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बजट से मध्यम वर्ग को उम्मीदें

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आगामी बजट में वित्त मंत्री नये टैक्स स्लैब के प्रारूप में बदलाव कर छोटे करदाताओं को नयी राहत दे सकती हैं. इससे नये टैक्स प्रारूप के प्रति करदाताओं का आकर्षण बढ़ेगा. नये कर प्रारूप की घोषणा वर्ष 2020-21 के बजट में की गयी थी, लेकिन अब तक इसके तहत लाभ लेने के लिए आयकरदाताओं का विशेष रुझान नहीं बढ़ा है.

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एक फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा पेश होने वाले आगामी वित्त वर्ष 2023-24 के बजट की ओर छोटे करदाताओं और मध्यम वर्ग के लोगों की निगाहें लगी हुई हैं. उम्मीद की जा रही है कि वे बजट के माध्यम से इस वर्ग की क्रयशक्ति बढ़ाकर मांग में वृद्धि कर अर्थव्यवस्था को गतिशील करने की रणनीति पर बढ़ती दिख सकती हैं. बीते दिनों सीतारमण ने कहा था कि मैं भी मध्यम वर्ग से ताल्लुक रखती हूं, इसलिए मैं मध्यम वर्ग के दबाव को समझ सकती हूं. चूंकि पिछले बजट में इस वर्ग को कोई बड़ी राहत नहीं मिली थी और अब महामारी के कारण दो साल की मंदी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था रिकवरी के रास्ते पर चल पड़ी है, पिछली कुछ तिमाहियों में कर संग्रह में लगातार बढ़ोतरी भी देखी गयी है. यह बजट लोकसभा चुनाव के पहले का आखिरी पूर्ण बजट है. ऐसे में इस बजट में टैक्स का बोझ कम करने के लिए प्रोत्साहन सुनिश्चित किये जा सकते हैं.

छोटे करदाताओं और मध्यम वर्ग की मुश्किलों के बीच आयकर के नये प्रारूप वाले टैक्स स्लैब के पुनः निर्धारण की आवश्यकता अनुभव की जा रही है. वर्तमान में ढाई लाख से पांच लाख रुपये तक की कुल आय पर पांच फीसदी टैक्स है, जबकि, पांच लाख से 7.5 लाख रुपये तक की कुल आय पर 10 फीसदी और 7.5 लाख से 10 लाख रुपये तक की आय पर 15 फीसदी टैक्स लागू होता है. दस लाख से 12.5 लाख रुपये की आय पर 20 फीसदी टैक्स है. साढ़े बारह लाख से 15 लाख रुपये पर 25 फीसदी और 15 लाख रुपये से ऊपर की कुल आय पर 30 फीसदी टैक्स दर लागू होती है. जो करदाता आयकर के पुराने स्लैब को अपनाये हुए है, उन्हें 2.5 लाख रुपये तक की आमदनी पर कोई आयकर नहीं लगता है. ढाई लाख से पांच लाख रुपये की आमदनी पर पांच फीसदी, 5 लाख से 10 लाख रुपये पर 20 फीसदी और 10 लाख रुपये से ज्यादा की आमदनी पर 30 फीसदी आयकर लगता है.

ऐसे में इस वर्ग के लिए टैक्स छूटों में वृद्धि करना जरूरी दिख रहा है. अभी धारा 80सी के तहत 1.50 लाख रुपये की छूट मिलती है. इसके तहत ईपीएफ, पीपीएफ, एनएससी, जीवन बीमा, बच्चों की ट्यूशन फीस और होम लोन का मूलधन भुगतान भी शामिल है. मकानों की बढ़ती हुई कीमत को देखते हुए 1.50 लाख की छूट पर्याप्त नहीं है. कोई व्यक्ति 1.50 लाख की छूट यदि होम लोन के मूलधन पर ले लेता है, तो उसके पास अन्य जरूरी निवेश पर छूट लेने का विकल्प नहीं बचता है. अतएव इस छूट की सीमा को तीन लाख रुपये करना सही होगा. इसका सबसे ज्यादा फायदा छोटी बचत योजनाओं, बीमा पॉलिसी खरीदारों, म्यूचुल फंड निवेशकों, लोनधारकों और वरिष्ठ नागरिकों को होगा. पिछली बार 2014-15 में इस सीमा को एक लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये किया गया था. इसी तरह इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80डी के तहत कर कटौती की सीमा को बढ़ाना चाहिए.

अभी इसके तहत 25 हजार रुपये तक के प्रीमियम पर टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है. इसमें पति/पत्नी, बच्चों समेत खुद की पॉलिसी पर जमा किये गये प्रीमियम शामिल होता है. अगर माता/पिता वरिष्ठ नागरिक की श्रेणी में आते हैं और उनका प्रीमियम भरते हैं तो 50 हजार रुपये तक का टैक्स छूट क्लेम कर सकते हैं. वृद्धावस्था में चिकित्सा व्यय में काफी बढ़ोतरी हुई है. बढ़ती महंगाई और उच्च स्वास्थ्य व्यय के बीच घातक महामारी के बाद वरिष्ठ नागरिकों को और राहत मिलनी चाहिए. चूंकि अभी भी देश में स्वास्थ्य बीमा अधिक चलन में नहीं है और अधिकतर लोगों के बीमे का कवर अस्पताल खर्च से निपटने के लिए भी पर्याप्त नहीं है. ऐसे में 80डी के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स छूट बढ़ाना चाहिए ताकि करदाता प्रेरित हों. स्वास्थ्य बीमे को सस्ता करना भी जरूरी है. अभी इस पर 18 फीसदी जीएसटी है.

सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) में योगदान की वार्षिक सीमा को मौजूदा 1.5 लाख से बढ़ाकर तीन लाख रुपये किया जाना चाहिए. अधिकतम अंशदान सीमा बढ़ाने की मांग के पीछे तर्क यह है कि उद्यमियों और पेशेवरों द्वारा पीपीएफ का उपयोग बचत के साधन के रूप में किया जाता है. आगामी बजट में घर खरीदने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट को बढ़ाना चाहिए और होम लोन के ब्याज रीपेमेंट पर मिलने वाले बेनिफिट की लिमिट को दो लाख से बढ़ाकर चार लाख रुपये करना उपयुक्त होगा. इससे मकानों की ब्रिकी में तेजी आने की संभावना होगी. वर्तमान में 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए मूल कर छूट की सीमा तीन लाख रुपये है, 80 वर्ष से अधिक आयु के लिए यह पांच लाख रुपये है.

ऐसे में वरिष्ठ नागरिकों के लिए बुनियादी आयकर छूट सीमा को संशोधित करना जरूरी है. वरिष्ठ नागरिकों के एक बड़े वर्ग के पास आय का कोई अन्य नियमित स्रोत नहीं है. सामान्यतया अपनी छोटी बचत और उस पर अर्जित ब्याज पर निर्भर रहते हैं. ऐसे में आगामी बजट में 60 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों के लिए मूल आयकर छूट सीमा को तीन लाख से बढ़ाकर पांच लाख रुपये तथा 80 वर्ष से अधिक के वरिष्ठ नागरिकों को कर से छूट मुक्त राशि 7.5 लाख रुपये की जानी उपयुक्त होगी.

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि आगामी बजट में वित्त मंत्री नये टैक्स स्लैब के प्रारूप में बदलाव कर छोटे करदाताओं को नयी राहत दे सकती हैं. इससे नये टैक्स प्रारूप के प्रति करदाताओं का आकर्षण बढ़ेगा. नये कर प्रारूप की घोषणा वर्ष 2020-21 के बजट में की गयी थी, लेकिन अब तक इसके तहत लाभ लेने के लिए आयकरदाताओं का विशेष रुझान नहीं बढ़ा है. आयकर मूल्यांकन वर्ष 2022-23 में करीब 7.53 करोड़ इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल हुए, इनमें से 50 लाख से कम इनकम टैक्स रिटर्न नये टैक्स प्रारूप के तहत दाखिल हुए. ऐसे में आगामी बजट में इसे आकर्षक व लाभप्रद बनाये जाने की संभावना है. उम्मीद है कि वित्त मंत्री सीतारमण वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश करते हुए छोटे करदाताओं व मध्यम वर्ग की आर्थिक मुश्किलों को ध्यान में रखते हुए इस वर्ग को संतोषप्रद राहत देंगी. इससे इस वर्ग की क्रय शक्ति बढ़ेगी, नयी मांग का निर्माण होगा और अर्थव्यवस्था गतिशील होगी.

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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