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विकास दर का नया अनुमान

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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की रिपोर्ट में भारत निश्चित तौर पर एक नायक की तरह नजर आता है. भारत की आर्थिक रफ्तार के जारी रहने को लेकर भी कहीं कोई संदेह नहीं प्रकट किया जाता है

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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि इस साल भारत की आर्थिक विकास दर 6.1 प्रतिशत रह सकती है. उसने अप्रैल के अनुमान में सुधार करते हुए उसमें 0.2 प्रतिशत की वृद्धि की है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष साल में दो बार सारी दुनिया के बारे में रिपोर्ट जारी करता है. यह रिपोर्ट सामान्यतः अप्रैल और अक्तूबर में आती है. जुलाई और जनवरी में वह इसमें सुधार करता है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की रिपोर्ट को वैश्विक नजरिये से देखने पर भारतीय अर्थव्यवस्था की सेहत और सकारात्मक प्रतीत होती है.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार वर्ष 2023 और 2024 में वैश्विक अर्थव्यवस्था की विकास दर घटकर तीन प्रतिशत हो सकती है. वर्ष 2022 में इसके 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था. यानी, अनुमान के अनुसार भारत इस साल दुनिया के औसत आर्थिक विकास के दोगुना से भी अधिक विकास होगा. लेकिन, दुनिया के ज्यादातर देशों में विकास घटने की वजह महंगाई है. दरअसल, कोविड महामारी के बाद से दुनिया के तमाम देशों में अचानक से कीमतें बढ़ने लगीं.

इसके हल के लिए अमेरिका, ब्रिटेन समेत ज्यादातर बड़े देशों के केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दर बढ़ाना शुरू कर दिया ताकि लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा नहीं रहे. इससे महंगाई तो काबू में आ गयी, लेकिन इसका असर आर्थिक गतिविधियों पर पड़ा. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार, वर्ष 2022 में वैश्विक महंगाई की दर 8.7 प्रतिशत थी. इस साल वह घटकर 6.8 प्रतिशत और अगले वर्ष 5.2 प्रतिशत तक हो जा सकती है. दरअसल, महंगाई नियंत्रण और आर्थिक विकास के बीच संतुलन रखना एक बड़ी चुनौती रहती है.

भारत में भी इसे महसूस किया जा सकता है. यहां भी यदि एक तरफ आर्थिक विकास बढ़ने और शेयर बाजार के रिकॉर्ड तोड़ने की खबरें आती हैं, तो दूसरी तरफ रिजर्व बैंक की यह चिंता भी सुनाई देती है कि महंगाई को रोकने की लड़ाई लंबी है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपनी रिपोर्ट में आगाह किया है कि दुनियाभर में महंगाई अभी जारी रहेगी और यूक्रेन युद्ध या चरम मौसमी घटनाओं जैसे कारणों से महंगाई में उछाल भी आ सकता है.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की रिपोर्ट में भारत निश्चित तौर पर एक नायक की तरह नजर आता है. भारत की आर्थिक रफ्तार के जारी रहने को लेकर भी कहीं कोई संदेह नहीं प्रकट किया जाता है. लेकिन, यह गति लंबे समय तक बनी रहे उसके लिए सबसे जरूरी है कि लाखों युवाओं के लिए रोजगार का सृजन किया जाए. आम लोगों के हाथ में पैसा होगा तभी वो खर्च करेंगे, और तभी आर्थिक विकास का पहिया लगातार घूमता रह सकेगा.

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