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कर संग्रहण में वृद्धि

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बीते वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष करों में 49 प्रतिशत तथा अप्रत्यक्ष करों में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इससे इंगित होता है कि अर्थव्यवस्था महामारी के असर से बाहर निकल रही है.

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अर्थव्यवस्था को लेकर चिंताओं के बीच यह निश्चित ही संतोषजनक है कि 2021-22 के वित्त वर्ष में 27.07 ट्रिलियन रुपये का कर संग्रहण हुआ है. यह आंकड़ा बजट अनुमान से अधिक तो है ही, वित्त वर्ष 2020-21 के संग्रहित 20.27 ट्रिलियन रुपये से 34 प्रतिशत अधिक है. पिछले साल के बजट में आकलन लगाया गया था कि 22.17 ट्रिलियन रुपये का राजस्व करों से हासिल होगा.

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आयकर और कॉरपोरेट कर से बीते साल 14.10 ट्रिलियन रुपये मिले हैं, जो बजट अनुमान से 3.02 ट्रिलियन रुपये अधिक है. कर संग्रहण की बेहतरी के कारणों में अप्रत्यक्ष करों के जमा में बढ़ोतरी, कर नियमों के पालन पर जोर तथा कोविड महामारी के साये से निकलती अर्थव्यवस्था के अधिकतर क्षेत्रों में सुधार प्रमुख हैं. बीते वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष करों में 49 प्रतिशत तथा अप्रत्यक्ष करों में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

इन आंकड़ों से स्पष्ट इंगित होता है कि अर्थव्यवस्था महामारी के असर से प्रभावी ढंग से बाहर निकल रही है. सुधार और तकनीक ने संग्रहण को आधार दिया है, लेकिन यह भी रेखांकित किया जाना चाहिए कि कोरोना काल में केंद्र सरकार ने उद्योगों और उद्यमों को राहत देने के लिए बड़े पैमाने पर पहल की थी. इसके अलावा अनेक कल्याणकारी योजनाओं को भी चलाया गया ताकि निर्धन एवं निम्न आय वर्ग को मदद मिल सके.

साथ ही, नियमन में सुधार हुए तथा कारोबार के लिए वित्त मुहैया कराने और कर्ज चुकौती को आसान बनाने की दिशा में भी सकारात्मक प्रयास हुए. इन उपायों से महामारी से पैदा हुई मंदी से उबरने में बड़ी सहायता मिली और जैसे ही पाबंदियों में छूट देने का सिलसिला चला, तो तमाम उद्योग-धंधे सक्रिय होने लगे. टीकाकरण अभियान से भी आर्थिक विकास को बल मिला.

निश्चित रूप से कोरोना महामारी पर काबू पा लिया गया है, पर इस मोर्चे पर भी आशंकाओं के बादल हैं. रूस-यूक्रेन संकट समेत विभिन्न भू-राजनीतिक कारकों की वजह से तेल के दाम बढ़ रहे हैं. घरेलू बाजार में मुद्रास्फीति के कारण मांग पर दबाव है. ये कारक आर्थिक विकास की गति को बाधित कर सकते हैं. लेकिन मौजूदा कर संग्रहण के स्तर को देखते हुए चालू वित्त वर्ष (2022-23) में अच्छा राजस्व मिलने की उम्मीद की जा सकती है.

रिजर्व बैंक के अनुसार इस वर्ष जीडीपी की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रह सकती है, जो 2021-22 में 8.9 प्रतिशत रही थी. वृद्धि दर में गिरावट के बावजूद अगर इस वर्ष कर संग्रहण बजट अनुमान में उल्लिखित 9.6 प्रतिशत की दर से भी बढ़ता है, तो राजस्व प्राप्ति बजट आकलन से कम से कम 2.1 ट्रिलियन रुपये अधिक हो सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल कुल कर राजस्व 29.8 से 30 ट्रिलियन रुपये के बीच हो सकता है. निर्यात व निवेश में बढ़त से भी यह आशा मजबूत हुई है, पर मुद्रास्फीति रोकने और मांग बढ़ाने पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए.

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