16.1 C
Ranchi
Tuesday, February 4, 2025 | 01:19 am
16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा

Advertisement

पैदावार बढ़ाने के लिए रसायनों के बेतहाशा इस्तेमाल से खाद्य प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है, जिसके कारण कैंसर जैसी भयावह बीमारियां महामारी बनती जा रही हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि प्राकृतिक कृषि से बहुत बड़ी संख्या में लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के साथ-साथ लोगों की रक्षा भी होती है क्योंकि इस पद्धति में जानलेवा रसायनों एवं कीटनाशकों का उपयोग नहीं होता है. प्राकृतिक तरीके से खेती को बढ़ावा देने का आह्वान करते हुए उन्होंने रेखांकित किया कि यह आर्थिक सफलता का माध्यम भी है.

- Advertisement -

इस विषय पर गुजरात के सूरत में आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने ‘सूरत मॉडल’ से सीख लेने को कहा. वहां हर पंचायत से 75 किसानों को इस पद्धति से खेती करने के लिए चुना गया है. वर्तमान में 550 से अधिक पंचायतों के 40 हजार से ज्यादा किसान प्राकृतिक कृषि को अपना चुके हैं. इस पद्धति के तहत किसी तरह के रसायन का उपयोग नहीं होता है और परंपरागत तरीके से खेती की जाती है.

दो वर्ष पहले नीति आयोग की अगुवाई में भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति कार्यक्रम की शुरुआत की गयी थी. इसे केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित किया जाता है. गुजरात के अलावा इसे आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और केरल में भी कई क्षेत्रों में अपनाया गया है. अन्य कुछ राज्य भी इस प्रक्रिया में भागीदारी कर रहे हैं. यह स्थापित तथ्य है कि पैदावार बढ़ाने के लिए रसायनों के बेतहाशा इस्तेमाल से खाद्य प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है, जिसके कारण कैंसर जैसी भयावह बीमारियां महामारी बनती जा रही हैं.

व्यावसायिक फसलों का चलन बढ़ने से पानी की खपत भी बढ़ रही है. भूजल के अनियंत्रित दोहन ने जल संकट एक बड़ी समस्या बन चुका है. अत्यधिक मात्रा में कीटनाशकों, खादों और संकर बीजों तथा पानी के इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी क्षीण हो रही है. जलवायु परिवर्तन और धरती का बढ़ता तापमान भी पैदावार पर नकारात्मक असर डाल रहे हैं.

आज भले ही भारत खाद्य पदार्थों के मामले में आत्मनिर्भर हो, लेकिन अगर इन समस्याओं का समाधान नहीं निकाला जायेगा, तो भविष्य में हमारी खाद्य सुरक्षा कमजोर हो सकती है. हमारे देश की भौगोलिक विविधता के कारण देश के अलग-अलग हिस्सों में मिट्टी और मौसम की विविधता भी है. इस कारण खेती के परंपरागत तरीकों में भी विभिन्नता है.

ऐसे में परंपरागत खेती यानी प्रकृति के अनुकूल खेती से हम मिट्टी, पानी, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को संरक्षित कर सकेंगे तथा इस कार्य में हमारे कृषि अनुसंधानकर्ता और तकनीक विशेषज्ञ मददगार हो सकते हैं. इसके व्यापक प्रसार के लिए अब तक के अनुभवों को किसानों तक ले जाने की आवश्यकता है.

प्रधानमंत्री मोदी ने इस सराहनीय पहल का उल्लेख किया है कि गंगा नदी की सफाई के लिए चल रहे नमामि गंगे कार्यक्रम के साथ प्राकृतिक खेती को भी जोड़ा गया है. इसके तहत नदी के दोनों किनारे प्राकृतिक खेती के लिए पांच किलोमीटर का गलियारा बनाया जा रहा है. केंद्र और राज्य सरकारों के स्तर पर परंपरागत खेती को बढ़ावा देने के लिए अधिक सक्रियता की आवश्यकता है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें