24.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 05:54 pm
24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

बढ़ता पारिवारिक ऋण

Advertisement

एक ओर परिवारों का कर्ज भार बढ़ रहा है, तो दूसरी ओर उनकी बचत लगभग पांच दशक में सबसे कम स्तर पर है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

परंपरागत तौर पर भारतीय परिवारों में अधिक बचत करने तथा कम कर्ज लेने की प्रवृत्ति रही है, पर अब यह परिदृश्य बदलता जा रहा है. पिछले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्तूबर-दिसंबर 2023) में पारिवारिक ऋण सकल घरेलू उत्पाद के 39.1 प्रतिशत के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया. यह अनुपात एक वर्ष पहले 36.7 प्रतिशत रहा था. वर्ष 2021 के जनवरी-मार्च की अवधि में पारिवारिक ऋण का अनुपात 38.6 प्रतिशत था.

- Advertisement -

इस कर्ज का 72 प्रतिशत हिस्सा गैर-आवासीय ऋण है, जो आवास के लिए हासिल किये जाने वाले कर्ज की तुलना में तेज गति से बढ़ता जा रहा है. आवास के कर्ज में वृद्धि 12.2 प्रतिशत रही, जबकि गैर-आवासीय ऋण में बढ़ोतरी 18.3 प्रतिशत हुई. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेस लिमिटेड की हालिया रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है कि कर्ज के आंकड़े इंगित कर रहे हैं कि लोग परिसंपत्तियां खरीदने की अपेक्षा उपभोक्ता वस्तुओं की खरीद या फिजूलखर्ची पर अधिक खर्च कर रहे हैं.

कुछ अन्य अध्ययनों में पाया गया है कि ऐसे लोगों की संख्या भी बढ़ रही है, जो कर्ज चुकाने के लिए अधिक ब्याज दरों पर व्यक्तिगत ऋण ले रहे हैं. उपभोग भारतीय अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण आधार है. हमारी अर्थव्यवस्था का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा उपभोग से संचालित होता है. यदि क्रय शक्ति बढ़ने या भविष्य को लेकर सकारात्मक विश्वास से उपभोग बढ़ता है, तो यह अच्छी बात है, लेकिन असुरक्षित ऋण बैंकों पर बोझ हो सकते है तथा वित्तीय प्रणाली के लिए जोखिम बन सकते हैं. भारतीय रिजर्व बैंक ने अनेक बार क्रेडिट कार्ड बकाया, पर्सनल लोन, उपभोक्ता ऋण में बड़ी उछाल को लेकर चिंता जतायी है तथा बैंकों को सचेत रहने की सलाह दी है. पिछले वर्ष अनेक चेतावनियों के बाद रिजर्व बैंक ने असुरक्षित कर्ज देना बैंकों के लिए महंगा बना दिया था.

कर्ज बढ़ने के साथ समय पर किस्त न भरने या डिफॉल्ट करने के मामले भी बढ़ रहे हैं, जो संभावित खतरे की ओर संकेत कर रहे हैं. मोतीलाल ओसवाल रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है कि दूसरी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत में पारिवारिक ऋण बहुत कम है, लेकिन परिवारों का असुरक्षित ऋण (बिना किसी गारंटी या गिरवी के) का स्तर ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसी विकसित अर्थव्यवस्थाओं के बराबर है तथा अन्य कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से अधिक है.

एक ओर परिवारों का कर्ज भार बढ़ रहा है, तो दूसरी ओर उनकी बचत लगभग पांच दशक में सबसे कम स्तर पर है. परिवार के पास मौजूद कुल पैसे और निवेश में से देनदारियों को घटाने के बाद जो राशि बचती है, उसे पारिवारिक बचत कहते हैं. कर्ज बढ़ने और बचत घटने का हिसाब स्पष्ट है. इसीलिए हमारे पुरखे चेता गये हैं- तेते पांव पसारिए, जेती लंबी सौर.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें