19.1 C
Ranchi
Tuesday, February 11, 2025 | 11:35 pm
19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

गंभीर हों सांसद

Advertisement

विधेयकों की जानकारी देने वाले सत्रों में अधिकतर सांसदों का अनुपस्थित रहना बेहद चिंताजनक है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

देश की सबसे पंचायत संसद का सबसे अहम काम है देश के विकास और जनता के हित के लिए कानून बनाना. इसी काम के लिए मतदाता जन प्रतिनिधियों को लोकसभा में भेजते हैं. सरकार द्वारा लाये गये विधेयकों के विभिन्न पहलुओं को समझने-समझाने के लिए लोकसभा सचिवालय नियमित रूप से सांसदों के लिए सत्र आयोजित करता है, जिनमें संबंधित विषय या क्षेत्र के विशेषज्ञ सांसदों के साथ विचार-विमर्श करते हैं.

लेकिन आधिकारिक आंकड़े इंगित करते हैं कि 2022-23 में आयोजित ऐसे 19 सत्रों में 778 सांसदों में से केवल 101 यानी 13 प्रतिशत सांसदों ने भागीदारी की. इन सत्रों में उपस्थित रहने वाले प्रतिनिधियों में अधिकतर पहली बार सांसद बने हैं. जो 101 सांसद बैठकों में मौजूद रहे, उनमें 72 लोकसभा से और 29 राज्यसभा से हैं. राजनीतिक संबद्धता की दृष्टि से देखें, तो उपस्थित सांसदों में 70 प्रतिशत भाजपा से, नौ प्रतिशत कांग्रेस से और पांच प्रतिशत वाइएसआर कांग्रेस से हैं.

लोकसभा सचिवालय ने इस तरह के सत्र की शुरुआत नवंबर, 2019 में की थी. तब से ऐसे 79 सत्र आयोजित किये जा चुके हैं. ऐसी बैठकें करने का विचार लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने दिया था ताकि सांसदों को विधेयकों के बारे में समुचित जानकारी हो सके और सदन में उन पर उत्कृष्ट चर्चा हो सके. सदन की बहसों में हिस्सा लेने और चर्चा के दौरान मौजूद रहने के अलावा सांसदों को विभिन्न प्रकार की समितियों की बैठकों में भी रहना होता है.

अक्सर देखा गया है कि हंगामे और शोर-शराबे के कारण जल्दी-जल्दी विधेयक पारित करना पड़ता है. दोनों सदनों के बार-बार स्थगित होने के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं. इससे कामकाज प्रभावित होता है और विधेयक लंबित रह जाते हैं. पिछला बजट सत्र साल भर में सबसे लंबा चला, लेकिन इस दौरान बजट संबंधी प्रस्तावों को छोड़ दें, तो केवल एक विधेयक ही पारित किया जा सका. बजट को भी बिना बहस के ही पारित करना पड़ा था.

इन सभी पहलुओं को मिलाकर देखें, तो एक निराशाजनक तस्वीर उभरती है. सांसदों की व्यस्तता समझी जा सकती है, लेकिन अगर वे विधेयकों को ठीक से समझेंगे ही नहीं, तो उस पर ठीक से चर्चा कैसे कर पायेंगे या कोई संशोधन कैसे प्रस्तावित कर सकेंगे? इस तरह की अनदेखी से समितियों के कामकाज की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है. यह सभी राजनीतिक दलों को सुनिश्चित करना होगा कि उनके सदस्य सदन की सभी गतिविधियों में सक्रियता से भाग लें. जो सदस्य ऐसा न करे, तो पार्टियों के सचेतकों को उसका संज्ञान लेना चाहिए. सांसदों को गंभीर होना होगा क्योंकि वे जनप्रतिनिधि हैं तथा उनका और संसद का खर्च जनता ही उठाती है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें