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ऑनलाइन दुर्व्यवहार गंभीर समस्या

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ऑनलाइन दुर्व्यवहार की व्यापक प्रकृति को दर्शाता है. यह बातचीत अक्सर शोषण के भयावह रूपों को जन्म देती है. भारत में भी बड़ी संख्या में बच्चे साइबर बुलिंग का शिकार होते हैं.

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प्रौद्योगिकी के तेज विस्तार से हमारे जीने, काम और संवाद करने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव आया है, पर हिंसा और शोषण के नये रूप भी सामने आये हैं. इंटरनेट आधारित हिंसा का प्रसार वैश्विक चिंता का विषय है.

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एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किये गये पहले वैश्विक आकलन से पता चला है कि दुनियाभर में 30 करोड़ से अधिक बच्चे हर वर्ष ऑनलाइन यौन शोषण का शिकार होते हैं. शोध के अनुसार, वैश्विक स्तर पर 12.6 प्रतिशत बच्चे अनचाही यौन सामग्री, गैर-सहमति वाले संचार और जबरदस्ती वीडियो चैट के शिकार हुए हैं.

यह ऑनलाइन दुर्व्यवहार की व्यापक प्रकृति को दर्शाता है. यह बातचीत अक्सर शोषण के भयावह रूपों को जन्म देती है. जैसे सेक्सटॉर्शन, जहां साइबर अपराधी पीड़ितों को फिरौती न दिये जाने पर निजी और अक्सर हेरफेर की गयी छवियों या वीडियो को जारी करने की धमकी देकर उनसे पैसे ऐंठते हैं.

भारत में भी बड़ी संख्या में बच्चे साइबर बुलिंग का शिकार होते हैं. पिछले वर्ष आयी ‘नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉयटेड चिल्ड्रन’ नामक संस्था की एक रिपोर्ट की मानें, तो 2019 के बाद से भारत में बच्चों के ऑनलाइन यौन शोषण के मामलों में 87 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि बच्चों के यौन शोषण की ऑनलाइन सामग्री में 3.2 करोड़ का इजाफा हुआ है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आपराधिक गतिविधियों में वृद्धि ने परिदृश्य को और जटिल बना दिया है. ऑनलाइन दुर्व्यवहार के 12.5 प्रतिशत मामलों में इन प्लेटफॉर्म का उपयोग लोगों को यौन गतिविधियों में शामिल होने के लिए मजबूर करने के लिए किया जाता है. बाल और युवा पीढ़ी विशेष रूप से असुरक्षित है, क्योंकि उनमें परिपक्वता और अनुभव की कमी है.

ऑनलाइन हिंसा की इस महामारी से निपटने के लिए ऑनलाइन सुरक्षा के लिए मजबूत उपायों को विकसित किया जाना चाहिए. बच्चों के लिए इंटरनेट एक्सेस डिवाइस कितनी जरूरी है, यह माता-पिता ही तय कर सकते हैं. पढ़ाई के लिए इंटरनेट का उपयोग जरूरी हो गया है, पर हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि बच्चे मोबाइल और लैपटॉप हाथ में लेकर इस सुविधा का उपयोग करते हुए ऐसी गतिविधियों का शिकार न हों.

जिस तरह इंटरनेट पर बच्चों के विरुद्ध अपराध के नये-नये तरीके हर रोज सामने आ रहे हैं, उसे देखते हुए अधिक सतर्क रहने की आवश्यक है. बच्चों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से दूर रखना भी इतना आसान नहीं है, पर उन्हें साइबर अपराध के बारे में जागरूक करने के साथ-साथ साइबर अपराध पर नजर रखने के लिए एक मजबूत तंत्र भी होना चाहिए.

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