21.1 C
Ranchi
Thursday, February 6, 2025 | 02:10 am
21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

बड़े खतरे की बढ़ती आशंका

Advertisement

अर्थव्यवस्था के लिए यह एक भयावह वक्त है. पिछले पचास सालों में दुनिया ने ऐसा कोई संकट नहीं देखा, जिससे कोई बचा हुआ नहीं है. अमीर और गरीब देश इस वक्त बराबर के लाचार हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

आलोक जोशी

- Advertisement -

आर्थिक विश्लेषक

alok.222@gmail.com

अब कोई शक नहीं रह गया है कि दुनिया एक गंभीर संकट में है. संकट जितना गंभीर है, उसी हिसाब से घबराहट भी है. दुनियाभर के शेयर बाजार एक के बाद एक गोता लगाते जा रहे हैं. कुछ दिन पहले तक धैर्य रखने की सलाह देनेवाले भी अब खुद धीरज का दामन छोड़ते दिख रहे हैं. ये कहना अभी मुश्किल है कि खतरा ज्यादा बड़ा है या उससे फैली घबराहट. लेकिन एक बात तय है. हमारी याददाश्त के दौरान दुनिया ने जितने भी संकट देखे हैं, उनमें अब तक ऐसा कोई उदाहरण नहीं मिलता, जिसमें किसी बीमारी ने दुनिया के इतने बड़े हिस्से को इतने बड़े पैमाने पर प्रभावित किया हो.

कोरोना वायरस इसलिए बहुत खतरनाक है, क्योंकि इसका शिकार होनेवाले को कभी चार-पांच दिन तक और कभी चौदह दिन तक पता ही नहीं चलता कि उसे संक्रमण है. इस दौरान भी वह दूसरों तक यह वायरस पहुंचा सकता है. हजारों लोग ऐसा कर चुके हैं. यही वजह है कि चीन में जब तक इस बीमारी का असली खतरा सामने आया, उससे पहले ही चीन में और चीन से बाहर दूर-दूर तक वायरस पहुंच चुका था. दूसरी बड़ी समस्या तो यह है ही कि अभी तक इसका न तो कोई इलाज निकला है और न ही कोई टीका तैयार हो पाया है.

अपने आसपास ही देख लें. कोई हल्के से खांसने लगे, तो आपको बुखार चढ़ने लगता है. खुद का गला खराब हो, बुखार हो तो तुरंत कोरोना की आशंका होने लगती हैं. डॉक्टर के पास जाने में भी डर है कि वहां दूसरे लोगों से कहीं कुछ भेंट न मिल जाये. लोग घरों से निकलने में डर रहे हैं, बाजार सूने पड़े हैं. सरकार भी कह रही है कि बिना जरूरत घर से न निकलें. कंपनियों को कहा गया है कि जितना हो सके, उतने लोगों को वर्क फ्रॉम होम यानी घर से काम करने को कहें. मुंबई में धारा 144 लग गयी. शादी और पार्टियां तो छोड़ें, सिद्धि विनायक मंदिर तक बंद हो गया है.

एक तरफ सुपर मार्केट और डिपार्टमेंटल स्टोरों में भारी भीड़ लगी है खाने-पीने की चीजें और जरूरी सामान खरीदने के लिए, तो दूसरी तरफ करीब-करीब अन्य सारे धंधे ठप पड़े हैं. सिनेमा बंद हैं, रेस्त्रां और होटल उजाड़ पड़े हैं. मॉल, स्विमिंग पूल और जिम भी बंद हैं. मोटा अंदाजा है कि सिर्फ मुंबई के कारोबार में अभी तक करीब सोलह हजार करोड़ रुपये का झटका लग चुका है. यह एक शहर का हाल है. अब सोचें, पूरे देश का और फिर पूरी दुनिया का क्या हाल हो रहा होगा!

कहा जाता है कि मुंबई देश के कुल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में पांच फीसदी का योगदान करता है. हालांकि, इसमें सिर्फ शहर का कारोबार नहीं है. देशभर में फैली जिन कंपनियों के मुख्यालय यहां हैं, उनकी सारी कमाई भी मुंबई की कमाई में ही गिन ली जाती है. शायद इसीलिए यह आंकड़ा इतना बड़ा हो जाता है. लेकिन इसका मतलब इतना तो साफ है कि देश के कुल कारोबार को कम-से-कम तीन लाख करोड़ रुपये का झटका लगने की आशंका दिख रही है. यह आशंका सिर्फ भारत में ही नहीं है.

अमेरिका में भी हड़कंप मचा है. वहां के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने रविवार की रात ब्याज दरों में एक फीसदी कटौती का एलान किया और ब्याज दर शून्य पर पहुंचा दी. इसके बावजूद शेयर बाजार की गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है. भारत में भी शेयर बाजार थोड़ा-सा चढ़ता है, फिर उससे दोगुना फिसल जाता है. कुछ लोग तो यहां तक मांग करने लगे हैं कि सरकार को कुछ दिनों के लिए शेयर बाजार बंद कर देना चाहिए.

हालात कितने खराब हैं, यह समझने के लिए सिंगापुर के राष्ट्रीय विकास मंत्री लॉरेंस वॉन्ग का एक इंटरव्यू मददगार है. उन्होंने कहा कि सभी देश इस वक्त दोहरे संकट से जूझ रहे हैं.

एक तरफ उनके सामने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने की चुनौती है, और दूसरी तरफ लगातार आर्थिक मंदी का खतरा खड़ा होता जा रहा है. वॉन्ग का कहना है कि सबसे बड़ी परेशानी यही है कि कोरोना वायरस से मुकाबले के लिए जो भी कदम उठाये जाने हैं या उठाये जा रहे हैं, वे सभी कारोबार और व्यापार के रास्ते में स्पीड ब्रेकर की तरह हैं तथा उनकी वजह से आर्थिक गतिविधि धीमी पड़ने या ठप होने का खतरा बढ़ता जा रहा है. जैसा हाल हमें अपने आसपास के बाजारों में दिख रहा है, वही पूरी दुनिया की कहानी है.

आयात-निर्यात, विदेश यात्राओं आदि को बंद किया जा रहा है. अब कारोबार का क्या होगा, सोचिए. ऐसी हालत में, जब घबराहट बढ़ती है, तो लोग मुट्ठियां भी भींच लेते हैं और खर्च कम कर देते हैं. दूसरे शब्दों में कहें, तो अर्थव्यवस्था के लिए यह एक भयावह वक्त है. पिछले पचास सालों में दुनिया ने ऐसा कोई संकट नहीं देखा, जिससे कोई बचा हुआ नहीं है. अमीर और गरीब देश इस वक्त बराबर के लाचार हैं. उनकी पूरी कोशिश है कि जल्दी से जल्दी इस बीमारी का टीका या इलाज निकले और तब तक किसी तरह अर्थव्यवस्था को पटरी पर रखने की कोशिश की जाये.

इसीलिए सरकारें अपनी-अपनी तरफ से इंतजाम कर रही हैं कि कैसे अर्थव्यवस्था को ग्लूकोज चढ़ा कर जिंदा रखा जाये. अमेरिका में ब्याज दरें घटाने का फॉर्मूला असफल होने के बाद अब सरकार हर नागरिक के खाते में एक हजार डॉलर डालने की तैयारी में है और कुल मिला कर करीब एक ट्रिलियन यानी एक लाख करोड़ डॉलर के राहत पैकेज लाने का प्रस्ताव रख रही है.

यह हाल सिर्फ अमेरिका का नहीं है. भारत में भी सरकार और रिजर्व बैंक अनेक कदम उठा चुके हैं और संकेत हैं कि आगे भी पहलकदमी होगी. दुनिया के लगभग सभी देशों में ऐसी ही मशक्कत चल रही है. संकट गंभीर है, यह तो साफ है. मगर असली चिंता यह है कि यह अंधेरी रात कितनी लंबी होगी. जाने-माने अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अब पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर मंदी का संकट तो साफ दिख रहा है. लेकिन इससे बड़ी चिंता यह है कि यह संकट कितना गहरा होगा और कितना लंबा चलेगा, क्योंकि अभी जो दिख रहा है, इसका अगला दौर इससे कहीं ज्यादा दर्दनाक और खतरनाक होगा.

हाल में नोएडा में कुछ कंपनियों को जब दफ्तर बंद करने को कहा गया, तो उन्होंने अपने कर्मचारियों से छुट्टी की अर्जी ले ली. लेकिन जब कारोबार पर असर पड़ेगा, तो एयरलाइंस, पर्यटन, आयात और निर्यात समेत दर्जनों उद्योगों में लाखों लोगों की रोजी-रोटी ही खतरे में पड़ जायेगी. ऐसा हाल हमें न देखना पड़े, यही कामना करनी चाहिए. (ये लेखक के िनजी विचार हैं.)

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें