EXCLUSIVE: पश्चिम बंगाल से लगे झारखंड के इलाकों में 2019 की तुलना में कई जगह मतदाताओं की संख्या काफी बढ़ने की बात सामने आ रही है. सरकार से जुड़ी एजेंसियों की इस पर पैनी निगाह है. चुनाव आय़ोग इसकी जांच कराने जा रहा है. राजनीतिक दल इसे लेकर काफी गंभीर हैं. खास कर संतालपरगना इलाके के कई विधानसभा क्षेत्रों में नए जुड़े मतदाताओं की बाढ़ आने की बात कही जा रही है. ये इलाके पहले से ही बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर काफी संवेदनशील रहे हैं. भाजपा और कांग्रेस के बीच इस पर जुबानी जंग भी चलती रही है.
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने दिए जांच के निर्देश
राजमहल विधानसभा क्षेत्र में कई मतदान केंद्रों पर असामान्य तरीके से मतदाताओं की संख्या बढ़ने को झारखंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के रविकुमार ने गंभीरता से लिया है. रविकुमार ने इसकी जांच कराने के निर्देश दिए हैं. इसके लिए राज्य के मंत्रिमंडलीय निर्वाचन विभाग की टीम तीन और चार जुलाई को इस विधानसभा सीट का दौरा कर आरोपों की तहकीकात करेगी. तहकीकात के क्रम में पिछले पांच साल में नए जुड़े मतदाताओं का भौतिक सत्य़ापन भी हो सकता है. इसके अलावा उनके पहली बार मतदाता बनने या पहले किसी दूसरे इलाके में मतदाता रहे होने के दस्तावेजों की भी जांच की जा सकती है. गड़ब़ड़ी पाए जाने पर मतदाता सूची से इनके नाम हटाए भी जा सकते हैं.
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राजमहल में 73 मतदान केंद्रों पर वोटर बेतहाशा बढ़े
राजमहल विधानसभा क्षेत्र के 73 मतदान केंद्रों पर वोटरों की संख्या में 10 प्रतिशत से लेकर 100 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी होने की शिकायत की गई है. वहीं राजमहल प्रखंड कार्यालय परिसर स्थित 187 नंबर मतदान केंद्र पर तो 2019 की तुलना में 2024 में मतदाताओं की संख्या में 117 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है. 2019 के लोकसभा चुनाव के समय इस मतदान केंद्र पर मतदाताओं की संख्या 672 थी. जो अब बढ़कर 1461 हो गई है. यानी 789 का इजाफा होने के आरोप हैं. राजमहल के भाजपा विधायक अनंत ओझा ने कथित रूप से मतदाताओं की संख्या में बेतहाशा वृद्धि वाले ऐसे 73 मतदान केंद्रों की सूची झारखंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के रविकुमार को सौंपी है. इन में पांच ऐसे मतदान केंद्र हैं, जहां मतदाताओं की संख्या में 50 फीसदी का इजाफा हुआ है.
अनंत ओझा ने प्रभात खबर से बातचीत में बताया कि बंगाल के सीमावर्ती इलाकों में सरकारी एजेंसियां समय रहते इस पर सचेत नहीं हुई तो आने वाले दिनों में गंभीर खतरे का सामना करना पड़ सकता है.
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आठ विधानसभा क्षेत्रों में बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या
जानकारों का मानना है कि झारखंड के आठ विधानसभा क्षेत्र बांग्लादेशी घुसपैठ से बुरी तरह प्रभावित हैं. ये सभी संतालपरगना इलाके में हैं. इनमें राजमहल के अलावा बरहेट, बोरियो, लिट्टीपाड़ा, पाकुड़, जामताड़ा, नाला और मधुपुर हैं. समय-समय पर हिंदूवादी संगठनों की ओर से इस पर राज्य सरकार पर शह देने के आरोप भी लगाए जाते रहे हैं. वहीं कांग्रेस और झामुमो समेत दूसरे भाजपा विरोधी दल बांग्लादेशी घुसपैठ को केवल संघ परिवार का प्रलाप बताते हैं. इस मुद्दे पर झारखंड विधानसभा में भी कई बार हंगामा हो चुका है.
बिहार का सीमांचल भी बुरी तरह से प्रभावित
बिहार का कोसी प्रमंडल और सीमांचल से लगा इलाका भी बांगलादेशी घुसपैठ से बुरी तरह प्रभावित रहा है. खासकर पूर्णिया, कटिहार, अररिया, किशनगंज आदि जिलों में इसे लेकर लगातार आंदोलन होते रहते हैं. उस इलाके में यह राजनीतिक और चुनावी मुद्दा भी बनता रहा है. झारखंड के साहेबगंज जिले की सीमा भी बिहार के इस इलाके से मिलती है. बीच में विभाजन रेखा के रूप में गंगा नदी है, जिसे नाव से पार करना आसान है.
ग्राफिक्स
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