16.1 C
Ranchi
Tuesday, February 4, 2025 | 01:23 am
16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

नियंत्रित हों कीमतें

Advertisement

केंद्र और राज्य सरकारों ने महामारी से बचाव और आर्थिकी में सुधार के लिए अनेक प्रयास किये हैं. उसी कड़ी में उन्हें तेल की कीमतों में राहत देने के लिए भी पहल करनी चाहिए.

Audio Book

ऑडियो सुनें

देश के अनेक हिस्सों में पेट्रोल का खुदरा दाम प्रति लीटर सौ रुपये के आसपास या इससे अधिक है. ऐसा लग रहा है कि कुछ ही दिनों में पूरे देश में पेट्रोल की दर सौ रुपये प्रति लीटर के पार होगी. इसी तरह डीजल तथा रसोई गैस के भी दाम बढ़ते जा रहे हैं. कई महीनों से हमारी अर्थव्यवस्था महामारी और मुद्रास्फीति से त्रस्त है. अब जब धीरे-धीरे आर्थिक मोर्चे पर सकारात्मक रुझान दिखने लगे हैं, तो पेट्रोल और डीजल का महंगा होना हमें मुश्किल में डाल सकता है, क्योंकि मुद्रास्फीति को काबू में करना आसान नहीं होगा.

- Advertisement -

तेल की कीमतों पर अंतरराष्ट्रीय बाजार के उतार-चढ़ाव का असर होता है, जिस पर सरकार या कंपनियों का नियंत्रण नहीं है. इसके अलावा केंद्र और राज्य सरकारों के कराधान से भी दाम में बढ़ोतरी होती है. पेट्रोल की कीमत में केंद्र व राज्य सरकारों के करों का हिस्सा लगभग 61 प्रतिशत तथा डीजल में 56 फीसदी से ज्यादा है. ऐसे में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह सुझाव व्यावहारिक प्रतीत होता है कि केंद्र और राज्य सरकारें आपसी सहमति से अपने-अपने करों में कुछ कटौती करें या छूट दें ताकि ग्राहकों को कुछ राहत मिल सके. सीतारमण ने इस मसले को धर्मसंकट और चिंताजनक कहा है.

सरकारों को सबसे अधिक, एक-तिहाई से अधिक, अप्रत्यक्ष कर पेट्रोलियम उत्पादों से ही हासिल होता है. इस कर की वसूली भी आसान होती है तथा इसमें चोरी या छुपाने की गुंजाइश भी बहुत ही कम होती है. इसका एक दूसरा पहलू यह है कि हमारे कुल निर्यात में पेट्रोलियम पदार्थों का हिस्सा भी एक-तिहाई के आसपास है. हम अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए मुख्य रूप से आयात पर निर्भर हैं. यद्यपि स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने की लगातार कोशिश हो रही है, पर पेट्रोलियम पदार्थों पर निर्भरता कम करने में अभी बहुत समय लगेगा.

ऐसी स्थिति में सरकारी करों के बारे में एक ठोस समझ बनाने की कोशिश की जानी चाहिए. इसके साथ यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में गिरावट हो, तो उसका फायदा खुदरा ग्राहकों को भी मिले. इससे कीमतों के बढ़ने पर ग्राहकों को शिकायत नहीं होगी. यह मांग भी उठती रही है कि पेट्रोल, डीजल आदि उत्पादों को भी वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली (जीएसटी) के तहत लाया जाए.

वित्त मंत्री ने यह भी कहा है कि जीएसटी व्यवस्था से शायद कोई समाधान निकल सकता है, लेकिन इसके लिए भी केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहमति बनानी होगी. सीतारमण ने भी रेखांकित किया है कि किसी भी सरकार के लिए राजस्व को छोड़ना आसान नहीं है. केंद्र और राज्य सरकारों ने कोरोना महामारी से बचाव और आर्थिकी में सुधार के लिए अनेक प्रयास किये हैं. उसी कड़ी में उन्हें तेल की कीमतों में राहत देने के लिए भी पहल करनी चाहिए, ताकि महंगाई से अर्थव्यवस्था को नुकसान न हो.

Posted by: Pritish Sahay

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें