14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

कनाडा सरकार के रवैये का परिणाम है हिंदू मंदिरों पर हमला, पढ़ें डाॅ अमित सिंह का विशेष आलेख

Advertisement

India Canada News : भारत ने बार-बार कहा है कि इस आरोप के पक्ष में कनाडा के पास अगर सबूत हैं, तो उन्हें दिखाया जाना चाहिए. भारत ने यह भी कहा है कि निज्जर के पोस्ट-मार्टम रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाना चाहिए और भारत को भी सौंपा जाना चाहिए.

Audio Book

ऑडियो सुनें

India Canada News : कुछ समय से भारत और कनाडा के द्विपक्षीय संबंध लगातार खराब होते जा रहे हैं. हाल में एक हिंदू मंदिर और श्रद्धालुओं पर खालिस्तान समर्थक अतिवादियों का हमला भी कनाडा सरकार के आचरण का परिणाम है. पिछले साल कनाडा में एक खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या हो गयी थी. कनाडा सरकार, यहां तक कि प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, का आरोप है कि उस हत्या के षड्यंत्र में भारत शामिल है. यह आरोप लगातार दोहराया जा रहा है क्योंकि ट्रूडो सरकार खालिस्तानी तत्वों के दबाव में है. ये तत्व प्रधानमंत्री ट्रूडो के समर्थक हैं. इन तत्वों को तुष्ट करने के लिए निज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने का निराधार आरोप लगाया जा रहा है.

- Advertisement -

भारत ने बार-बार कहा है कि इस आरोप के पक्ष में कनाडा के पास अगर सबूत हैं, तो उन्हें दिखाया जाना चाहिए. भारत ने यह भी कहा है कि निज्जर के पोस्ट-मार्टम रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाना चाहिए और भारत को भी सौंपा जाना चाहिए. लेकिन इस मामले में राजनीति करने के अलावा ट्रूडो सरकार ने कुछ नहीं किया है. यह भी देखने में आया है कि कुछ समय से खालिस्तान समर्थक समूह बहुत मुखर और सक्रिय हैं.


कनाडा में सक्रिय अतिवादियों ने भारतीय राजनयिकों को भी निशाना बनाने और डराने-धमकाने की कोशिश की है. एक रैली में तो उन्होंने भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या को प्रदर्शित करते हुए झांकी निकाली थी. अनेक बार हमारे राष्ट्रीय झंडे का अपमान भी किया गया है. अब मंदिर पर हमले की निंदनीय घटना हुई है. इससे वहां तनाव का माहौल है. कनाडा की सरकार का आरोप है कि लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के जरिये भारत सरकार कनाडा में हत्या या ऐसे अपराध करा रही है, पर इसका भी कोई सबूत नहीं दिया गया है.

अब भारत के गृह मंत्री अमित शाह पर भी आरोप मढ़ा जा रहा है कि उनके इशारे पर ये सारी चीजें हो रही हैं. ट्रूडो और उनकी सरकार के ऐसे ही निराधार बयानों के कारण दोनों देशों के संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं. दोनों देशों ने अपने वरिष्ठ राजनयिकों को वापस बुला लिया है और उच्चायोगों में कोई खास काम भी नहीं हो रहा है. कनाडा में ट्रूडो का राजनीतिक समर्थन भी घटता जा रहा है. उनकी अपनी ही पार्टी के कुछ सांसद और विपक्ष के नेता उन पर आरोप लगा रहे हैं कि देश की गंभीर समस्याओं के समाधान पर ध्यान न देकर वे बेकार के मसलों में व्यस्त हैं. उनका यह भी कहना है कि जनता का ध्यान भटकाने के लिए ट्रूडो सरकार बेमतलब विवादों को हवा दे रही है. भारत के खिलाफ जो मोर्चा जस्टिन ट्रूडो ने खोला है, उसमें उन्हें खालिस्तानियों का पूरा साथ मिल रहा है.


हिंदू मंदिर और श्रद्धालुओं पर हमलों को लेकर भारत ने अपनी कड़ी नाराजगी जतायी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस घटना की भर्त्सना की है. ऐसी घटनाएं इसी कारण हो रही हैं कि खालिस्तान समर्थकों को वहां की सरकार की शह मिली हुई है. यह माना जाता था कि कनाडा एक सहनशील राष्ट्र है, लेकिन खालिस्तानी तत्वों को संरक्षण देने के कारण यह तस्वीर अब उलटी हो गयी है. भारत सरकार ने कई बार आतंकियों और अपराधियों की सूची साझा की है, जो कनाडा में हैं और वहां से भारत-विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं. लेकिन कनाडा सरकार ने कभी भी इसे गंभीरता से नहीं लिया और न ही कोई कार्रवाई की गयी. जिस प्रकार ट्रूडो सरकार ऐसे तत्वों के समर्थन में खुलकर खड़ी हुई है, उसे देखते हुए मुझे लगता है कि वह दिन दूर नहीं हैं, जब कनाडा की तुलना पाकिस्तान से करनी पड़ेगी, जो लंबे समय से आतंक को प्रश्रय देता आ रहा है.

ऐसा महसूस होता है कि आतंक को संरक्षण देने के मामले में कनाडा पाकिस्तान के साथ एक होड़ में है. इससे उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि और साख को बड़ा नुकसान हो रहा है. उल्लेखनीय है कि अमेरिका में रह रहे एक खालिस्तानी सरगना पन्नू के मामले में अमेरिका ने भारतीय एजेंसियों से सहयोग करने का निवेदन किया, तो भारत ने उस अनुरोध को स्वीकार किया. यह भारतीय कूटनीति की उपलब्धि मानी जानी चाहिए कि कुछ समय पहले अमेरिकी सरकार ने पन्नू को चेतावनी दी है कि वह अमेरिका की धरती से चलायी जा रहीं भारत विरोधी गतिविधियों को बंद कर दे.


यह सराहनीय है कि कनाडा की गैर-जिम्मेदाराना हरकतों पर भारत सरकार की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया दी जा रही है. अनर्गल और निराधार बातों के लिए अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में कोई जगह नहीं होती है. देशों के बीच जब संवाद होता है या कोई शिकायत दर्ज करायी जाती है, तो उसमें सबूतों और दस्तावेजों को आधार बनाया जाता है. ट्रूडो ने अगर अपने रवैये में सुधार नहीं किया, तो परस्पर संबंधों को तो आघात लगेगा ही, उन्हें अपने देश में भी राजनीतिक नुकसान होगा. कनाडा में जल्दी ही संसदीय चुनाव होने वाले हैं. खालिस्तानियों को तुष्ट करने के चक्कर में ट्रूडो ने बड़ी संख्या में हिंदुओं और सिखों का समर्थन खो दिया है. कनाडा की सड़कों और समाज में उपद्रव से वहां के लोगों में क्षोभ बढ़ रहा है. इसका खामियाजा ट्रूडो को भुगतना पड़ सकता है और विपक्ष सत्ता हासिल कर सकता है, जिसकी नीतियां ट्रूडो से पूरी तरह विपरीत हैं. अगर ट्रूडो सत्ता में वापसी करने में सफल हो जाते हैं, तो दोनों देशों के संबंध और खराब होंगे क्योंकि संबंध सुधारने की दिशा में कोई भी सकारात्मक पहल ट्रूडो सरकार की ओर से नहीं हुई है. इसका मतलब स्पष्ट है कि उनकी इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है.


अगर ट्रूडो सत्ता में वापस आते हैं, तो खालिस्तानी तत्वों का मनोबल बढ़ेगा. ट्रूडो को भी यही लगेगा कि उन्होंने देश की भलाई के लिए कुछ भी नहीं किया, फिर भी वे सत्ता पाने में सफल हो गये, इसलिए वे अपनी मौजूदा नीतियों को ही जारी रखेंगे. उस स्थिति में उनके ऊपर खालिस्तान समर्थक सांसदों और समूहों का दबाव भी बहुत अधिक होगा. ऐसे में भारत के लिए परेशानियां बढ़ सकती हैं, पर अधिक नुकसान कनाडा का ही होगा. सहनशील और बहु-सांस्कृतिक देश होने की उसकी छवि खराब होगी और उस पर आतंक को समर्थन देने का ठप्पा लग जायेगा. खालिस्तान समर्थक समूह अनेक प्रकार के अपराधों में लिप्त हैं. देर-सबेर कनाडा के समाज को भी उनकी करतूतों से जूझना पड़ेगा. भारत समेत विभिन्न देशों में कनाडा के प्रति जो आकर्षण रहा है, वह भी समाप्त होता जायेगा.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें