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चीन को मजबूत आर्थिक जवाब

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उम्मीद है कि सरकार आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घोषित बुनियादी ढांचे के विकास, तकनीकी विकास और आर्थिक सुधारों के ठोस क्रियान्वयन की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगी.

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डॉ जयंतीलाल भंडारी, अर्थशास्त्री

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article@jlbhandari.com

चीनी एप पर प्रतिबंध चीनी सामानों के बहिष्कार से ज्यादा कारगर साबित होगा. भारत इस वर्चुअल स्ट्राइक के जरिये चीन को ज्यादा प्रभावी और मजबूत आर्थिक जवाब दे सकता है. केंद्र सरकार ने आयकर, सीमा शुल्क एवं उत्पाद विभाग, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड, डाक विभाग और नियामक आदि सरकारी विभागों और मंत्रालयों को चीन के आपूर्तिकर्ताओं के किसी सामान के चयन या खरीदारी से दूर रहने का अनौपचारिक निर्देश भी दिया है.

वर्तमान परिवेश में चीन को आर्थिक टक्कर देने के लिए जहां देश के लोगों द्वारा चीनी सामानों का बहिष्कार किया जा रहा है, वहीं सरकारी विभागों में भी चीनी उत्पाद की जगह यथासंभव स्वदेशी उत्पाद के उपयोग की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसके साथ ही चीन को आर्थिक चुनौती देने, अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर और मजबूत बनाने के लिए नयी आर्थिक रणनीति की जरूरत है.

इस नयी रणनीति के तहत चीन पर निर्भरता कम करने के लिए चीन से आयात किये जाने वाले उत्पादों को देश में ही उत्पादित करने के लिए प्रोत्साहन, चीन को कच्चे माल के निर्यात पर सख्ती और उन पर उपकर लगाया जाना, अमेरिका, यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड और जापान जैसे अनेक देश में चीनी सामान का विकल्प बनने का अवसर मुठ्ठियों में लेना, देश के उद्योगों को नये शोध से लाभान्वित करनेवाले संगठनों को प्रभावी बनाना, भ्रष्टाचार व अकुशलता पर नियंत्रण तथा तकनीकी विकास व बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाते हुए आत्मनिर्भरता की डगर पर आगे बढ़ने जैसे कदम उठाने होंगे.

भले ही चीन की अर्थव्यवस्था भारतीय अर्थव्यवस्था से करीब पांच गुना बड़ी है, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था भी दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. भारतीय बाजार दुनिया का चौथा सबसे बड़ा बाजार है. इस समय भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी 501 अरब डॉलर की ऐतिहासिक ऊंचाई पर है. देश में बढ़ते हुए आर्थिक सुधारों और मध्य वर्ग की क्रय शक्ति के कारण दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां भी तेजी से भारत की ओर आती दिखायी दे रही हैं.

भारतीय अर्थव्यवस्था की इन विशेषताओं के अलावा चीन की वर्तमान आर्थिक प्रतिकूलताएं भी भारत को चीन के साथ आर्थिक मुकाबला करने में ताकत देती हुई नजर आ रही हैं. इन दिनों चीन की अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट है. चीन से निर्यात में उल्लेखनीय कमी आयी है. कोविड-19 को लेकर दुनियाभर में चीन के प्रति नकारात्मकता बढ़ी है. अनेक देशों ने चीन से आयात किये जानेवाले कई सामानों पर एंटी डंपिंग शुल्क लगा दिया है. हाल ही में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नये फैसले के बाद अब यूरोपीय संघ भी कई उत्पादों पर एंटी डंपिंग शुल्क लगा सकता है.

उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष भारत का चीन से आयात और व्यापार घाटा दोनों ही कम हुआ है. सी-वोटर के हाल के सर्वे में 68 फीसदी लोगों ने चीनी उत्पादों के बहिष्कार की बात कही है. देश के उद्यमियों द्वारा चीन से आयात की जानेवाली ऐसी वस्तुएं चिन्हित की जा रही हैं, जो देश के उद्योग-कारोबार पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही हैं. यह रेखांकित करना जरूरी है कि भारत के करीब 2800 से अधिक वस्तुओं पर चीन ने नॉन-टैरिफ बैरियर लगाया है. जिससे इन वस्तुओं का चीन को निर्यात करना मुश्किल है. इसके बरक्स भारत ने करीब 430 वस्तुओं के आयात पर ही नॉन-टैरिफ बैरियर लगाया हुआ है.

अक्तूबर, 2016 में पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद चीन द्वारा पाकिस्तान का साथ दिये जाने और जुलाई, 2017 में डोकलाम में चीनी सेना द्वारा युद्ध की धमकी दिये जाने के बाद भारतीय बाजारों में चीनी उपभोक्ता सामान की बिक्री में करीब 25 फीसदी कमी आयी थी, साथ ही चीन से बढ़ते आयात दर में भी गिरावट आयी थी.

निस्संदेह अब भारत की अर्थव्यवस्था के मजबूत बनने की संभावना का कारण कोविड-19 के बाद की नयी दुनिया है. इसमें आगे बढ़ने के लिए जिन बुनियादी संसाधनों, तकनीकों और विशेषज्ञताओं की जरूरत बतायी जा रही है, उनके मद्देनजर भारतीय युवा और भारतीय पेशेवर चमकते दिखायी दे रहे हैं. निश्चित रूप से कई आर्थिक मापदंडों पर भारत अभी भी चीन से आगे है. दवा, रसायन निर्माण और बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत सर्वाधिक तेजी से उभरता हुआ देश भी है.

चीन को आर्थिक चुनौती देने के लिए हमें उद्योग-कारोबार क्षेत्र की कमजोरियों को दूर करना होगा. सरकार को भारतीय उत्पादों को चीनी उत्पादों से प्रतिस्पर्धी बनाने वाले सूक्ष्म आर्थिक सुधारों को लागू करना होगा. उन ढांचागत सुधारों पर जोर देना होगा, जिससे निर्यातोन्मुखी विनिर्माण क्षेत्र को गति मिल सके. हमें अपनी बुनियादी संरचना में व्याप्त अकुशलता एवं भ्रष्टाचार पर नियंत्रण कर अपने उत्पाद की उत्पादन लागत कम करनी होगी. भारतीय उद्योगों को चीन के मुकाबले खड़ा करने के लिए उद्योगों को नये अाविष्कार, खोज से परिचित कराना होगा और इसके लिए औद्योगिक शोध से संबद्ध शीर्ष संस्थानों को प्रभावी और महत्वपूर्ण बनाना होगा.

हम उम्मीद करें कि सरकार ने जिस तरह चीन के 59 एप पर रोक लगाया है और सरकारी विभागों को चीनी उत्पादों की खरीदारी से दूर रहने का जो अनौपचारिक निर्देश दिया है, उससे चीन पर डिजिटल स्ट्राइक जैसा असर होगा. जहां देश के करोड़ों लोग चीनी उत्पादों की जगह यथासंभव स्वदेशी उत्पादों के उपयोग को जीवन का मूल मंत्र बनायेंगे, वहीं देश के उत्पादक स्थानीय विकल्पों को विकसित करने का हर संभव प्रयास करेंगे.

सरकार आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घोषित किये गये बुनियादी ढांचे के विकास, तकनीकी विकास और आर्थिक सुधारों के ठोस क्रियान्वयन की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगी. वह चीन से निकलने वाली अनेक वैश्विक कंपनियों को भारत की ओर आकर्षित करने के हर संभव प्रयास करेगी. देश की नयी पीढ़ी चीन को आर्थिक चुनौती देने के लिए कोविड-19 के बाद की नयी कार्य संस्कृति का नेतृत्व करेगी. निश्चित रूप से ऐसे विभिन्न रणनीतिक प्रयासों से उद्यमिता व आत्मनिर्भरता की डगर पर आगे बढ़ कर चीन को आर्थिक चुनौती देना संभव होगा.

(ये लेखक के निजी विचार हैं)

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