पाकिस्तान भारत को अस्थिर करने की लगातार कोशिश में लगा हुआ है. कश्मीर घाटी में पिछले कुछ दिनों से हिंसक वारदातों और घुसपैठ में तेजी से यहीइंगित होता है. खुफिया स्रोतों के हवाले से छपी रिपोर्टों से पता चलता हैकि पाकिस्तान की सरकार और सेना की सरपरस्ती में भारत के दूसरे हिस्सोंमें भी आतंकवादी हमलों का षड्यंत्र रचा जा रहा है. इसी सिलसिले मेंरविवार को इस्लामाबाद में कुख्यात माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम नेपाकिस्तानी सेना की खुफिया एजेंसी आइएसआइ के अधिकारियों के साथ आतंकीगिरोह लश्कर-ए-तैयबा के सरगनाओं से मुलाकात की है. माना जा रहा है कि यहमुलाकात मुंबई हमले की तरह किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की तैयारी काहिस्सा है.
उल्लेखनीय है कि लश्कर भारत में ऐसे कई हमले कर चुका है. दाऊदइब्राहिम बरसों तक दुबई से मुंबई में तस्करी, हत्याएं और अन्य आपराधिकगतिविधियों को संचालित करता रहा था और मुंबई बम धमाकों के बाद से वहआइएसआइ के संरक्षण में पाकिस्तान में रह रहा है. इसी तरह से लश्कर सरगनाहाफिज सईद और जैशे-मोहम्मद का मुखिया मसूद अजहर को भी सरकार और सेना कीशह मिली हुई है. रविवार की बैठक से कुछ समय पहले भी इब्राहिम के राचीस्थित आवास पर आतंकियों की मुलाकात की जानकारी मिली है. ऐसे संकेत मिलेहैं कि ये लोग समुद्री रास्ते से गुजरात या महाराष्ट्र हथियारों की खेपभेजने की जुगत लगा रहे हैं. खुफिया सूत्रों के मुताबिक, आइएसआइ की इच्छाहै कि उन हथियारों का इस्तेमाल भारत में इब्राहिम के सक्रिय गुर्गे करें.बीते सालों में भारत के सघन कूटनीतिक अभियान की वजह से लश्कर और हाफिज सईद कुछ ढीले पड़े हैं और आइएसआइ कश्मीर में हमलों के लिएज्यादातर जैश के आतंकियों को काम में ला रही है.
भारतीय सेना की कार्रवाई तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा मसूद अजहर पर पांबंदी लगायेजाने तथा हाफिज सईद के कारनामों को दुनिया के सामने लाने जैसी कोशिशों सेआइएसआइ और ये गिरोह दबाव में हैं तथा हमलावर होकर अपने आतंकी कारोबार कोफिर से बहाल करने की फिराक में हैं. आतंकवाद कुछ गिरोहों की कारस्तानीनहीं होता है, उसके पीछे कुछ देशों की सरकारी और सैनिक मशीनरी का हाथहोता है. भारत और अफगानिस्तान को हिंसा और आतंक से अस्थिर करने का रवैयापाकिस्तान की रक्षा और विदेश नीति का प्रमुख सिद्धांत है.
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उनकी धरती पर सक्रियगिरोहों को खत्म करने का भरोसा दिलाते रहते हैं, पर हकीकत में वे भीपूर्ववर्ती सरकारों की नीतियों पर ही अमल कर रहे हैं. हालांकि भारतआतंकवाद के खिलाफ कमर कस चुका है और कई सालों से कश्मीर के अलावा देश केअन्य हिस्सों में आतंकी घटनाओं पर अंकुश लगाने में कामयाबी भी मिली है,लेकिन इस मोर्चे पर पूरी मुस्तैदी की दरकार है.