27.9 C
Ranchi
Monday, April 21, 2025 | 04:09 am

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

मुद्रास्फीति की चपेट में सारा विश्व

Advertisement

जब तक वैश्विक स्तर पर दामों में कमी नहीं आयेगी, भारत में भी मुद्रास्फीति से राहत मिलने की आशा नहीं की जा सकती है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

अभिजीत मुखोपाध्याय, अर्थशास्त्री ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन

abhijitmukhopadhyay@gmail.com

पूरी दुनिया मुद्रास्फीति की चपेट में है. यदि पिछले दो-ढाई दशक को देखें, तो हम पाते हैं कि धनी देशों, खासकर अमेरिका, में मुद्रास्फीति की स्थिति नहीं रही थी और दाम नियंत्रण में थे. इसकी सबसे बड़ी वजह यह थी कि चीन, पूर्वी एशिया, दक्षिण एशिया और पूर्वी यूरोप के वैश्विक आपूर्ति शृंखला में आने से उत्पाद बड़ी मात्रा में और सस्ती दरों पर उपलब्ध हो रहे थे. दूसरा कारण यह रहा कि दुनिया के कई हिस्सों में आबादी का स्वरूप बदला और युवाओं की संख्या बढ़ने से कार्य बल की आपूर्ति में बढ़ोतरी हुई. श्रम आपूर्ति अधिक होने से, अगर उसकी मांग स्थिर रहती है या कुछ बढ़ती भी है, उत्पादक पर वेतन व भत्तों को लेकर अधिक दबाव नहीं रहता है. अगर मांग अधिक होती और श्रमिक कम होते, तो वेतन बढ़ाना पड़ता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि श्रम अधिशेष की स्थिति पैदा हो गयी. अब यह स्थिति बदलने लगी है और आबादी में अधिक आयु के लोगों की संख्या बढ़ने लगी है. इसके साथ ही उत्पादन प्रक्रिया में तकनीक का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर बढ़ा है. इन कारकों की वजह से कीमतें नीचे रही थीं, लेकिन कोरोना महामारी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका दे दिया.

महामारी की रोकथाम की कोशिशों के कारण आपूर्ति शृंखला में व्यापक अवरोध उत्पन्न हुआ. यह केवल उत्पादित वस्तुओं के साथ ही नहीं हुआ, बल्कि खाने-पीने की चीजों की आपूर्ति भी बाधित हुई. एक तो महामारी और अब यह मुद्रास्फीति, तो ऐसी स्थिति में देशों को भी कड़े फैसले लेने पड़ रहे हैं, जिनसे दूसरे देशों की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ रहा है. उदाहरण के लिए, इंडोनेशिया ने पाम ऑयल के निर्यात पर रोक लगा दी है. पिछले साल भारत ने वहां से अस्सी लाख टन पाम ऑयल का आयात किया था. अब इसकी आपूर्ति कहीं और से करनी होगी और उसके लिए अधिक दाम चुकाना होगा. पाम ऑयल का उपभोग केवल परिवारों में नहीं होता है. बाजार में बिकनेवाले बहुत सारे खाद्य पदार्थ इससे बनाये जाते हैं. उनके दाम भी बढ़ रहे हैं. बहरहाल, पिछले साल भारत समेत दुनिया के अधिकतर देशों में स्थिति में धीरे-धीरे सुधार होने लगा था और अनुमान लगाया जा रहा था कि दो-तीन सालों में सब कुछ सामान्य हो जायेगा.

लेकिन तभी रूस-यूक्रेन युद्ध के रूप में बड़ा संकट हमारे सामने उपस्थित हो गया है. इस मसले में तेल और प्राकृतिक गैस को लेकर अधिक चर्चा हो रही है. वह एक स्तर पर ठीक भी है क्योंकि यूरोप की मुद्रास्फीति में इसका बड़ा योगदान है क्योंकि रूस उसका सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है. यह सर्वविदित तथ्य है कि जब तेल और गैस के दाम बढ़ते हैं या उनकी आपूर्ति में बाधा आती है, जो अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र पर असर होता है. पाबंदियों के कारण कई देशों को दूसरे देशों से तेल और गैस लेना होगा. इससे दाम बढ़ना स्वाभाविक है. बिजली और यातायात का खर्च बढ़ना इसके साथ सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है. साथ ही, कई तरह के खनिज का मामला भी है.

रूस और यूक्रेन गेहूं, सूरजमुखी के तेल आदि विभिन्न खाद्य पदार्थों के भी बड़े उत्पादक हैं. इस युद्ध के कारण यूरोप और पश्चिम एशिया समेत दुनिया के कई हिस्से खाद्य संकट के कगार पर हैं. इस कारण भारत समेत विश्व भर में खाने-पीने की चीजें महंगी हो गयी हैं. इस युद्ध और रूस पर व रूस द्वारा लगाये गये प्रतिबंधों के कारण आपूर्ति शृंखला भी प्रभावित हुई है, जो पहले से ही दबाव में है. चीन की जीरो कोविड पॉलिसी भी मुद्रास्फीति को बढ़ा रही है. हालिया लॉकडाउन की वजह से चीन से और चीन में सामानों की ढुलाई पर असर पड़ा है. इस संबंध में एक उदाहरण सेमीकंडक्टर का है, जिसका इस्तेमाल डिजिटल सामानों के साथ-साथ वाहनों में भी होता है.

सेमीकंडक्टर की आपूर्ति बाधित होने से हमारे देश में चारपहिया गाड़ियों की प्रतीक्षा अवधि बहुत बढ़ गयी है. चिप की तंगी डेढ़-दो साल से बनी हुई है. यह भी विडंबना ही है कि भारत और अमेरिका समेत अनेक देशों के केंद्रीय बैंकों ने मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है, लेकिन इससे भी महंगाई बढ़ने की आशंका पैदा हो गयी है क्योंकि अब कर्ज महंगे हो जायेंगे. महामारी के दौर में यही समझ थी कि अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए सस्ती दरों पर पूंजी मुहैया कराया जाए ताकि औद्योगिक और कारोबारी गतिविधियां बढ़ें, रोजगार के अवसर पैदा हों, लोग खरीदारी कर सकें और मांग बढ़े. इसका फायदा भी हुआ, पर रूस-यूक्रेन युद्ध ने फिर समस्या को वहीं पहुंचा दिया है.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का आकलन है कि तीसरी तिमाही में स्थिति नियंत्रण में आ सकती है, पर अनेक जानकार इससे सहमत नहीं हैं, जिनमें मैं भी शामिल हूं. अभी युद्ध सबसे बड़ी चुनौती है और सभी को यह प्रयास करना चाहिए कि यह तुरंत रुके. यह मामला जितना अधिक चलेगा, हालात खराब होते जायेंगे. चीन को भी कोविड की रोकथाम के अपने कड़े नियमों पर पुनर्विचार करना चाहिए. अभी की स्थिति में भारत के लिए भी मुश्किलें हैं. बीते दो-तीन दशक में हमारी अर्थव्यवस्था का विस्तार तो हुआ है, लेकिन उत्पादन के स्तर पर हम विविधता लाने में सफल नहीं हो सके हैं. अभी तक यह सोचा जा रहा था कि जिन क्षेत्रों में निर्यात बढ़ रहा है, उस पर ध्यान दिया जाए तथा अन्य जिन चीजों की जरूरत होगी, उसे हम बाहर से खरीद लेंगे. इसमें परेशानी यह हुई कि वैश्विक मुद्रास्फीति ने हमारे हिसाब को गड़बड़ा दिया. पिछले साल से ही औद्योगिक उत्पादन में प्रयुक्त होनेवाली वस्तुओं की लागत बहुत बढ़ने लगी थी.

अभी भारत और अन्य कई देशों के सामने चुनौती यह है कि कुछ चीजों के निर्यात बढ़ने से लाभ तो हो रहा है, लेकिन जैसे ही आप आयात कर रहे हैं, तो लाभ उसमें चला जा रहा है. जब तक वैश्विक स्तर पर दामों में कमी नहीं आयेगी, भारत में भी मुद्रास्फीति से राहत मिलने की आशा नहीं की जा सकती है. एक बेहद चिंताजनक आशंका वैश्विक आर्थिक संकट या महामंदी की भी है. अमेरिकी बॉन्ड की कमाई का अनुमान बहुत गिर गया है. ऐसा जब जब हुआ है, तब तब मंदी या वित्तीय संकट की स्थिति पैदा हुई है. ऐसी चिंताजनक स्थिति से निकलने के लिए हमें रूस-यूक्रेन युद्ध को तुरंत रोकने का भरसक प्रयास करना चाहिए तथा चीन को यह कहा जाना चाहिए कि वह आपूर्ति प्रक्रिया को बाधित न होने दे. तभी आर्थिक संकट को टाला जा सकता है.

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

[quiz_generator]

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snaps News reels