोड़े बिना.

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(उज्जवल भट्टाचार्य द्वारा अंग्रजी से अनूदित)

एक औरत का जिस्म
सफ़ेद पर्वतों की सी रानें
तुम एक पूरी दुनिया नज़र आती हो
जो लेटी है समर्पण की मुद्रा में
मेरी ठेठ किसान देह धंसती है तुममें
और धरती की गहराइयों से सूर्य उदित होता है
मैं एक सुरंग की तरह तनहा था
चिड़िया तक मुझसे दूर भागती थीं,
और रात एक सैलाब की तरह मुझ पर धावा बोलती थी
अपने बचाव के लिए मैंने तुम्हें एक हथियार की मानिंद बरता
मानो मेरे तरकश में एक तीर, मेरी गुलेल में एक पत्थर
लेकिन प्रतिशोध का वक़्त खत्म हुआ और मैं तुम्हें प्यार करता हूं
चिकनी रपटीली काई सा अधीर लेकिन सख़्त दूधिया शरीर
ओह ये प्यालों से गोल स्तन, ये खोई सी वीरान आंखें!
ओह नितंब रूपी गुलाब! ओह वह तुम्हारी आवाज, मद्धम और उदास!
ओह मेरी औरत के जिस्म, मैं तुम्हारे आकर्षण में बंधा रहूंगा
मेरी प्यास, मेरी असीम आकांक्षाएं मेरी बदलती राह!
उदास नदियों के तटों पर निरंयर बहती असीमित प्यास
जिसके बाद आती है
असीमित थकान और दर्द.
(संदीप कुमार द्वारा अंग्रेज़ी से अनूदित)
आप एक धीमी मौत मरने लगते हैं
आप एक धीमी मौत मरने लगते हैं
अगर आप नहीं निकलते सफऱ पर
अगर आप नहीं निकालते पढ़ने के लिए वक़्त
अगर आप ज़िंदगी की गूंज सुनना बंद कर देते हैं
अगर आप बंद कर देते हैं ख़ुद को सराहना
आप एक धीमी मौत मरने लगते हैं
जब आप अपने ही स्वाभिमान को मार देते हैं
जब आप औरों की मदद लेने तक से गुरेज करते हैं
आप एक धीमी मौत मरने लगते हैं
जब आप अपनी आदतों के ग़ुलाम बन जाते हैं
जब आप रोज़ पुरानी राहों पर ही चलते हैं
जब आप नहीं बदलते अपने पुराने ढर्रे
जब आप की पोशाक से रंगीनियत उड़ जाती है
या आप बंद कर देते हैं अजनबियों से गुफ्तगू
आप एक धीमी मौत मरने लगते हैं
अगर आप महसूस नहीं कर पाते जुनून को
और उन उतरती चढ़ती भावनाओं को
जिनसे चमक उठती हैं आपकी आंखें
और तेज हो उठती हैं दिल की धड़कनें
आप एक धीमी मौत मरने लगते हैं
अगर आप अपने काम, अपने प्यार से संतुष्ट न होने पर
भी, बदलते नहीं हैं ज़िन्दगी जीने का तरीका
अगर आप अनिश्चितता के पक्ष में जोख़िम लेना बंद कर देते हैं
अगर आप अपने ख़्वाब का पीछा नहीं करते
अगर आप जिंदगी में कम से कम एक बार
समझदारी भरी सलाह से दूर नहीं भागते
(संदीप कुमार द्वारा अंग्रेज़ी से अनूदित)

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