27.1 C
Ranchi
Monday, February 3, 2025 | 03:32 pm
27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

कोरोना से लड़ाई में लापरवाही नहीं

Advertisement

बचाव का उपाय करना जरूरी है, चाहे आप संक्रमित हैं या नहीं. दुनिया में जहां-जहां लापरवाही बरती गयी, वहां बड़े पैमाने पर संक्रमण फैला. अमेरिका सबसे बड़ा उदाहरण है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

डॉ नरेश त्रेहन, चेयरमैन, मेदांता मेडिसिटी

- Advertisement -

delhi@prabhatkhabar.in

कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को लेकर हमें तीन पहलुओं को समझने और उस पर ध्यान देने की आवश्यकता है. पहला, यह जनता की लड़ाई है, सरकार की नहीं. जब तक हम इसमें भागीदारी नहीं करेंगे, तब तक यह काबू में नहीं आयेगा. जनता के लिए तीन बातें कही गयी हैं- मास्क लगाना, सोशल डिस्टेंसिंग और हाथों की स्वच्छता. यदि हम सब मिलकर इस पर अमल करें, तो संक्रमण नियंत्रण में आ जायेगा. इसके अलावा इसे रोकने का दूसरा कोई उपाय नहीं है. संक्रमितों की संख्या बढ़ने का कारण संक्रमण का एक से दूसरे तक फैलना है. एक व्यक्ति के संक्रमित होने पर उससे तीन, तीन से नौ और नौ से 27 लोग संक्रमित होंगे.

दूसरा पहलू है कि सरकार क्या कर सकती है. सरकार ने लॉकडाउन किया और उससे फायदा भी हुआ. संक्रमण का चेन टूटा, सारी सुविधाएं तैयार हो गयीं, सारा सामान भारत में ही बनने लगा. मतलब लॉकडाउन जरूरी था. लेकिन, जैसे-जैसे लॉकडाउन खुल रहा है, संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है. ज्यादा जांच होने से यह भी पता चल रहा है कि संक्रमण काफी फैला हुआ है. यह समय संभल कर रहने, खुद को, परिवार, बुजुर्गों और बच्चों को बचाने का है. यदि हम सावधानी बरतते हैं, तो इससे समाज भी बचेगा और देश भी. सरकार नियम बना सकती है, संक्रमण पर नियंत्रण के लिए कुछ कदम उठा सकती है.

सुविधाएं प्रदान कर सकती है, जांच कर सकती है, आइसोलेशन कर सकती है, जो जरूरत के अनुसार हो ही रहे हैं. असल में इसे जनता को ही नियंत्रित करना है. तीसरा पहलू डॉक्टर, नर्स, टेक्नीशियंस, पुलिसकर्मी आदि हमारे फ्रंटलाइन वर्कर्स हैं, जो बखूबी अपनी भूमिका निभा रहे हैं. यही वो आर्मी है, जो सामने से कोविड-19 से लड़ाई लड़ रही है. यदि इन तीनों पहलुओं के बीच तालमेल बना रहे और तीनों अपना-अपना कर्तव्य निभायें, तो कोरोना पर विजय पायी जा सकती है. समय बीतने के साथ कुछ अच्छी बातें भी हुई हैं, जैसे अब हमें यह पता लग गया है कि संक्रमण के किस स्टेज पर कौन सी दवा देनी है, किन चीजों के जरिये संक्रमितों का उपचार करना है.

दूसरे, यह हम जान चुके हैं कि 85 प्रतिशत लोगों को हल्का संक्रमण ही होगा. दिल्ली में बीस हजार लोगों का रैपिड टेस्ट (एंटीबॉडी टेस्ट) किया गया, जिसमें 23 प्रतिशत लोगों की एंटीबॉडी पॉजिटिव निकली. इन लोगों को पता ही नहीं लगा कि इन्हें कब कोरोना हुआ. इसका मतलब संक्रमण फैला भी और लोग ठीक भी हो गये. इसका दूसरा पहलू है कि संक्रमण का पता न होने की स्थिति में इन लोगों ने औरों को भी संक्रमित किया होगा. इसलिए बचाव का उपाय करना जरूरी है, चाहे आप संक्रमित हैं या नहीं.

दुनिया में जहां-जहां लापरवाही बरती गयी, वहां बड़े पैमाने पर संक्रमण फैला. अमेरिका सबसे बड़ा उदाहरण है. संक्रमण से जिन लोगों के फेफड़ों पर ज्यादा प्रभाव पड़ा है, उन्हें लंबे समय के लिए परेशानी उठानी होगी. इसीलिए इसे गंभीरता से लें, हल्के में न लें. अनलॉक के बाद जो सिस्टम और प्रोटोकॉल बनाये गये हैं, उनका पालन जरूरी है. जैसे एयरलाइन में जाने के लिए मास्क, फेस-शील्ड और ग्लव्स पहनना जरूरी है, प्लेन में कुछ भी खाना-पीना नहीं है. बीच की सीट खाली रखना आदि. बसों के लिए भी ऐसे नियम बनाये गये हैं.

दिल्ली में संक्रमण की संख्या में कुछ कमी आनी शुरू हुई है. दूसरे, उपचार से अब 97 से 98 प्रतिशत लोग ठीक हो रहे हैं, पहले नहीं होते थे. तो, दोनों तरफ कुछ राहत मिल रही है. यदि दिल्ली में यही ट्रेंड चलता रहा तो आनेवाले चार-छह सप्ताह में इसका पीक धीरे-धीरे नीचे आ सकता है. मौजूदा हालात खतरनाक भी हैं और आशा का संकेत भी देते हैं. दिल्ली में हुए रैपिड टेस्टिंग के नतीजे संकेत देते हैं कि कम्युनिटी स्प्रेड हो गया है. देश में एक दिन में 35,000 से अधिक मामले आ रहे हैं, मतलब संक्रमण तो फैल ही रहा है. इसे आप कम्युनिटी स्प्रेड कहें या नहीं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.

जहां तक एन-95 मास्क की बात है, तो सभी को इस मास्क को पहनने की जरूरत नहीं है. इसे बार-बार स्टरलाइज करना पड़ता है. लेकिन अगर आप ऐसा नहीं करते हैं और एक ही मास्क पहने घूमते रहते हैं तो यह ठीक नहीं है. हमें सारा दिन अस्पताल में रहना होता है, इसलिए हमारे लिए यह मास्क जरूरी है. यदि सभी लोग इसे ही लगाने लगेंगे तो इसकी कमी हो जायेगी. इससे अच्छा धोनेवाला मास्क है. कपड़े का बना तीन लेयर का मास्क हर व्यक्ति के पास कम से कम तीन होना चाहिए और उसे रोज धोना और सुखाना चाहिए. एक ही मास्क रोज नहीं पहनना है.

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्रा जेनेका कंपनी ने वैक्सीन के पहले और दूसरे चरण का ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा कर एक उम्मीद जगायी है. उन्होंने 1077 वॉलंटियर पर रैंडमाइज स्टडी की है. ट्रायल के दौरान वॉलंटियर पर वैक्सीन का कोई रिएक्शन भी नहीं हुआ और उनमें एंटीबॉडीज भी पायी गयीं. इसका मतलब है कि इस वैक्सीन में काफी संभावनाएं हैं. लेकिन, किसी भी वैक्सीन का असली टेस्ट तीसरा चरण ही होता है. यह चरण अगस्त में शुरू होनेवाला है. यह मल्टीसेंटर ट्रायल होता है, जिसमें हजारों लोगों को वैक्सीन देकर उसकी प्रतिक्रिया देखी जाती है.

भारत में भी इस चरण के ट्रायल की बात कही जा रही है. इस वैक्सीन से भारत की काफी उम्मीदें जुड़ी हुई हैं, क्योंकि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्रा जेनेका कंपनी, जो इस वैक्सीन को बना रही है, उसने पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ पहले ही लाइसेंसिंग की हुई है. सीरम इंस्टीट्यूट के पास वैक्सीन को तैयार करने की बहुत क्षमता है. यदि यह वैक्सीन कामयाब होती है, तो सीरम इंस्टिट्यूट बहुत जल्द इसे बना लेगा. ऐसा होता है, तो देश के लिए उचित कीमत पर स्थानीय तौर पर बनी हुई वैक्सीन उपलब्ध होगी. एक उम्मीद जगी है, पर उसको वास्तविकता में बदलने में अभी थोड़ा समय लगेगा. इसीलिए यह वक्त कॉशस ऑप्टिमिज्म यानी सतर्कता के साथ खुशी मनाने का है.

(बातचीत पर आधारित)

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें