18.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

बरकरार है रेडियो की प्रासंगिकता

Advertisement

भारत में लगभग 180 कम्युनिटी रेडियो स्टेशन भी हैं, जो स्थानीय भाषाओं में प्रसारण करते हैं तथा प्राकृतिक आपदाओं के समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं. दक्षिण भारत में कृषि क्रांति लाने में रेडियो राइस की बहुत बड़ी भूमिका रही.

Audio Book

ऑडियो सुनें

दुनिया के पिछले सौ से अधिक वर्षों की मधुर स्मृतियों में संगीत और सूचनाओं का सबसे सस्ता व सशक्त माध्यम रेडियो रचा-बसा है. तकनीक और आधुनिकता की आंधी में इसके उड़ जाने की संभावना थी, पर आश्चर्यजनक ढंग से यह न सिर्फ अपना अस्तित्व बचाये हुए है, बल्कि कहीं-कहीं पहले से भी ज्यादा उपयोगी सिद्ध हुआ है. इसका आविष्कार 1880 में मारकोनी ने किया था और 24 दिसंबर, 1906 को कनाडा के वैज्ञानिक रेगिनाल्ड फेंसडेन ने वायलिन बजा कर इसकी शुरुआत की थी.

- Advertisement -

प्रथम विश्व युद्ध में रेडियो का इस्तेमाल गोपनीय सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए किया गया तथा धीरे-धीरे घर से लेकर समुदाय तक सूचना, मनोरंजन और शिक्षा के लिए इसका व्यापक उपयोग बढ़ता गया. विकासशील भारत से भी अधिक विकसित कनाडा में बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल हो रहा है. स्पेन रेडियो एकेडमी ने 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाने का प्रस्ताव पहली बार 2010 में रखा था.

वर्ष 2011 में दुनियाभर के प्रसारण संगठनों के समर्थन के साथ यूनेस्को के सदस्य देशों ने नवंबर, 2011 में इसे स्वीकृति दी और 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इसे अपनाया गया. वर्ष 1946 में 13 फरवरी को ही संयुक्त राष्ट्र रेडियो की शुरुआत हुई थी. इस तरह लोगों के जीवन को आकार देने में रेडियो की भूमिका का यह वैश्विक उत्सव है. इस बार रेडियो दिवस की थीम है रेडियो और शांति.

रंगीन टेलीविजन के एचडी तथा फोर-के गुणवत्ता वाली डीटीएच सुविधायुक्त यूट्यूब और वेबसाइटों की भीड़ में सबसे ज्यादा खतरा रेडियो को था. बीबीसी ने अपना रेडियो प्रसारण बंद कर दिया, पर कभी बड़े वॉल्व वाला रेडियो आज डिजिटल बन कर मोबाइल फोन या हेयर बैंड से लेकर गाड़ियों में पहुंच गया है. रेडियो को जीवनदान असली अर्थों में स्मार्ट फोन ने दिया है. दुनिया के सबसे बड़े प्रसारण तंत्र में से एक आकाशवाणी ने भी लगभग अपने पूरे प्रसारण को डिजिटल कर न्यूज ऑन एआईआर एप पर उपलब्ध कराकर क्रांति ला दी है.

आकाशवाणी की घरेलू सेवा में 470 प्रसारण केंद्र हैं, जो लगभग समूचे देश को कवर करते हैं. आकाशवाणी 23 भाषाओं और 179 बोलियों में अब वैश्विक स्तर पर उपलब्ध है. कला-संस्कृति को लेकर पुरातनपंथी और पेशेवर के बजाय सरकारी कामकाज की शैली के कारण आकाशवाणी राजस्व के मामले में पिछड़ा है. ऊपर से नीतिगत निर्णय भी गलत लिये गये हैं, जिनमें सर्वाधिक लोकप्रिय विविध भारती से समाचार बुलेटिनों को सीमित करना और शक्तिशाली मुख्य चैनलों के मीडियम वेव प्रसारण को बीच-बीच में बंद करना ताकि लोग डिजिटल रेडियो खरीदें जैसे अव्यवहारिक निर्णय शामिल हैं.

भारत में लगभग 180 कम्युनिटी रेडियो स्टेशन भी है जो स्थानीय भाषाओं में प्रसारण करते हैं तथा प्राकृतिक आपदाओं के समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं. दक्षिण भारत में कृषि क्रांति लाने में रेडियो राइस की बहुत बड़ी भूमिका रही. विभिन्न जागरूकता अभियानों, खास तौर पर पल्स पोलियो, टीबी उन्मूलन और स्वच्छता अभियान, में बहुत बड़ी भूमिका रही तथा वैसी जगहों तक इसकी पहुंच बनी, जहां किसी अन्य माध्यम का पहुंचना संभव नहीं था.

इन्हीं कारणों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ के लिए रेडियो का चयन किया है. पश्चिमी देशों ने रेडियो का अधिक सदुपयोग किया है. छोटे कमरों में सफलतापूर्वक पूरा रेडियो स्टेशन चलाये जा रहे हैं, जिन्हें बहुत आसानी से लाइसेंस भी मिल जाता है और खर्च भी मामूली है. एनजीओ, विश्वविद्यालय, धार्मिक संस्थाएं और भाषाएं सिखाने वाली संस्थाएं तथा मौसम सूचनाएं देने वाली संस्थाएं इसका उपयोग करती हैं.

एक रिपोर्ट के मुताबिक. 2021 में कनाडा में 961 रेडियो स्टेशन थे, जिनमें 10 हजार से अधिक लोग काम करते थे. कभी पोस्टकार्ड से की गयी फरमाइश झुमरी तलैया से लेकर भाटापारा और कितनी ही ऐसी छोटी जगहों और अनजान लोगों को देश-विदेश में मशहूर कर देती थी. कई सामान्य पृष्ठभूमि के लोग ब्रांड की तरह मशहूर हो गये थे.

टीवी और इंटरनेट की चमक के साथ फीके होते रेडियो से जुड़े ऐसे हजारों दीवाने श्रोताओं के बीच भी सबसे सस्ते मनोरंजन और प्रसिद्धि का दौर लगा अब थम गया है, पर अब भाग-दौड़ की जीवन शैली ने टीवी से जुड़ाव कम कर दिया गया है और धीरे-धीरे विदेशों की तरह इसका स्थान एफएम रेडियो और इसके इंटरनेट संस्करण ने लेना शुरू कर दिया है. अब फरमाइश भी मैसेज और ईमेल से हो रही है. दुर्गम स्थानों, सीमाओं पर बसे लोगों या जवानों से लेकर विदेशों तक में बसे भारतीय गीतों और समाचारों के लिए जुड़ते हैं.

हम हैं रेडियो के दीवाने, रेडियो दोस्त रांची, देशप्रेमी रेडियो, भारतीय श्रोता ग्रुप, ओल्ड रेडियो लिस्नर्स ग्रुप और जाने कितने लोकल से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्रोताओं के व्हाट्सएप ग्रुप ने छोटे शहरों से लेकर विदेशों में बसे रेडियो प्रेमियों को जोड़ रखा है. इनमें से बहुत से ऐसे हैं, जो परदेश में भी अपने गांव, कस्बे या शहर की मिट्टी की खुशबू उन फरमाइशी गीतों के साथ अपने नाम के ऑडियो क्लिप में महसूस करते हैं.

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें