16.8 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

उर्वरकों पर सब्सिडी

Advertisement

अंतरराष्ट्रीय बाजार में किसी भी तरह की अस्थिरता से कीमतें बढ़ने लगती हैं और उनसे भारत में भी खाद के महंगे होने का खतरा होता है. पिछले कुछ समय से खाद की अंतरराष्ट्रीय कीमत बढ़ी भी है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

केंद्र सरकार ने दो प्रमुख उर्वरकों पर 22 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी को मंजूरी दे दी है. प्रधानमंंत्री मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने पोषण आधारित सब्सिडी (एनबीएस) के तहत फॉस्फोरस और पोटैशियम युक्त उर्वरकों के लिए उर्वरक मंत्रालय की सुझाई कीमतों पर मुहर लगा दी. इस फैसले से किसानों को रबी मौसम की फसलों के लिए सस्ती कीमत पर खाद मिलती रहेगी. किसान वर्ष में मुख्य रूप से दो चक्र में फसल उगाते हैं – खरीफ और रबी. फसल अच्छी तरह फले-फूले इसके लिए उर्वरकों का इस्तेमाल करना होता है. फॉस्फोरस से पौधों की जड़ मजबूत होती है, और उनमें बीज और फल ठीक से आते हैं. पोटैशियम या पोटाश पौधों की सेहत और वृद्धि के लिए जरूरी होता है, जो उन्हें बीमारियों और ठंड या सूखे मौसम से बचाता है.

- Advertisement -

इस वर्ष खरीफ की फसल से पहले भी सरकार ने खाद पर 38 हजार करोड़ की सब्सिडी की घोषणा की थी. रबी मौसम में किसानों को उर्वरकों की ज्यादा जरूरत होती है क्योंकि इसकी मुख्य फसल गेहूं की कई बार सिंचाई होती है जिसमें उर्वरक इस्तेमाल होता है. चना, मटर, सरसों जैसी फसलों के लिए भी उर्वरक की आवश्यकता होती है. ऐसे में उर्वरक की मांग बढ़ जाती है. लेकिन उर्वरकों के मामले में भारत के सामने दोहरी चुनौती है. पहली, भारत को अन्य देशों पर बहुत अधिक आश्रित रहना पड़ता है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में फॉस्फेट और पोटाश उर्वरकों का घरेलू उत्पादन लगभग 2.5 करोड़ मीट्रिक टन है, जो देश की कुल जरूरत का आधा है.

बाकी उर्वरक चीन, रूस, मोरक्को, जॉर्डन और सऊदी अरब जैसे देशों से आयात करना पड़ता है. यहीं दूसरी चुनौती पेश आती है, जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में किसी भी तरह की अस्थिरता से कीमतें बढ़ने लगती हैं और उनसे भारत में भी खाद के महंगे होने का खतरा होता है. पिछले कुछ समय से खाद की अंतरराष्ट्रीय कीमत बढ़ी भी है. किसानों को उचित मात्रा में और समुचित कीमत पर खाद उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने रियायती दरों पर फॉस्फेट और पोटाश उर्वरकों पर सब्सिडी देने की व्यवस्था की है, जो 2010 से लागू है. खेती में सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाले एक और उर्वरक यूरिया पर भी सब्सिडी दी जाती है, जिसमें नाइट्रोजन होता है. सरकार ने इस वर्ष जून में यूरिया पर सब्सिडी को तीन वर्ष तक जारी रखने की घोषणा की थी. देश की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित रखने के लिए इन जरूरी उर्वरकों के विकल्पों की भी तलाश जारी रखनी चाहिए.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें