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जोर पकड़ता टीकाकरण

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यदि आबादी के बड़े हिस्से का टीकाकरण हो सकेगा, तो हम संक्रमण से भी बच सकेंगे और हमारे स्वास्थ्य तंत्र पर दबाव भी कम होगा.

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महामारी की दूसरी लहर के कमजोर पड़ने के साथ टीकाकरण अभियान में गति आने की उम्मीद है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि जून में लगभग 12 करोड़ खुराक की आपूर्ति होगी, जिसमें से 6.09 करोड़ खुराक राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को मुहैया करायी जायेगी और 5.86 करोड़ खुराक राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और निजी अस्पतालों की खरीद के लिए उपलब्ध होगी. मई में टीके की 7.94 करोड़ खुराक मुहैया करायी गयी थी.

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विभिन्न कारणों से अप्रैल और मई में टीकाकरण अभियान प्रभावित हुआ था. इसी दौरान कोरोना संक्रमण के कहर से भी देश त्रस्त रहा, जो अब उतार पर है. टीकों की कम आपूर्ति कुछ राज्यों और केंद्र सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप की वजह भी बनी थी. ऐसी स्थिति फिर न बने, इसके लिए राज्यों के आवंटन में टीका लेने के आंकड़े, आबादी और वैक्सीन की बर्बादी जैसे कारकों का ध्यान रखा जायेगा.

राज्यों को स्वास्थ्य मंत्रालय की इस सलाह पर पूरा ध्यान देना चाहिए कि खुराक ठीक से लोगों को मिले और उनकी बर्बादी कम-से-कम हो. राज्यों को समुचित योजना बनाने और उसके अनुसार तैयारी करने का समय देने के इरादे से केंद्र सरकार आवंटन की अग्रिम सूचना दे रही है. यह तथ्य है कि टीका के अलावा संक्रमण से बचाव का कोई अन्य ठोस विकल्प दुनिया के पास नहीं है. एक ओर हम महामारी की दूसरी लहर से गुजर रहे हैं, तो दूसरी ओर तीसरी लहर की आशंका भी है. यदि आबादी के बड़े हिस्से का टीकाकरण हो सकेगा, तो हम संक्रमण से भी बच सकेंगे और हमारे स्वास्थ्य तंत्र पर दबाव भी कम होगा.

इसलिए हमें टीका लेने के साथ दूसरों को इसके लिए प्रेरित भी करना चाहिए और हर एक खुराक के इस्तेमाल को सुनिश्चित करना चाहिए. टीका उत्पादक कंपनियों ने भी उत्पादन बढ़ाने का भरोसा दिलाया है. ऐसी संभावना जतायी जा रही है कि अगस्त से हर माह 20-25 करोड़ खुराक की आपूर्ति हो सकेगी. सरकार ऐसी कंपनियों के संपर्क में है, जिनके टीके अभी भारत में उपलब्ध नहीं हैं. उन कंपनियों ने भी आश्वासन दिया है कि स्वीकृति मिलते ही वे अपने टीके भारत भेजना शुरू कर देंगी. स्पुतनिक की तरह देश में ही उनके उत्पादन का विकल्प भी है.

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