24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

हलकान होती अदालत

Advertisement

अगर देश की सबसे बड़ी अदालत गंभीर चुनौतियों के बारे में सुनवाई नहीं कर पा रही है, तो सुधार के लिए उपाय तुरंत किये जाने चाहिए.

Audio Book

ऑडियो सुनें

इंसाफ के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटाया जाता है. सर्वोच्च न्यायालय तो देश की सबसे बड़ी अदालत है, सो वहां पहुंचनेवाले मामलों की अहमियत भी ज्यादा होती है. लेकिन न्यायाधीश डीवाइ चंद्रचूड़ ने यह कहकर चौंका दिया है कि ओछे मामलों की वजह से बड़ी संख्या में लंबित राष्ट्रीय महत्व के मामलों की सुनवाई नहीं हो पा रही है. मंगलवार को यह टिप्पणी करते हुए उन्होंने यहां तक कह दिया कि उस दिन सूचीबद्ध मामलों में 95 फीसदी बेमतलब थे. यदि सर्वोच्च न्यायालय में ऐसी स्थिति है,

- Advertisement -

तो यह बड़ी चिंता की बात है. ऐसा भी नहीं है कि ऐसी बात पहली बार हो रही है. अनेक ऐसी घटनाएं हैं, जब न्यायाधीशों को वरिष्ठ वकीलों को कहना पड़ा है कि वे अचानक से विशेष श्रेणी में ऐसे मामले सामने ला देते हैं, जिनकी आकस्मिक सुनवाई की जरूरत नहीं होती. ऐसे मामलों में जिंदगी और मौत का भी कोई सवाल नहीं होता. चर्चित लोगों से संबंधित कुछ उदाहरण भी हैं,

जब अदालत को कहना पड़ा कि आप या तो निचली अदालत जाएं या किसी अन्य अदालत में उसी मसले की सुनवाई पूरी होने का इंतजार करें. लेकिन न्यायाधीश चंद्रचूड़ का ताजा बयान अदालत की व्यवस्था पर भी टिप्पणी है. ऐसा नहीं है कि कोई भी व्यक्ति सर्वोच्च न्यायालय में याचिका डाले और उसे सुनवाई के लिए कुछ ही दिन के भीतर खंडपीठ के सामने रख दिया जाता है. याचिकाओं की अहमियत को परखने और सूचीबद्ध करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में पंजीकरण कार्यालय है.

सर्वोच्च न्यायालय के सामने अनेक ऐसे मामले हैं, जो संवैधानिक पीठ बनने का इंतजार कर रहे हैं. अदालतों के सुधार के अनेक निर्देशों पर अमल नहीं हो पा रहा है. सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के पद खाली हैं. ऐसे में अगर देश की सबसे बड़ी अदालत गंभीर चुनौतियों के बारे में सुनवाई नहीं कर पा रही है, तो सुधार के लिए उपाय तुरंत किये जाने चाहिए.

यह भी याद रखा जाना चाहिए कि भयावह महामारी के मौजूदा दौर में भी अगंभीर मसलों पर अदालतें बैठती रही हैं. न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने भी कहा है कि वे कोरोना से जुड़े मुद्दे पर सुनवाई करना चाहते थे, लेकिन उनके सामने गैर-जरूरी विषय रख दिया गया. उम्मीद है कि न्यायाधीश की यह चिंता केवल एक खीझ बनकर भुलायी नहीं जायेगी और सर्वोच्च न्यायालय अपने कामकाज और उससे जुड़ी प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने के लिए ठोस कदम उठायेगा.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें