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पूर्व के अनुभवों से सीख लेते हुए आगे की आशंकाओं के बारे में समय रहते आकलन कर लिया जाना चाहिए तथा उसके आधार पर हर स्तर पर ठोस तैयारी करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए.

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कोरोना वायरस से रोज संक्रमित होनेवालों की संख्या चार लाख से ऊपर बनी हुई है तथा हर दिन हजारों लोगों की मौत हो रही है. महामारी की इस दूसरी लहर के जल्दी कमजोर होने या खत्म होने की कोई सूरत फिलहाल नहीं दिखती है. बचाव के उपायों- मास्क लगाने, परस्पर दूरी रखने और भीड़भाड़ से बचने आदि- पर जोर दिया जा रहा है तथा टीकाकरण अभियान को भी गति देने के प्रयास जारी हैं, पर अस्पतालों में अभी भी अफरातफरी का आलम है.

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ऐसे में तीसरी लहर के आने की आशंका से देश की चिंताएं बढ़ गयी हैं. प्रधानमंत्री के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार डॉ केवी विजयराघवन ने कहा है कि व्यापक पैमाने पर वायरस के प्रसार को देखते हुए महामारी की तीसरी लहर का आना अवश्यंभावी है. उन्होंने इसकी कोई अनुमानित समय सीमा बताने में भी असमर्थता जतायी है. एक ओर जहां वायरस के नये-नये रूप स्वस्थ लोगों को भी चपेट में ले रहे हैं, वहीं बच्चों और पशुओं में इनके संक्रमण की खबरें भी डरावनी हैं.

वैज्ञानिक सलाहकार ने यह भी रेखांकित किया है कि पहले के संक्रमण और टीकाकरण भी रूप बदलने में वायरस की मदद कर सकते हैं. इससे स्पष्ट है कि स्थिति लगातार जटिल होती जा रही है. इस बार वायरस के अधिक घातक होने का एक कारण यह भी है कि पहले चरण में हासिल प्रतिरोधात्मक क्षमता का दायरा बहुत बड़ा नहीं था. फिर यह भी हुआ कि सरकार से लेकर आम लोगों ने पहले चरण के थमते ही सतर्कता में कमी कर दी.

अनेक जगहों से लापरवाही की खबरें अब भी आ रही हैं. वैसे तो दुनिया के अनेक देशों के पास वायरस के बारे में कम जानकारी है और शोधों का सिलसिला जारी है, लेकिन भारत में विभिन्न वैरिएंट की जीन सिक्वेंसिंग का काम बहुत धीमी गति से चल रहा है. इस काम के लिए निर्धारित दस राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं को अनुसंधान प्रक्रिया को तेज करना चाहिए.

संतोष की बात है कि मौजूदा टीके विभिन्न वैरिएंट को काबू पाने में सक्षम हैं और भविष्य में प्राप्त सूचनाओं के आधार पर उन्हें बेहतर करने का काम जारी रहेगा. डॉ विजयराघवन ने माना है कि दूसरी लहर की गंभीरता का अनुमान पहले नहीं लगाया जा सका. पूर्व के अनुभवों से सीख लेते हुए आगे की आशंकाओं के बारे में समय रहते आकलन कर लिया जाना चाहिए तथा उसके आधार पर स्वास्थ्य तंत्र से लेकर प्रशासनिक, आर्थिक एवं सामाजिक स्तर पर ठोस तैयारी पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए.

जांच और उपचार की समुचित व्यवस्था नहीं होने तथा टीकाकरण अभियान में खामियों से पैदा हो रही मुश्किलें हमारे सामने हैं. यदि ठीक से व्यवस्था नहीं होगी, तो तीसरी लहर के आने पर ऐसी ही हालत होगी. आज बहुत सारी मौतें बुनियादी मेडिकल संसाधनों की कमी की वजह से हो रही हैं. यदि दूरदर्शिता, पारदर्शिता और सोच-विचार के साथ ठोस रणनीति निर्धारित होगी, तो हम महामारी का मुकाबला कर लेंगे.

Posted By : Sameer Oraon

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