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कौन हैं विनोद तावड़े जिनपर लगा है चुनावी आचार संहिता उल्लघंन का आरोप? जानिए पूरी बात

Vinod Tawde : बीजेपी नेता विनोद तावड़े पर चुनावी आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगा है. चुनाव आयोग से यह मांग की गई है कि उन्हें निर्वाचन क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति ना दी जाए. अकसर चुनाव के पहले राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर चुनावी आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाती हैं. आखिर क्या होती आचार संहिता जिसके उल्लंघन की बात हमेशा चुनावी माहौल में की जाती है? क्या आचार संहिता के उल्लंघन पर कोई सजा हो सकती है?

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Vinod Tawde : बीजेपी नेता विनोद तावड़े महाराष्ट्र चुनाव की वोटिंग से पहले चर्चा में हैं. उनपर मतदान से पहले पैसे बांटने का आरोप लगाते हुए बहुजन विकास अघाड़ी के नेताओं ने चुनाव आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज कराई है. बहुजन विकास अघाड़ी ने चुनाव आयोग से यह मांग की है कि उन्हें निर्वाचन क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति ना दी जाए.  शिकायत दर्ज कराने वाली पार्टियों का आरोप है कि विनोद तावड़े ने चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन किया है. उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया गया है और कैश भी बरामद किया गया है.  

कौन हैं विनोद तावड़े

विनोद तावड़े बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव हैं. 61 साल के विनोद तावड़े का जन्म मुंबई में हुआ है. वे अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत में ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए थे. 2014 में उन्होंने बोरेवली विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीता था और मंत्री भी रहे थे. विनोद तावड़े पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के महासचिव भी रहे हैं. हालिया विवाद तब हुआ जब विनोद तावड़े मुंबई के विरार इलाके में एक होटल पहुंचे. विनोद तावड़े का कहना है कि वे पार्टी नेताओं के साथ चुनाव को लेकर बैठक कर रहे थे, जबकि विपक्ष का आरोप है कि विनोद तावड़े होटल में लोगों को बुलाकर पैसे बांट रहे थे. 

क्या है चुनावी आचार संहिता?

चुनावी आचार संहिता का अर्थ उन आदेशों से है जिसे चुनाव आयोग देश और राज्यों में निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए लागू करता है. चुनावी आचार संहिता या Model Code of Conduct तब लागू होता है जब चुनाव की घोषणा होती है. आदर्श आचार संहिता तब तक लागू रहती है, जबतक चुनाव आयोग चुनाव के अंतिम परिणाम की घोषणा ना कर दे और यह ना बता दे कि चुनावी प्रक्रिया अब समाप्त हो गई है. चुनाव आयोग का यह दायित्व है कि वह सभी पार्टियों को अपना प्रचार करने और मतदाताओं तक अपनी आवाज पहुंचाने और योजनाओं की जानकारी देने का अवसर दे. चुनाव आयोग आचार संहिता के जरिए प्रचार के दौरान किसी भी तरह के नफरत फैलाने की कोशिशों पर भी अंकुश लगाता है. किसी को गलत तरीके से लाभ पहुंचाने की कोशिश को भी चुनाव आयोग आचार संहिता का उल्लंघन मानता है और उसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए वह स्वतंत्र है. अपुष्ट आरोपों पर भी चुनाव आयोग कार्रवाई करता है. पूजा स्थल के दुरुपयोग पर भी पाबंदी होती है.

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मतदान दिवस के लिए भी विशेष दिशानिर्देश होते हैं, जिसके तहत चुनाव प्रचार समाप्त होने के बाद मतदाताओं को किसी भी तरह से लुभाने के प्रयासों पर रोक होती है. चुनाव ड्‌यूटी पर तैनात अधिकारियों के साथ राजनीतिक दल और उम्मीदवार सहयोग करेंगे, यह तमाम बातें आचार संहिता में शामिल होती हैं.

आचार संहिता के उल्लंघन पर क्या होता है?

चुनावी आचार संहिता के उल्लंन पर दोषी पाए गए व्यक्ति के खिलाफ चुनाव आयोग कार्रवाई कर सकता है. आमतौर पर चुनाव आयोग के पास जो शिकायत पहुंचती है उसपर कार्रवाई नहीं होती है. मामला अगर संगीन हो तो चुनाव आयोग प्रचार पर प्रतिबंध लगा देता है या फिर चेतावनी देता है. हालांकि चुनाव आयोग किसी पार्टी या व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी कर सकता है, जिसमें नामांकन रद्द करना भी शामिल है. इसके अलावा चुनाव आयोग जुर्माना भी लगा सकता है और अगर मामला चुनावी हिंसा से जुड़ा रहा, तो जेल तक की सजा का प्रावधान भी है. 

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