13.1 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 04:22 am
13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

एमएसपी की तय हो अनिवार्यता

Advertisement

किसानों की मांग है कि एक ऐसा कानून बन जाए, जहां एमएसपी से नीचे खरीद ही न हो़ 23 फसलों पर जब एमएसपी की घोषणा होती है, तो क्यों न 23 फसलों की खरीद भी एमएसपी पर ही हो़

Audio Book

ऑडियो सुनें

देविंदर शर्मा, कृषि अर्थशास्त्री

- Advertisement -

hunger55@gmail.com

सरकार द्वारा लाये गये तीन कृषि विधेयकों को लेकर जो हंगामा मचा है, पहले उससे जुड़ी आधारभूत बातों को जानते है़ं जब देश आजाद हुआ, उस समय हम अनाज के मामले में आत्मनिर्भर नहीं थे़ एक समय ऐसी स्थिति भी आ गयी थी कि देश की अनाज जरूरतों को पूरा करने के लिए समुद्री जहाजों से अनाज भारत में आता था़ इसके बाद 1965 में सरकार ने एक कमिटी का गठन किया, जिसका उद्देश्य किसानों को बिचौलियों के चंगुल से बचाना था़

इसके लिए एपीएमसी एक्ट बना और एपीएमसी कमिटी का गठन किया गया़ इस कमिटी के तहत विनियमित मंडियों काे बनाया जाना तय हुआ़ यह भी तय हुआ कि इन्हीं मंडियाें में किसान बिक्री के लिए अपने अनाज लेकर आयेगा़ साथ ही एग्रीकल्चर प्राइसेज कमीशन का गठन भी किया गया, जिसे किसानों के अनाज का न्यूनतम मूल्य तय करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी़ तय हुआ कि एपीएमसी मंडी में किसान अपने उत्पाद लेकर आयेगा और पहले उसके उत्पाद को प्राइवेट ट्रेड खरीदेगी़ जब प्राइवेट ट्रेड एमएसपी के तहत निर्धारित दाम नहीं देगी, तब सरकार एमएसपी के तहत उत्पाद खरीदेगी़

सरकार के ऐसा करने का उद्देश्य था कि एमएसपी से किसानों को इतनी प्रोत्साहन राशि मिल जाये, जिससे वह अगले वर्ष उसी फसल को फिर से पैदा कर सके़ क्योंकि, जब भी कटाई का मौसम आता है, तो मूल्यों में गिरावट आ जाती है़ मूल्यों के कम हो जाने के बाद किसानों के पास कोई प्राेत्साहन राशि नहीं बचती कि वह अगले वर्ष फिर से उस फसल को उगा सके़ इसके बाद अनाज उत्पादन के मामले में भारत आत्मनिर्भर हो गया़ समय के साथ देशभर में ऐसी 7,000 मंडियां बनी़ं इन्हीं 7,000 मंडियों में आज दो फसलों, गेहूं और धान की सरकारी खरीद होती है़

हालांकि, अब मध्य प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र में भी थोड़ी संख्या में ये मंडियां बनी है़ं इन मंडियों के नेटवर्क पर इतने वर्षों में पंजाब, हरियाणा में काफी निवेश हुआ है़ मंडियां बनने के साथ ही यहां इन्हें गांवों से जोड़ने के लिए सड़कें भी बनी है़ं इन मंडियों का अधिकतर नेटवर्क पंजाब और हरियाणा में है़ गेहूं और धान में पंजाब और हरियाणा को इन मंडियों से एक निश्चित राशि मिलती है़ सरकार अब जो नये प्रावधान लेकर आयी है, उसमें मंडियों के ऊपर निर्भरता कम हो जायेगी तथा बाजार को और मजबूती मिलेगी़

इसका पहला प्रावधान एक देश, एक बाजार की बात करता है, यानी आप कहीं भी बिक्री-खरीद कर सकते है़ं दूसरा, एपीएमसी मंडी के बाहर आपको कोई कर नहीं देना होगा़ जब बाजार खोल दिये गये, तो मंडी से बाहर खरीद होगी, फिर कोई भी मंडी के भीतर कर नहीं देना चाहेगा़ इससे मंडियों के रख-रखाव के लिए पैसे की कमी हो जायेगी और धीरे-धीरे वे खत्म हो जायेंगी़

दूसरा प्रावधान कहता है कि अभी गेहूं, धान, दाल, आलू, प्याज, खाद्य तेल आदि का जिस तय सीमा के भीतर भंडारण होता है, वह खत्म हो जायेगी़ एक तरह से देखें, तो यह काम भी बड़ी कंपनियां ही कर सकती हैं, छोटे किसान तो कर नहीं सकते़ तीसरे प्रावधान में अनुबंध के आधार पर खेती की बात है़ इसमें कहा गया है कि पहले से दाम तय होगा और आप पांच वर्ष का अनुबंध कर सकते है़ं यह काम भी निजी कंपनियां ही करेंगी़ कुल मिलाकर कृषि के व्यवसायीकरण का रास्ता सरकार ने खोल दिया है़

वर्ष 2014 में बनी शांता कुमार कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि देश में मात्र छह प्रतिशत किसानों को एमएसपी मिलती है और 94 प्रतिशत किसान बाजार पर निर्भर है़ं यदि बाजार इतना सक्षम होता, तो देश में कृषि संकट इतना गंभीर नहीं होता़ हाल ही में आये एक अध्ययन में कहा गया है कि 2000-2016 के बीच किसानों को पैंतालीस लाख करोड़ रुपये की हानि हुई है़ नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2011-12 और 2015-16 के बीच किसानों की वास्तविक आय में प्रति वर्ष आधे प्रतिशत से भी कम की वृद्धि हुई है़ यानी, बीते 20 वर्षों में खेती घाटे का सौदा रही और किसानों की स्थिति दयनीय बनी रही़

किसान इसीलिए रोष में हैं, पंजाब, हरियाणा में इसलिए प्रदर्शन हो रहा है क्योंकि गेहूं, धान की अधिकतर खरीद पंजाब और हरियाणा में होती है़ इन दोनों राज्यों में प्रतिवर्ष करीब अस्सी हजार करोड़ रुपये किसानों को गेहूं, धान की एमएसपी से प्राप्त होता है़ उनको डर है कि एपीएमसी मंडियां खत्म होने से धीरे-धीरे एमएसपी भी खत्म हो जायेगी, और वे बाजार के हवाले हो जायेंगे़ किसानों की मांग है कि एक ऐसा कानून बन जाए, जहां एमएसपी से नीचे खरीद ही न हो़ 23 फसलों पर जब एमएसपी की घोषणा होती है, तो क्यों न 23 के 23 फसलों की खरीद भी एमएसपी पर ही हो़

इसी तरह अनुबंध के आधार पर खेती का जो प्रावधान है, उसमें पहले जो कीमत तय होगी, वह एमएसपी से ज्यादा हो़ चौथा अध्यादेश लाकर किसानों की इन मांगों को कृषि विधेयक में शामिल करने की जरूरत है़ हमारे पास 7,000 मंडियां हैं, हमें देश में यदि पांच किलोमीटर की सीमा में किसानों को मंडियां देनी हैं, तो 42,000 मंडियों की जरूरत है़ एपीएमसी मंडियों के भीतर जो त्रुटियां आ गयी हैं, उसे दूर किया जाए तभी प्रधानमंत्री के सपने सबका साथ, सबका विकास की तरफ हम बढ़ेंगे़

(बातचीत पर आधारित)

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें