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Bangladesh Protests Reason : बांग्लादेश में आरक्षण का जिन्न बाहर आया, तो लगी आग, भारत को भी कर चुका है परेशान

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Bangladesh Protests Reason : बांग्लादेश में आरक्षण की आग में पूरा देश जला और कई युवाओं की मौत भी हुई. भारतीय उपमहाद्वीप में आरक्षण की व्यवस्था है और इसने भारत को भी कई बार जलाया है.

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Bangladesh Protests Reason : बांग्लादेश में आरक्षण का जिन्न जब बोतल से बाहर आया तो भारी तबाही लेकर आया और उसने आवामी लीग की सरकार को लील लिया. स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को दिए जाने वाले 30 प्रतिशत आरक्षण के विरोध में बांग्लादेशी युवक भड़के हुए थे और इसी आरक्षण नीति का विरोध करते हुए वे एक जुलाई को सड़क पर उतर गए थे. सरकार ने इन आरक्षण विरोधियों के साथ नरमी बरतने की बजाय उनके प्रदर्शन को दबाने की कोशिश की, जिसकी वजह से आंदोलन उग्र होता गया. 300 से अधिक लोगों की मौत हुई और 1500 घायल भी हुए.

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1972 में हुई थी बांग्लादेश में 30 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था


शेख हसीना आवामी लीग का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिसके संस्थापक उनके पिता मुजीबुर रहमान थे, जो बांग्लादेश के संस्थापक थे. इनके शासनकाल में ही 1972 में बांग्लादेश के लिए लड़ाई लड़ने वाले स्वंत्रता सेनानियों और उनके परिवार वालों के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई थी. इस आरक्षण का देश में बार-बार विरोध होता रहा, जिसके बाद 2018 में शेख हसीना की सरकार ने ही आरक्षण को पूरी तरह से समाप्त कर दिया था. लेकिन 2021 में आरक्षण के पक्षधर कोर्ट पहुंचे और 2024 में कोर्ट ने आरक्षण को फिर से लागू कर दिया. कोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ एक जुलाई से बांग्लादेश जल रहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने 30 प्रतिशत आरक्षण को घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया और अन्य श्रेणी के आरक्षण को दो प्रतिशत पर ला दिया, लेकिन आरक्षण का विरोध घटा नहीं और बांग्लादेश जलता रहा. ध्यान देने वाली बात यह है कि बांग्लादेश में आरक्षण के स्वरूप में 1972 से 2024 तक कई बार बदलाव किए गए, लेकिन स्वतंत्रता सेनानियों के 30 प्रतिशत आरक्षण को जस का तस रखा गया था. यही वजह थी कि वहां के स्टूडेंट नाराज थे. उन्होंने महिलाओं और दिव्यांगों के आरक्षण से कोई खास दिक्कत नहीं थी.

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भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश का समाज एक जैसा

दक्षिण एशियाई देशों में आरक्षण की आग से सरकारें जलती रही हैं. भारत में भी कई बार आरक्षण की आंच में सरकारें झुलसी हैं. भारतीय उपमहाद्वीप के देश पाकिस्तान और बांग्लादेश का समाज भी कमोबेश वैसा ही है, जैसा कि भारतीय समाज. आरक्षण के बारे में बात करते हुए विदेशी मामलों के जानकार प्रो सतीश कुमार ने बताया कि हमारे देश में जातिगत विषमताएं प्राचीन काल से हैं. अंग्रेजों ने देश का विभाजन तो करवा दिया, लेकिन सामाजिक संरचना पाकिस्तान और बांग्लादेश की भी वैसी ही है, जैसी भारत की. यहां मुस्लिम समाज में भी जाति है और उसकी विषमताएं भी मौजूद हैं. नेपाल में भी आरक्षण की व्यवस्था रही है. आरक्षण का विरोध देश में गाहे-बगाहे होता रहा है. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कोटे में कोटा को सही ठहराया है, वजह यह है कि आरक्षण का लाभ जिस वर्ग को मिल रहा है उसमें से कुछ ही लोग इसका फायदा ले रहे हैं, बाकी वर्ग कोटे से वंचित है.


आरक्षण की आग में जल चुका है भारत

मंडल कमीशन का विरोध : 1990 में जनता दल की सरकार ने ओबीसी आरक्षण लागू किया था, जिसका देश भर में विरोध हुआ था और सवर्ण सड़कों पर उतर आए थे. ओबीसी आरक्षण देश की राजनीति में एक ऐसा अध्याय था, जिसने समाज और राजनीति को बदलकर रख दिया. इस आंदोलन का असर यह हुआ था कि बीजेपी ने जनता दल की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था और वीपी सिंह की सरकार गिर गई थी.

पटेल और जाट आंदोलन : 2015 में पटेल आरक्षण की मांग को लेकर गुजरात में व्यापक प्रदर्शन हुआ था. सरकारी संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाया गया था, उस वक्त इस मुद्दे पर राजनीति भी खूब हुई थी. जाट को यूपीए सरकार ने ओबीसी में शामिल किया था, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया. कोर्ट के इस फैसले के बाद भी देश में खूब आंदोलन हुआ था.


मराठा आरक्षण : महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग ने भी खूब जोर पकड़ा और आंदोलनकारी सड़कों पर भी उतरे. मराठा आरक्षण की मांग महाराष्ट्र में वर्षों से हो रही है और इसपर राजनीति भी हो रही है. लेकिन अबतक इस वर्ग को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाया है.

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