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कोरोना से जंग

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वर्तमान में संक्रमितों की 80 प्रतिशत से अधिक संख्या 10 राज्यों में है, पर अनेक छोटे राज्यों में भी स्थिति संतोषजनक नहीं है.

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चिकित्सकों की कोशिश और जनमानस की जागरूकता के कारण कोरोना संक्रमण से होनेवाली मौतों की दर घट रही है तथा संक्रमणमुक्त होनेवाले लोगों की संख्या बढ़ रही है. इसके बावजूद रोजाना सामने आ रहे संक्रमण के मामलों की वजह से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है. वर्तमान में संक्रमितों की 80 प्रतिशत से अधिक संख्या 10 राज्यों- बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र, पंजाब, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और गुजरात में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ विशेष बैठक कर कहा है कि अगर ये राज्य कोविड-19 पर नियंत्रण पा लेते हैं, तो भारत इस लड़ाई में विजयी होगा. उन्होंने सरकार के प्रयासों की सफलता को भी रेखांकित किया है. अनेक राज्यों में संक्रमण के मामले अब बहुत कम हैं.

जांच, निगरानी और उपचार के उनके अब तक के अनुभवों से सीख लेने की जरूरत है. इन दस राज्यों में संक्रमितों की बड़ी संख्या ही चिंता का कारण नहीं है, बल्कि यह आशंका भी है कि व्यापक पहल न होने से इनमें बहुत अधिक वृद्धि भी हो सकती है. ये राज्य बड़ी और घनी आबादी के क्षेत्र भी हैं. पिछले सप्ताह स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी थी कि देश के केवल 50 जिलों में ही 66 प्रतिशत संक्रमण के मामले हैं. लेकिन यह भी उल्लेखनीय है कि संख्या के हिसाब से कोरोना का कहर भले ही इन राज्यों में बेहद गंभीर है, पर अनेक छोटे राज्यों में भी स्थिति संतोषजनक नहीं है.

उदाहरण के रूप में हम गोवा, त्रिपुरा, मणिपुर, नागालैंड, पुद्दुचेरी और दमन एवं दीव को ले सकते हैं. चिंता का एक कारक संक्रमण का नये इलाकों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में फैलना भी है. बीते कुछ दिनों में बड़ी संख्या में संक्रमण के जो नये मामले सामने आये हैं, उनमें से आधे गांवों और कस्बों से हैं. शहरी इलाकों में 10 अगस्त को रोजाना मौतों का अनुपात 69.7 प्रतिशत रहा, जो एक माह पहले 84.2 प्रतिशत था. लेकिन इसी अवधि में कस्बाई क्षेत्रों में यह अनुपात 10.1 से बढ़कर 18.5 प्रतिशत हो गया. कुल संक्रमण के आंकड़ों को देखें, तो गांव-कस्बों में एक-तिहाई से अधिक मामले हैं.

एक माह पहले यह आंकड़ा 20 प्रतिशत ही था. आकलनों की मानें, तो यह अनुपात इस महीने के अंत तक लगभग 50 फीसदी हो सकता है. जिन राज्यों में कोरोना का कहर ज्यादा है, वहां उपलब्ध सुविधाएं और संसाधन पहले से ही बड़े दबाव में हैं. यदि उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में भी तेजी से बढ़ते संक्रमण से जूझने की नौबत आती है, तो हालत और भी बिगड़ जायेगी. केंद्र और राज्य सरकारों के स्तर पर प्रयासों की लगातार समीक्षा हो रही है तथा जरूरत के मुताबिक कदम भी उठाये जा रहे हैं, पर अब इस प्रक्रिया को और भी तेज किया जाना चाहिए. नागरिकों को जहां निर्देशों का समुचित पालन करते रहना है, वहीं प्रशासन को मुस्तैद रहने की दरकार है.

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