15.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 09:57 am
15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

अमेरिका में बढ़ गया है राजनीतिक विभाजन

Advertisement

अमेरिका में ‘गन कल्चर’ पर बहुत लंबे समय से बहस चल रही है. जब कोई ऐसी घटना होती है, तो यह बहस तेज हो जाती है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति और इस बार के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप पर हुआ जानलेवा हमला बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. इस घटना की पूरी जांच होने के बाद ही हमें हमलावर के इरादों के बारे जानकारी मिल सकेगी, पर यह सुरक्षा में हुई गंभीर चूक का नतीजा तो है ही. इस घटना से यह स्पष्ट रूप से पता चलता है कि अमेरिकी समाज और राजनीति में भारी विभाजन हो चुका है. पिछले चुनाव में जब राष्ट्रपति ट्रंप हार गये थे, तो हमने देखा कि अमेरिकी कैपिटल, जो वहां की संसद है, पर भीड़ का हमला हुआ था. तब ट्रंप ने एक तरह से उनका समर्थन किया था और कैपिटल मार्च का आह्वान भी किया था. आज तक उन्होंने यह स्वीकार नहीं किया है कि 2020 का चुनाव वे हार गये थे. भले ही अमेरिका अपने को महानतम लोकतंत्र की संज्ञा दे, पर राजनीतिक सत्ता का हस्तांतरण आसान नहीं रह गया है. कैपिटल हमले के बाद भी राजनीतिक विभाजन को पाटने की कोई ठोस कोशिश नहीं की गयी. यह जगजाहिर तथ्य है कि अमेरिका के रोजमर्रा का जीवन हिंसक घटनाओं से भरा पड़ा है. आये दिन गोलीबारी की घटनाएं होती रहती हैं, कभी स्कूल में, कभी सड़क पर, तो कभी शॉपिंग मॉल में सरफिरे अंधाधुंध गोलियां चलाकर बहुत से लोगों की जान ले लेते हैं. अमेरिका में ‘गन लॉबी’ बहुत ताकतवर है और हिंसक माहौल बनाने में उसकी भी एक भूमिका है.

- Advertisement -

अमेरिका में दो पार्टियां हैं- रिपब्लिकन और डेमोक्रेट. वर्तमान राष्ट्रपति और डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रत्याशी जो बाइडेन अधिक उम्र में होने वाली समस्याओं से घिरे हैं और इसके कारण उनकी लोकप्रियता बहुत घट गयी है. उनके बरक्स ट्रंप की लोकप्रियता बढ़ी है. हालिया हमले के बाद ऐसा लगता है कि जो मध्यमार्गी मतदाता हैं, जो किसी पार्टी से संबद्ध नहीं हैं और वैसे रिपब्लिकन, जो ट्रंप को लेकर आश्वस्त नहीं थे, ये लोग अब ट्रंप को समर्थन देंगे. घटना के बाद बाइडेन ने राजनीतिक तनातनी कम करने का जो आह्वान किया है, वह स्वागतयोग्य है. किसी भी लोकतंत्र में जब राजनीतिक विमर्श हिंसक हो जाता है, तो उससे लोकतंत्र को ही नुकसान होता है, वह समाज के लिए घातक हो जाता है.

हमले के क्षण भर बाद ट्रंप ने घायल होने के बाद भी जिस प्रकार से मुट्ठी बांधकर ‘फाइट, फाइट’ की बात कही, वह चित्र अब एक प्रतीक बन गया है. उसके बाद वे रिपब्लिकन पार्टी के सम्मेलन में गये, जहां आशा के अनुरूप औपचारिक रूप से उन्हें पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया गया. वहां उन्होंने ओहायो के सीनेटर जेडी वैन्स को बतौर उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने का ऐलान किया. यहां थोड़ा भारतीय आयाम यह है कि वैन्स की पत्नी भारतीय मूल की हैं. दोनों ने येल विश्वविद्यालय में साथ पढ़ाई की है.

अमेरिकी चुनाव के मतदान में चार महीने बचे हैं. इस अवधि में राजनीतिक और सामाजिक विभाजन खत्म होने की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए. वहां बहुत अधिक राजनीतिक ध्रुवीकरण हो चुका है. वहां की राजनीतिक संस्कृति में ऐसा देखा जाता है कि जो व्यक्ति डेमोक्रेट या रिपब्लिकन होता है, वह जीवनभर अपनी पार्टी का समर्थक बना रहता है. ऐसे बहुत कम लोग अपनी पसंदीदा पार्टी को छोड़कर विरोधी पार्टी के लिए मतदान करते हैं. अगर नेता या समर्थक सार्वजनिक रूप से हिंसा की बात करेंगे, तो हिंसक घटनाओं में बढ़ोतरी होना स्वाभाविक ही है. हालांकि दोनों नेताओं ने शांति की अपील की है, पर अमेरिकी समाज बहुत अधिक सशस्त्र है. अमेरिका में लोगों को हथियार रखने का संवैधानिक अधिकार है. अधिकतर नागरिकों के पास बंदूकें हैं. कई लोगों के पास एक से अधिक हथियार हैं.

हालांकि हथियार रखने का कारण आत्म सुरक्षा को बताया जाता है, पर सिरफिरे लोग तो उसका इस्तेमाल कहीं भी कर सकते हैं. ऐसे में मुझे नहीं लगता है कि यह पूरी चुनावी प्रक्रिया शांति से संपन्न हो सकेगी. अमेरिका में ‘गन कल्चर’ पर बहुत लंबे समय से बहस चल रही है. जब कोई ऐसी घटना होती है, तो यह बहस तेज हो जाती है. अभी कांग्रेस में हथियार रखने के बारे में नियम बनाने को लेकर प्रस्ताव भी विचाराधीन है, पर इस मुद्दे पर भी बड़ा विभाजन है. अमेरिका में विभाजन और हिंसा के संबंध में विचार करते हुए यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि वहां तरह-तरह की लॉबी सक्रिय हैं तथा उनका बड़ा प्रभाव है. ‘गन लॉबी’ भी बहुत ताकतवर है. ट्रंप भी इस लॉबी के बड़े समर्थक हैं. अब देखना है कि वे आगे क्या करते हैं.

जहां तक विदेश नीति का सवाल है, तो अगर बाइडेन फिर जीतते हैं, मौजूदा नीतियां ही जारी रहेंगी. अगर ट्रंप की वापसी होती है, तो वे रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने की कोशिश जरूर करेंगे. वे अपने बयानों में कहते भी रहे हैं कि वे चौबीस घंटे में इस युद्ध को रोक देंगे. रूस का मानना है कि यह लड़ाई यूक्रेन के साथ नहीं, बल्कि अमेरिका और नाटो के साथ है. हाल में नाटो की स्थापना के 75 साल पूरे होने के मौके पर जो सम्मेलन हुआ है, उसमें यूक्रेन को मदद देते रहने की बात हुई है. भविष्य ही बतायेगा कि आगे क्या होता है. अमेरिका में इस्राइली लॉबी भी बहुत मजबूत है और ट्रंप पर भी उसका प्रभाव है. अगर ट्रंप की जीत होती है, तो इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का हौसला और बढ़ेगा. यह संभव है कि गाजा में शांति के लिए ट्रंप कोशिश करें, पर वह समझौता ऐसा होगा, जो इस्राइल के पक्ष में होगा.

अमेरिकी राजनीति के मौजूदा दौर को हमें भारतीय नजरिये से दो तरह से देखना चाहिए. एक तो यह है कि जब भी वहां रिपब्लिकन राष्ट्रपति रहे हैं, तो दोनों देशों के संबंध आम तौर पर अच्छे रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रपति ट्रंप से निकटता भी रही है. हमले के बाद जो संदेश भारतीय प्रधानमंत्री ने दिया, उसमें भी उन्होंने उन्हें ‘मेरे दोस्त’ कहकर संबोधित किया है. उनके कार्यकाल में जब प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका गये थे, टेक्सस में स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में ट्रंप भी आये थे और दोनों नेताओं ने पूरे स्टेडियम का चक्कर लगाया था. यह असाधारण घटना थी. उसमें प्रधानमंत्री मोदी ने ‘अबकी बार ट्रंप सरकार’ का नारा भी दे दिया था. आज वैश्विक मंच पर और अमेरिकी विदेश नीति में भी भारत का रणनीतिक महत्व बहुत बढ़ गया है. ऐसे में किसी भी अमेरिकी प्रशासन के लिए भारत को अनदेखा करना असंभव है, पर वे दबाव बनाने की कोशिश कर सकते हैं.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें