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ग्लोबल साउथ और भारत

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प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने अपनी विदेश नीति को धारदार बनाया है, जिसका मुख्य तत्व सभी देशों के साथ अच्छे संबंध स्थापित करना तथा अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है.

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बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेखांकित किया कि 20वीं सदी में वैश्विक अर्थव्यवस्था का संचालन विकसित देश कर रहे थे और 21वीं सदी में वैश्विक वृद्धि ग्लोबल साउथ से आयेगी. विकासशील देशों के जिस सम्मलेन को वे संबोधित कर रहे थे, उस ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट’ के लिए भारत ने 120 देशों को आमंत्रित किया था.

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प्रधानमंत्री मोदी अक्सर यह भी कहते रहे हैं कि आज के समय में विश्व को बहुध्रुवीय व्यवस्था की आवश्यकता है. पिछले सदी में और इस सदी में भी कई वर्षों तक विश्व में विकसित देशों का वर्चस्व रहा, लेकिन अब अनेक विकासशील देश आर्थिक प्रगति की राह पर हैं, जिनमें भारत एक महत्वपूर्ण देश है. आज भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. हमारी आर्थिक वृद्धि दर बहुत अधिक बनी हुई है.

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने अपनी विदेश नीति को धारदार बनाया है, जिसका मुख्य तत्व सभी देशों के साथ अच्छे संबंध स्थापित करना तथा अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है. सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के कारण विश्व समुदाय में भारत का विशिष्ट स्थान है. बीते कुछ वर्षों से भारत ने पड़ोसी देशों, अफ्रीकी देशों तथा लैटिन अमेरिका के देशों के साथ संबंधों को नये आयाम दिये हैं.

स्पष्ट विदेश नीति और पारदर्शी कूटनीति के कारण वैश्विक मंचों पर भारत की भूमिका का व्यापक विस्तार हुआ है. चाहे विश्व व्यापार संगठन हो, संयुक्त राष्ट्र हो, जलवायु सम्मेलन हों या फिर रूस-यूक्रेन युद्ध, कोरोना महामारी या खाद्य व ऊर्जा के वैश्विक संकट हों, भारत ने हमेशा ही शांति और सहयोग की पैरोकारी की है.

पर्यावरण और जैव-विविधता के हालिया सम्मेलनों में तथा विश्व व्यापार संगठन की बैठकों में विकसित देशों ने जब भी ऐसे प्रस्तावों को आगे बढ़ाया है, जिनसे विकासशील देशों की प्रगति पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है, भारत ने न केवल उनका प्रतिकार किया है, बल्कि उन्हें संशोधित करने या हटाने में कामयाबी भी पायी है.

प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में महामारी के समय विकसित देशों द्वारा टीकों की जमाखोरी का जिक्र करते हुए बताया कि भारत ने कई गरीब देशों को टीकों की खुराक भेजी. ब्रिक्स, बिम्सटेक और शंघाई सहयोग संगठन जैसे समूहों के साथ भारत नयी बहुपक्षीय विश्व व्यवस्था की स्थापना के प्रयास में अग्रणी भूमिका निभा रहा है. इस वर्ष भारत में जी-20 और शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन आयोजित हो रहे हैं. इन अवसरों से भारत का नेतृत्व और निखरेगा.

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