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खुले में शौच से मुक्ति

स्वच्छ भारत अभियान के लागू होने वाले वर्ष में भारत में 45 करोड़ आबादी खुले में शौच किया करती थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनियाभर में तब एक अरब 10 करोड़ लोग खुले में शौच करते थे, और इनमें से 59 प्रतिशत लोग भारत में थे.

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भारत में खुले में शौच खास तौर पर ग्रामीण समाज के दैनिक जीवन का एक हिस्सा रहा है. इसके कई दुष्प्रभाव होते हैं. मक्खियों के जरिये और पानी के दूषित होने से जलजनित बीमारियों के होने का खतरा होता है. महिलाओं के लिए दूसरी तरह के भी खतरे हैं. जैसे- अक्सर निर्जन स्थलों पर शौच के लिए जाती महिलाओं पर यौन हमले की खबरें आती हैं. इनके अतिरिक्त सांप-बिच्छू के काटने की भी घटनाएं होती हैं. बीमारियों की वजह से ग्रामीण लोगों की सेहत और उनका काम-धंधा तो प्रभावित होता ही है, देश के विकास पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. खुले में शौच के इन्हीं व्यापक दुष्प्रभावों को ध्यान में रखते हुए पिछले कुछ सालों से इसके निर्मूलन के लिए जोर-शोर से अभियान चलाया जा रहा है.

वर्ष 2014 में गांधी जयंती के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान का शुभारंभ किया था. इसमें वर्ष 2019 तक खुले में शौच के चलन को समाप्त करने का लक्ष्य भी रखा गया था. अभियान के तहत दो मानकों के नाम प्रमुखता से सामने आये. एक था ओडीएफ यानी ओपन डेफिकेशन फ्री और दूसरा था ओडीएफ प्लस. मोटे तौर पर किसी इलाके को ओडीएफ का दर्जा वहां खुले में शौच की प्रथा के बंद होने पर दिया जाता है. इसके साथ-साथ उस इलाके में सभी सार्वजनिक शौचालयों के कारगर रहने तथा मल-मूत्र निस्तारण की व्यवस्था होने पर ओडीएफ प्लस का दर्जा दिया जाता है. केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने जानकारी दी है कि देश के 75 प्रतिशत अर्थात लगभग चार लाख 40 हजार गांवों को ओडीएफ प्लस का दर्जा दिया जा चुका है.

उन्होंने बताया कि 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शत-प्रतिशत गांवों को यह दर्जा मिल चुका है. स्वच्छ भारत अभियान के लागू होने वाले वर्ष में भारत में 45 करोड़ आबादी खुले में शौच किया करती थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनियाभर में तब एक अरब 10 करोड़ लोग खुले में शौच करते थे, और इनमें से 59 प्रतिशत लोग भारत में थे. भारत में 75 प्रतिशत गांवों का ओडीएफ प्लस का दर्जा पाना निश्चित तौर पर एक सराहनीय प्रगति है. लेकिन, पिछले वर्ष राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के पांचवें सर्वेक्षण में यह बात भी सामने आयी थी कि देश के 25 प्रतिशत ग्रामीण परिवार अभी भी खुले में शौच करते हैं. बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में यह आंकड़ा 40 प्रतिशत तक था. भारत को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने की चुनौती आसान नहीं है और इस दिशा में लगातार प्रयास जारी रहने चाहिए.

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