28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

महिला प्रधान धारावाहिकों का दबदबा

Advertisement

टीवी ने कई रंग बदले, पर जो बात नहीं बदली, वह यह कि टीवी पर महिला प्रधान कार्यक्रमों का कल भी बोलबाला था और आज भी. हास्य धारावाहिकों को भी दर्शक पसंद करते रहे हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

टेलीविजन को देश में आये 63 बरस हो गये हैं, लेकिन दर्शकों पर टीवी की पकड़ 50 साल पहले 1972 के उस दौर में शुरू हुई, जब दूरदर्शन ने फिल्मों, चित्रहार और फिल्म पर आधारित शो ‘फूल खिले हैं गुलशन गुलशन’ दिखाना शुरू किया. इससे यह सिद्ध हो गया कि दर्शकों को सूचना, शिक्षा और मनोरंजन प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू हुए टेलीविजन को चलाने के लिए मनोरंजन की बैसाखी चाहिए. यह बात तब और प्रखर हो गयी, जब 1984 में दूरदर्शन पर सीरियल युग की शुरुआत हुई.

- Advertisement -

टीवी की धीमी गति ने कुछ रफ्तार तो तभी पकड़ ली थी, जब दूरदर्शन ‘रामायण’ और फिर ‘महाभारत’ सीरियल का प्रसारण आरंभ हुआ, लेकिन इस रफ्तार को तब पंख लग गये, जब देश में निजी उपग्रह चैनल के रूप में जी टीवी और स्टार प्लस ने कदम रख नये नये सीरियलों की कतार लगा दी. देश में आज टीवी अपने न्यूज चैनलों के माध्यम से चाहे सूचना का भी सबसे बड़ा आधार बन गया है, लेकिन दर्शकों का एक बड़ा वर्ग सिर्फ मनोरंजन के लिए ही टीवी देखता है.

टीवी ने कई रंग बदले, पर जो बात नहीं बदली, वह यह कि टीवी पर महिला प्रधान कार्यक्रमों का कल भी बोलबाला था और आज भी. हास्य धारावाहिकों को भी दर्शक पसंद करते रहे हैं. साल 2022 को देखने से भी यह बात फिर स्पष्ट होती है कि आज भी महिला प्रधान सीरियल ही शिखर पर हैं. टीवी कार्यक्रमों की लोकप्रियता को परखने वाली एजेंसी ‘बार्क’ की रिपोर्ट को देखें, तो 2022 में तीन धारावाहिक ‘अनुपमा’, ‘गुम हैं किसी के प्यार में’ और ‘इमली’ लगातार शिखर पर रहे.

ये तीनों महिलाओं पर केंद्रित धारावाहिक हैं. टीवी युग के आरंभ में पहले-पहल जो धारावाहिक पसंद किये गये, वे भी हास्य और महिला कथा पर केंद्रित थे. दूरदर्शन पर शुरुआती सीरियल ‘लड्डू सिंह टैक्सी वाला’ कॉमेडी सीरियल था. दूरदर्शन पर जिस धारावाहिक ने सबसे पहले दर्शकों के दिलों में जगह बनायी, वह लखनऊ दूरदर्शन का महिला प्रधान धारावाहिक ‘बीबी नातियों वाली’ ही था. साल 1980 के दशक के पूर्वार्ध में भी जो सीरियल सर्वाधिक लोकप्रिय हुआ, वह भी महिला प्रधान था-‘दादी मां जागी.’ ऐसे ही ‘यह जो है जिंदगी’ दूरदर्शन का ऐसा हास्य धारावाहिक था, जो घर-घर का चहेता बन गया था.

जी टीवी के ‘अमानत’ की बात हो या स्टार प्लस के ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’,’एक कहानी’ और ‘कहीं किसी रोज’, सभी महिला प्रधान सीरियल ही थे. आज भी यह सिलसिला बरकरार है. हम आज सिनेमा और टीवी को एक सिक्के के दो पहलुओं की तरह देखते हैं. लेकिन दोनों में जो बात बिल्कुल अलग है, वह यह कि सिनेमा पुरुष प्रधान फिल्मों पर टिका है, जबकि टेलीविजन महिला प्रधान सीरियल पर. इस बात के साक्षी इस साल के ये सिर्फ तीन शिखर के सीरियल ही नहीं और भी कई सीरियल इस बात की बड़ी मिसाल हैं.

इस बरस जो सीरियल टीआरपी चार्ट में ऊपर रहे, उनमें ‘उडारियां’, ‘कुंडली भाग्य’, ‘कुमकुम भाग्य’, ‘भाग्य लक्ष्मी’, ‘नागिन’, ‘छोटी सरदारनी’, ‘मीत’ और ‘ससुराल सिमर का-2’ के नाम हैं. इनमें कुछ तो पूर्व बरसों से चलते आ रहे हैं. इसका कारण यह भी हो सकता है कि टीवी दर्शकों में सबसे बड़ी हिस्सेदारी महिलाओं की है, उसके बाद बच्चों की. साल 2022 में भी जो हास्य धारावाहिक सबसे ज्यादा पसंद किये गये, उनमें सोनी सब का ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ सबसे ऊपर है. यह धारावाहिक 14 बरस से चल रहा है.

इस बरस इस सीरियल के सामने तब बड़ी समस्या आयी, जब इसके दो-तीन कलाकार इससे अलग हो गये. एक बेहद अहम पात्र दया की अभिनेत्री दिशा वखानी कई बरस से इससे जुदा हैं. इस बरस जिस एक हास्य सीरियल ने दिलों में घर किया, वह ‘वागले की दुनिया’ है. सब टीवी पर एक और महिला प्रधान सीरियल ‘मैडम सर’ ने भी अच्छी लोकप्रियता पायी.

पिछले कुछ बरसों में रियलिटी शो बड़ी टीवी क्रांति लाने में अहम रहे हैं. ‘केबीसी’ तो गेम शो में नये इतिहास रच रहा है, जो ज्ञान के साथ धन भी बरसा रहा है और इसके सदाबहार होस्ट अमिताभ बच्चन तनाव के पलों में अपनी बातों से मनोरंजन भी लाते रहते हैं. लेकिन गीत, संगीत और नृत्य के रियलिटी शो तो बड़े बड़े सीरियल पर भारी पड़ रहे हैं. अपने फिक्शन शो के चलते स्टार प्लस शिखर पर है. सोनी के ‘इंडियन आइडल’ के प्रतिभाशाली प्रतियोगियों के गीत सुनकर लगता है कि इतने खूबसूरत मोती कहां से चुन-चुन कर लाये गये हैं.

ऐसे ही ‘इंडिया बेस्ट डांसर-2’ और ‘सुपर डांसर-4’ के प्रतियोगी हैं. जी टीवी के नन्हें उस्तादों वाला शो ‘लिटिल चैम्प्स’ में भी ऐसी-ऐसी बाल प्रतिभाएं हैं, जो दिल को भीतर से झकझोर देती हैं. लेकिन इस बरस जहां स्टार भारत पर जोर-शोर से शुरू हुआ ‘मिक्का की वोटी का स्वयंवर’ बुरी तरह धराशायी हो गया, वहीं एक अंतराल के बाद ‘बिग बॉस’ फिर से अपने कुछ दर्शक लाने में सफल रहा. कुल मिलाकर 2022 में टीवी फिर अपनी पटरियों पर लौट आया है.

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें