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कोरोना को रोकना है, तो बनें जागरूक

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डॉ ललित कांत

पूर्व प्रमुख, महामारी एवं संक्रामक रोग विभाग, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर)

दिल्ली में कोरोना संक्रमण की दर बहुत तेजी से बढ़ी है. पिछले कुछ दिनों में प्रतिदिन कोरोना संक्रमितों के छह हजार से भी ज्यादा मामले सामने आये हैं और प्रतिदिन सौ से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई है. वर्तमान में दिल्ली में संक्रमण की दर लगभग 12 प्रतिशत के आस-पास है, जो कि राष्ट्रीय संक्रमण दर 3.5 प्रतिशत का तीन गुना है.

दिल्ली में कोरोना मृत्यु दर भी लगभग 1.5 प्रतिशत के आसपास पहुंच गयी है. दिल्ली सरकार ने कुछ समय पहले बहुत अच्छा काम किया था, राजधानी में केस कम हो गये थे. लेकिन लोगों ने महामारी का प्रकोप कम होते ही लापरवाही बरतनी शुरू कर दी. त्योहार के मौसम में लोगों ने घरों से निकलना और एक-दूसरे से मिलना-जुलना शुरू कर दिया, जिस कारण संक्रमण तेजी से बढ़ा है. बाजारों में बढती भीड़ भी संक्रमण बढ़ने का एक प्रमुख कारण है. त्योहारों के दौरान दिल्ली के बाजारों की जो तस्वीरें वायरल हुईं, उनमें आप देख सकते हैं कि लोगों ने सामाजिक दूरी के नियमों का जरा भी पालन नहीं किया है.

बहुत से लोगों ने मास्क नहीं लगा रखा था और कई लोगों ने सही से मास्क नहीं पहन रखा था. गौर करने वाली बात यह भी है कि इस भीड़ में कई ऐसे लोग हो सकते हैं जो शायद एसिमटेमेटिक हों और जब हम भीड़-भाड़ वाले इलाकों में होते हैं, तो हमें जोर लगाकर बोलना पड़ता है और जोर लगाकर बोलते समय एक कोरोना संक्रमित व्यक्ति के मुंह से निकला वायरस लंबी दूरी तय कर सकता है और अधिक लोगों को संक्रमित कर सकता है.

हमें ग्राहकों के साथ-साथ दुकानदारों पर भी निगरानी रखने की जरुरत है, क्योंकि वे बड़ी संख्या में लोगों से मिलते हैं और उनके संक्रमित होने की संभावना अधिक रहती है. दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण भी कोरोना संक्रमण के तेजी से बढ़ने का एक प्रमुख कारण रहा है. प्रदूषण ने इस वायरस के लिए एक वाहक की भूमिका निभायी है. दिल्ली में परिवहन में दी गयी छूट के कारण भी संक्रमण में इजाफा हुआ है.

कोरोना काल में डीटीसी बसों में सिर्फ 50 यात्रियों को ही बस में चढ़ने की अनुमति थी, लेकिन नवंबर माह के शुरुआती दिनों में इस प्रतिबंध को भी समाप्त कर दिया गया. दिल्ली मेट्रो में भीड़ बढ़ने लगी है. दिल्ली में शादियों में भी पहले लोगों की संख्या सीमित थी, लेकिन बाद में कोरोना के मामले कम होने पर यह प्रतिबंध हटा दिया गया था.

लोगों को मिली कुछ राहत ने उनमें लापरवाही की भावना को जन्म दिया और यह मुख्य कारण रहा कि दिल्ली में कोरोना के मामले बढ़े हैं. यही स्थिति देश के अन्य राज्यों में देखने को मिल रही है और वहां भी कोरोना के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. दुनियाभर में जहां भी कोरोना की दूसरी लहर आयी, वहां अधिकतर देशों ने फिर से लॉकडाउन लगाया.

लॉकडाउन लगाकर कोरोना के बढ़ते मामलों पर कुछ हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है. लेकिन दिल्ली सरकार ने राज्य में लॉकडाउन लगाने से इंकार कर दिया है, क्योंकि इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचता है. हमारे देश में बड़ी संख्या में लोग दैनिक भत्ते पर काम करते हैं, उनके जीवन का हर एक दिन उनकी उस दिन की कमाई पर निर्भर करता है, लोगों के पास उतनी जमा-पूंजी नहीं है.

यदि लॉकडाउन लगाया जाता है, तो बहुत सारे लोगों के सामने भुखमरी की समस्या खड़ी हो सकती है. संक्रमण की रोकथाम के लिए कुछ नये उपाय हमारे पास नहीं हैं, हमें घर से निकलते वक्त मास्क लगाना चाहिए तथा सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना चाहिए. सरकार को कोरोना टेस्टिंग बढ़ानी चाहिए तथा संक्रमितों को आइसोलेट करना चाहिए और उनकी कांटेक्ट ट्रेसिंग भी करनी चाहिए.

दिल्ली सरकार ने मास्क न लगाने पर जुर्माना 2,000 रुपये कर दिया है, जो कि अच्छी चीज है. परंतु बहुत से गरीब लोग जो यह जुर्माना नहीं भर सकते, उनके लिए मुफ्त में मास्क उपलब्ध कराना ही एक अच्छा विकल्प हो सकता है.

लोगों को मास्क पहनने के लिए जागरूक करके ही संक्रमण में कमी लायी जा सकती है. सरकार को रेस्टोरेंट जैसे खाने-पीने की जगहों तथा बाजारों के खुलने की समय-सीमा को कम कर देना चाहिए ताकि लोग घरों से कम बाहर निकलें. प्रशासनिक तौर पर भी कुछ सुधार होने चाहिए, अभी बहुत सी जगहों पर कोरोना टेस्ट कराने के लिए तीन-तीन दिन की वेटिंग चल रही है. टेस्ट में इतना समय लगने के कारण भी मरीजों की हालत खराब हो जाती है.

ठंड बढ़ने के कारण कोरोना वायरस का प्रभाव पहले की अपेक्षा कुछ बढ़ने की संभावना है. ठंड में लोग अपने घरों में अधिक समय बिताते हैं, जिस कारण लोगों के लिए आपस में दूरी बनाना भी संभव नहीं हो सकेगा. ठंड में घरों के खिड़की-दरवाजे बंद रहने के कारण हवा का प्रवाह भी घरों में कम हो जाता है. ऐसे में यदि किसी घर में एक व्यक्ति भी कोरोना संक्रमित हो जाता है, तो उससे घर के अन्य लोगों के संक्रमित होने की संभावना ठंड में अधिक हो जायेगी. वैक्सीन के मामले में हमें कुछ अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं.

मॉडर्ना, फाइजर और एस्ट्राजेनेका इन तीन कंपनियों ने वैक्सीन के निर्माण में अच्छी बढ़त हासिल की है. लेकिन भारत के लिए ये वैक्सीन एक लंबे समय बाद ही उपलब्ध हो पायेंगी. कई देशों ने इन वैक्सीनों की बड़ी खेप की बुकिंग पहले ही कर ली है. एक बड़ी समस्या यह भी है कि ये वैक्सीनें बहुत ही कम तापमान में प्रभावी हैं. भारत के पास इन वैक्सीनों के लिए उचित संसाधन उपलब्ध नहीं हैं, भारत को इनके रख-रखाव के लिए बहुत बंदोबस्त करने पड़ेंगे, जिसके लिए काफी खर्च भी करना पड़ेगा.

posted by : sameer oraon

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