16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

कुपोषण का हल पोषण वाटिका

Advertisement

पोषण वाटिका कृषि में रसायनों का उपयोग, फल एवं सब्जी की ऊंची कीमतें, आहार में फलों एवं सब्जियों की अपर्याप्त मात्रा, संतुलित भोजन की कमी आदि कई प्रकार की समस्याओं का निवारण है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

पद्मश्री अशोक भगत, सचिव, विकास भारती, झारखंड

- Advertisement -

vikasbharti1983@gmail.com

यूनिसेफ द्वारा जारी नयी रिपोर्ट, ‘द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रेन 2019’ के अनुसार, दुनिया में पांच वर्ष से कम उम्र का हर तीसरा बच्चा कुपोषण का शिकार है़ यानी दुनियाभर में करीब 70 करोड़ बच्चे कुपोषित है़ं इस मामले में भारत की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है़ ग्लोबल हंगर इंडेक्स की मानें तो आर्थिक बदलाव के बावजूद भारत में पोषण की स्थिति नहीं सुधरी है़ शोध के अनुसार, शिशु मृत्यु दर मामले में मध्य प्रदेश देश में शीर्ष पर है़ यूनिसेफ के आंकड़े बताते हैं कि वैश्विक रूप से 2018 में पांच वर्ष से कम आयु के 14.9 करोड़ बच्चे अविकसित पाये गये गये, जबकि लगभग पांच करोड़ बच्चे शारीरिक रूप से कमजोर थे़ वहीं अपने देश के करीब 50 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार है़ं इसका प्रभाव न केवल उनके बचपन पर पड़ रहा है बल्कि उनका भविष्य भी अंधकारमय हो रहा है़

हाल ही में पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया, आइसीएमआर और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन द्वारा भारत के सभी राज्यों में कुपोषण की स्थिति पर एक रिपोर्ट जारी की गयी है़ जिसके अनुसार 2017 में देश में कम वजन वाले बच्चों की जन्म दर 21.4 फीसदी रही़ जबकि जिन बच्चों का विकास नहीं हो रहा है, उनकी संख्या 39.3 फीसदी, जल्दी थक जाने वाले बच्चों की संख्या 15.7 फीसदी, कम वजनी बच्चों की संख्या 32.7 फीसदी, एनीमिया पीड़ित बच्चों की संख्या 59.7 फीसदी और अपनी आयु से अधिक वजनी बच्चों की संख्या 11.5 फीसदी थी़

हालांकि पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मौत के कुल मामलों में 1990 के मुकाबले 2017 में कमी आयी़ वर्ष 1990 में यह दर प्रति एक लाख पर 2,336 थी जो 2017 में घटकर 801 पर आ गयी़ लेकिन कुपोषण से होने वाली मौतों के मामले में मामूली अंतर आया़ वर्ष 1990 के 70.4 फीसदी की यह दर, 2017 में मामूली कमी के साथ 68.2 फीसदी पर रही़ यह चिंता का विषय है, क्योंकि कुपोषण का खतरा कम नहीं हुआ है़ विश्व बैंक से लेकर दुनिया की बड़ी-बड़ी आर्थिक एजेंसियां कुपोषण मिटाने में लगी हैं, लेकिन कुपोषण को बाहरी सहयोग से मिटाया जाना लगभग असंभव है़ तो क्या इसका कोई समाधान है? इसके लिए झारखंड में एक प्रयोग हो रहा है़

इस प्रयोग को पोषण वाटिका की संज्ञा दी गयी है़ यह ग्रामीण क्षेत्रों में बेहद लोकप्रिय भी हो रहा है़ पोषण वाटिका कृषि में रसायनों का उपयोग, फल एवं सब्जी की ऊंची कीमतें, आहार में फलों एवं सब्जियों की अपर्याप्त मात्रा, संतुलित भोजन की कमी आदि कई प्रकार की समस्याओं का निवारण है़ पोषण वाटिका या गृहवाटिका, उस वाटिका को कहा जाता है जो घर के अगल-बगल ऐसी जगह होती है जहां पारिवारिक श्रम से परिवार में इस्तेमाल के लिए मौसमी फल-सब्जियां उगायी जाती है़ं

झारखंड जैसे प्रदेश में जहां कृषि वर्षा आधारित है, बहुजन के लिए पूरे वर्ष सब्जियों की उपलब्धता कठिन होती है़ पोषण के स्तर पर भी झारखंड में अनेक विषमताएं है़ं इन विषमताओं का प्रमुख कारण फल एवं सब्जियों की समुचित उपलब्धता का न होना और लोगों में पोषण को लेकर जानकारी एवं जागरूकता का अभाव है़ मनुष्य जीवन के सबसे महत्वपूर्ण 1000 दिनों में (गर्भावस्था से लेकर शिशु के दो साल की उम्र तक का समय) माता एवं शिशु को समुचित पोषण की बहुत आवश्यकता होती है़

वैसे तो सही पोषण सबके लिए आवश्यक है, किंतु शून्य से दो वर्ष के बच्चों, किशोरियों, गर्भवती व दूध पिलाने वाली महिलाओं के लिए उचित पोषण का ध्यान रखा जाना अत्यंत आवश्यक है़ घरेलू स्तर पर पोषण सुनिश्चित करने के लिए पोषण वाटिका बहुत आवश्यक है़ झारखंड में विकास भारती बिशुनपुर नामक संगठन इस प्रयोग को बेहद प्रभावशाली तरीके से अंजाम दे रहा है़ इस कारण झारखंड के कई क्षेत्रों में साफ तौर पर परिवर्तन दिखने लगा है़ हाल ही में झारखंड सरकार द्वारा संचालित ग्रामीण विकास की कई योजनाओं में भी इस प्रयोग को शामिल किया गया है़

पोषण वाटिका के पौधों मे पोषक तत्व प्रबंधन के लिए घर पर ही देसी गाय के मूत्र से जीवामृत, वीजामृत एवं घन जीवामृत बनाकर पौधे उपजाये जाते है़ं पौधों में रोग न लगे इसके लिए नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र एवं अग्निस्त्र बनाकर खेतों में प्रयोग किया जा रहा है़ खेतों के इस जैविक प्रबंधन का सीधा लाभ लोगों को मिल रहा है़ इन फल व सब्जियों में पोषक तत्त्वों की मात्रा भी काफी होती है और बाहर से इन्हें खरीदना भी नहीं पड़ता़ इस प्रकार गृह वाटिका से महिलाएं अपनी व अपने परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत बना रही है़ं वाटिका से प्राप्त मौसमी फल व सब्जियों को प्रसंस्कृत कर वर्षभर प्रयोग में लाया जा सकता है़

कोरोना को लेकर देश में कोहराम मचा हुआ है़ बड़े-बड़े अर्थशास्त्री विकास के आंकड़ों को लेकर परेशान दिख रहे है़ं सरकार के माथे पर भी चिंता की लकीरें साफ दिखायी दे रही है़ं ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र ही भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है़ं केंद्र सरकार को ग्रामीण भारत के प्रबंधन को लेकर और गहराई से सोचने की जरूरत है़ वर्तमान परिस्थिति में पोषण वाटिका का कॉन्सेप्ट पूरे देश में सफल हो सकता है़ इस मॉडल को ग्रामीण भारत में प्रयुक्त किया जाना चाहिए़ सरकारी स्तर पर वाटिका के प्रचार-प्रसार से देश आर्थिक और रोजगार की समस्या से निजात पा सकता है़ पोषण वाटिका के सहारे भारत कुपोषण की समस्या से भी छुटकारा पा सकता है़ (ये लेखक के निजी विचार हैं.)

posted by : Pritish Sahay

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें