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डॉक्टरों की राष्ट्रीय पंजी

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राष्ट्रीय पंजी में चिकित्सकों से संबंधित प्रमुख सूचनाएं, जैसे- डिग्री, विश्वविद्यालय, विशेषज्ञता आदि, भी दर्ज की जायेगी.

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देश के सभी डॉक्टरों के डिजिटल पंजीकरण की योजना बन रही है. इस राष्ट्रीय पंजी में चिकित्सकों से संबंधित प्रमुख सूचनाएं, जैसे- डिग्री, विश्वविद्यालय, विशेषज्ञता आदि, भी दर्ज की जायेगी. रिपोर्टों की मानें, तो ये सूचनाएं राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की वेबसाइट पर रखी जायेंगी. पंजीकृत डॉक्टरों को एक विशेष पहचान संख्या भी मुहैया करायी जायेगी. इसके तहत उन्हें चिकित्सा आयोग के एथिक्स एंड मेडिकल रजिस्ट्रेशन बोर्ड की ओर से एक लाइसेंस भी जारी किया जायेगा, जो पांच वर्षों के लिए मान्य होगा.

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इस अवधि के पूरा होने के बाद डॉक्टर अपने राज्य की मेडिकल काउंसिल से संपर्क कर लाइसेंस का नवीनीकरण करा सकेंगे. जानकारों का मानना है कि इस पहल से सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि सरकार के पास डॉक्टरों की संख्या, विशेषज्ञता और कार्य स्थल के बारे में जानकारी होगी. इससे नीतियां और योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी. हमारे देश में डॉक्टरों की समुचित उपलब्धता नहीं है. गांवों और दूर-दराज की जगहों में स्थिति और भी खराब है. चिकित्सा का खर्च भी बहुत है.

ऐसे में नीम हकीम और नकली डॉक्टरों की भरमार हो गयी है. इन पर लगाम लगाने के लिए अब तक की गयीं कोशिशें बहुत कामयाब नहीं रही हैं. डिजिटल पंजीकरण होने से यह पता लगाने में आसानी हो जायेगी कि कौन सही मायने में डॉक्टर है और कौन डॉक्टर बनकर लोगों को ठगने में लगा हुआ है. इस नयी व्यवस्था से यह सूचना भी स्पष्ट रूप से उपलब्ध होगी कि कितने डॉक्टर किस चिकित्सा पद्धति के हैं.

साथ ही, किसी बड़े संकट और आपदा की स्थिति में चिकित्सकों की सेवाएं लेने में सुविधा हो जायेगी. आज डिजिटल तकनीक के युग में इस तरह की व्यवस्था करना सुगम भी है. उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार एक स्वास्थ्य काडर बनाने की दिशा में भी अग्रसर है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाने पर भी ध्यान दिया जा रहा है.

स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने के उद्देश्य से सरकार ने केंद्र और राज्य स्तर की स्वास्थ्य योजनाओं के लिए एक कार्ड बनाने की योजना भी लागू की है. राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के तहत एक ऐसा कार्ड भी बनाया जा रहा है, जिसमें मरीज के उपचार से जुड़ी सभी आवश्यक जानकारियां एक ही कार्ड में संग्रहित होगी.

ऐसा होने से मरीज कहीं भी इलाज हासिल कर सकेगा और उसे अपने सारे दस्तावेज ढोने की जरूरत भी नहीं होगी. इससे कहीं दूसरी जगह बैठा विशेषज्ञ डॉक्टर भी परामर्श दे सकेगा. आयुष्मान भारत योजना का भी डिजिटलीकरण किया गया है. ऐसी तमाम पहलें भविष्य के लिए तकनीक और डाटा का बड़ा आधार बनाने में मददगार साबित होंगी.

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