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गरीब कल्याण हमारा ध्येय

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आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर हमारा ध्येय है कि आदिवासी समाज को उन्नति के सुअवसर लगातार प्राप्त हों.

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वर्ष 2014 के उस ऐतिहासिक दिन देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी ने पहली बार संसद भवन में प्रवेश करते समय कहा था कि हमारी सरकार गरीबों को समर्पित है. प्रधानमंत्री मोदी की अंत्योदय योजना को साकार करने और समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक सरकार की योजनाओं और पहलों का लाभ पहुंचाना सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार मौलिक और पारदर्शी तरीके से काम कर रही है.

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केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने पिछले आठ वर्षों के दौरान जनहित और देशहित के लिए अनेक कदम उठाये हैं. यदि हम इक्कीसवीं सदी के सुनहरे भारत का सपना देखते हैं, तो जनजातीय समाज का व्यापक विकास एवं उनके जीवन-स्तर में सुधार और उनकी सांस्कृतिक धरोहर को संजोते हुए उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है. शिक्षा एक ऐसा सशक्त माध्यम है, जिसे अंगीकार कर कोई भी समाज, वर्ग और राष्ट्र सकारात्मक दिशा में अग्रसर होते हुए भविष्य की एक समृद्धशाली संकल्पना को साकार कर सकता है.

केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने पिछले आठ वर्षों के दौरान जनहित और देशहित के लिए अनेक कदम उठाये हैं. यदि हम इक्कीसवीं सदी के सुनहरे भारत का सपना देखते हैं, तो जनजातीय समाज का व्यापक विकास एवं उनके जीवन-स्तर में सुधार और उनकी सांस्कृतिक धरोहर को संजोते हुए उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है. शिक्षा एक ऐसा सशक्त माध्यम है, जिसे अंगीकार कर कोई भी समाज, वर्ग और राष्ट्र सकारात्मक दिशा में अग्रसर होते हुए भविष्य की एक समृद्धशाली संकल्पना को साकार कर सकता है.

मुझे आप सब से यह साझा करते हुए प्रसन्नता और गर्व की अनुभूति हो रही है कि केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा जनजातीय छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. इस दिशा में मंत्रालय पांच छात्रवृत्ति योजनाओं को लागू कर रहा है- प्री/पोस्ट मैट्रिक, राष्ट्रीय अध्येतावृत्ति, उच्च श्रेणी छात्रवृत्ति और राष्ट्रीय विदेशी छात्रवृत्ति. पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत छात्रों को पाठ्यक्रम की अवधि के लिए संपूर्ण शुल्क के साथ-साथ भत्ता भी प्रदान किया जाता है.

उच्च श्रेणी छात्रवृत्ति योजना के तहत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी), भारतीय प्रबंधन संस्थान (आइआइएम), अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) आदि जैसे उच्च श्रेणी के संस्थानों में प्रवेश लेने वाले एक हजार छात्रों को हर साल छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है. देश के अन्य शहरों या विदेश में जाकर पढ़ने की इच्छा रखने वाले होनहार जनजातीय विद्यार्थियों को भी सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है. इस मद के लिए जहां वर्ष 2014-15 में यह राशि 978 करोड़ रूपये थी, वहीं वर्ष 2021-22 में यह राशि 2,546 करोड़ रूपये हो गयी है. वर्तमान में विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाओं के माध्यम से 32 लाख से अधिक जनजातीय छात्र-छात्राओं को लाभ पहुंच रहा है.

देश के एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय आदिवासी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उनका सर्वांगीण विकास कर रहे हैं. माननीय प्रधानमंत्री का भी विश्वास है कि इन विद्यालयों से शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात विद्यार्थी भविष्य में एक नये भारत के निर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभायेंगे. वर्ष 2013-14 में जहां एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय का बजट परिव्यय 278.76 करोड़ रूपये था, वहीं वर्ष 2021-22 में यह अप्रत्याशित रूप से बढ़ कर 1,418 करोड़ रूपये हो गया है.

वर्ष 2013-14 तक 167 स्वीकृत विद्यालय थे, जो वर्ष 2021-22 तक बढ़ कर 679 हो गये हैं. एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय के निर्माण की लागत के लिए निर्धारित राशि वर्ष 2013-14 में 12 करोड़ रूपये और पहाड़ी/दुर्गम क्षेत्रों के लिए 16 करोड़ रूपये थी, जिसे बढ़ा कर अब क्रमशः 38 करोड़ रूपये एवं 48 करोड़ रूपये कर दिया गया है.

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय दूरस्थ और दुर्गम आदिवासी क्षेत्रों में समुदाय के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक सेवाओं का लाभ पहुंचाने के लिए स्वैच्छिक तथा गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से सरकारी प्रयासों को पूरक करने का प्रयास कर रहा है. मंत्रालय ने ऐसे संगठनों के चयन से लेकर अनुदान के उपयोग तक की प्रक्रिया को ऑनलाइन कर एक पारदर्शी प्रणाली स्थापित की है.

देश में अनुसूचित जाति के त्वरित सामाजिक एवं आर्थिक विकास के लिए जनजातीय मामलों के मंत्रालय के अलावा 40 केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों को नीति आयोग द्वारा आदिवासी विकास के लिए हर साल उनके कुल योजना आवंटन के 4.3 से 17.5 प्रतिशत की सीमा में अनुसूचित जनजाति घटक (एसटीसी) निधि के रूप में निर्धारित करने का प्रावधान किया गया है. वित्त वर्ष 2013-2014 में इस मद का कुल बजट परिव्यय 21,525.36 करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2021-22 में बढ़ कर 85,930.47 करोड़ रुपये हो गया है.

जनजातीय समाज की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत एवं उसके महत्व को संजोने का कार्य देशभर में स्थित हमारे 27 जनजातीय शोध संस्थान कर रहे हैं. ये संस्थान जनजातीय कला, संस्कृति, भाषाओं, साहित्य के संरक्षण और उनके प्रचार-प्रसार की दिशा में अहम भूमिका अदा कर रहे हैं. मेरा हमेशा से यह मानना है कि हमें आदिवासियों के विकास मार्ग को प्रशस्त करने के लिए प्रौद्योगिकी का अधिकाधिक उपयोग करना होगा. जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (टीआरआइ) द्वारा किया गया अनुसंधान आदिवासी विकास कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने का आधार बन रहे हैं.

स्वतंत्रता दिवस पर 15 अगस्त, 2016 को दिये गये अपने संभाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने वाले गुमनाम आदिवासी नायकों के योगदान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालयों की स्थापना करने की उद्घोषणा की थी, ताकि हमारी भावी पीढ़ी अपने गौरवपूर्ण अतीत से परिचित हो सके. माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार ने इस दिशा में ठोस कदम उठाये हैं.

जनजातीय कार्य मंत्रालय ने गुजरात, झारखंड, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, मणिपुर, मिजोरम और गोवा में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालयों को मंजूरी दी है. प्रधानमंत्री मोदी ने पहले ‘जनजातीय गौरव दिवस’ पर 15 नवंबर, 2021 को झारखंड में भगवान बिरसा मुंडा जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय राष्ट्र को समर्पित किया था. ‘सेवा, सुशासन एवं गरीब कल्याण’ के लिए विगत आठ वर्षों में मोदी सरकार द्वारा किये गये ये सब कार्य जहां एक ओर सरकार की उपलब्धियों को सामने रखते हैं, वहीं ये हमारी सरकार की दूरदर्शिता को भी स्पष्ट करते हैं.

निकट भविष्य में ही इन प्रयासों के और भी सुफल हमें देखने को मिलेंगे. जनजातीय समाज की देश हित में एक निश्चित भूमिका है और यह वर्ग इसे बखूबी निभा रहा है. देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. इस अवसर पर हमारा ध्येय है कि आदिवासी समाज को उन्नति तथा विकास के सुअवसर लगातार प्राप्त हों. निकट भविष्य में हमारा यह प्रयास जनजातीय समाज के लिए एक वरदान साबित होगा.

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