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अर्थव्यवस्था को चाहिए नई रोशनी

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भारतीय अर्थव्यवस्था में 1-2 फीसदी कमी की आशंका है. क्या उद्योग अपने आप उठने और अपने दम पर दौड़ना शुरू कर सकते हैं? नहीं. दुनिया की हर सरकार को अपने उद्योगों को सहयोग प्रदान करना होगा.

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डॉ नेहा सिन्हा, रिसर्च फेलो, इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स

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nsinha.rnc@gmail.com

हमारी दुनिया पिछले कुछ महीनों में नाटकीय रूप से बदल गयी है. कोरोना महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को अकल्पनीय नुकसान हुआ है और विश्व शांति के इस युग में मानव जीवन की अभूतपूर्व क्षति हुई है. आंकड़े न केवल चिंताजनक हैं, बल्कि जिस गति से चुनौतियां सामने आयी हैं, वह डरावनी हैं. एशियाई विकास बैंक का अनुमान है कि विश्व के आर्थिक नुकसान की कीमत 2-4 ट्रिलियन डॉलर है. कुछ अनुमानों में यह आंकड़ा अकल्पनीय रूप से 6.5 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ जाता है. अपने देश में भी आर्थिंक स्थिति को भारी नुकसान हो रहा है. संपूर्ण लॉकडाउन के दौरान भारत की 2.8 ट्रिलियन डॉलर की कुल अर्थव्यवस्था का एक चौथाई से भी कम कार्यरत है. हमें लॉकडाउन के दौरान हर दिन लगभग 32,000 करोड़ रुपये (4.5 बिलियन डॉलर) से अधिक का नुकसान की आशंका है. जिनके पास थोड़ी पैसे की बचत है और सर के ऊपर छत है, ऐसे लोग थोड़ी कठिनाइयों के साथ तूफान का सामना करने में कामयाब रहे हैं, पर चार करोड़ प्रवासी मजदूरों, जो भारत की निर्माण, कृषि और अन्य क्षेत्रों को बल प्रदान करते हैं, पर इसका प्रभाव हृदयविदारक रहा है. सभी आर्थिक क्षेत्रों को कोरोना वायरस की सुनामी ने प्रभावित किया है. कोई भी क्षेत्र इस महामारी के प्रकोप से अछूता न रह पाया. इसके बावजूद भी उद्योगों के जानकार इससे उबरने को लेकर आशान्वित हैं.

यह बात दोहरायी जा सकती है कि हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती कोविड-19 महामारी के प्रभावों से निबटना है. इस समय सर्वोच्च प्राथमिकता इसके प्रभावों को बेअसर करने का तरीका खोजना है. एक बार जब हम इस चुनौती को पार कर लेते हैं, तो अन्य सभी लड़ाइयों को संभाला जा सकता है. महामारी को धीमा करने में भारत ने अन्य देशों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है. शुरुआती असफलताओं के बावजूद हमारे निजी और सरकारी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की प्रतिक्रिया, मजबूत और कुशल रही है. परीक्षण में तेजी से वृद्धि हुई है. सैकड़ों अस्पतालों में हजारों बिस्तरों की व्यवस्था हुई है. ट्रेन के डिब्बों को आइसोलेशन वार्ड के रूप में सेवा देने के लिए तैयार किया गया है. हमारी सेना भी किसी भी अप्रिय घटना से निबटने के लिए सजग है, साथ ही ऑपरेशन नमस्ते भी चला रही है. डॉक्टरों, नर्सों, प्रशासन और सहायक कर्मचारियों ने दिखाया है कि वे ऐसी कठिन घड़ी में कुछ भी कर दिखाने में सक्षम हैं. जब तक स्वास्थ्य क्षेत्र को भरपूर आर्थिक और सामाजिक समर्थन नहीं मिलेगा, हमें इसकी असीम क्षमताओं से वंचित रहना होगा. मानव विकास का अगला चरण यह सुनिश्चित करने पर होगा कि हमारी पूरी आबादी को स्वास्थ्य सुविधाओं का भरपूर लाभ मिले और यह तभी संभव है जब इस दिशा में विवेकपूर्ण निवेश हो.

इसके बाद हमें भारतीय अर्थव्यवस्था में आशा की किरण जगानी है. पिछले कुछ वर्षों से भारत के सकल घरेलू उत्पादन दर (जीडीपी) में गिरावट आयी है और कोविड-19 महामारी ने इस समस्या को और अधिक बढ़ा दिया है. भारतीय अर्थव्यवस्था में 1-2 फीसदी कमी की आशंका है. क्या उद्योग अपने आप उठने और अपने दम पर दौड़ना शुरू कर सकते हैं? नहीं. दुनिया की हर सरकार को अपने उद्योगों को सहयोग प्रदान करना होगा. हमें भारत में एक उच्चस्तरीय वित्तीय प्रोत्साहन की आवश्यकता होगी. इसलिए सरकारों को उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना होगा, जिनसे अधिक लाभ की संभावनाएं हैं.

सौभाग्य से कृषि क्षेत्र हमारी ताकत है. हमारी जीडीपी का लगभग 14 फीसदी हिस्सा कृषि की देन है और अगले साल इसमें अधिक वृद्धि की संभावना है. लेकिन भंडारण तथा समुचित देख-रेख सुनिश्चित करने की आवश्यकता होगी. इस साल मानसून के सामान्य रहने की संभावना से इस क्षेत्र को गति बनाये रखने में मदद मिलेगी. एक बार वायरस का खतरा टलने के बाद सेवा उद्योग, जिसका जीडीपी में प्रथम योगदान है, पुनः नयी ऊचाई छूयेगा. हम कोविड-19 महामारी के प्रभाव को कम नहीं कर सकते हैं, लेकिन प्राकृतिक आपदाओं और युद्धों से होनेवाले भौतिक बुनियादी ढांचे की तबाही जैसे नुकसान से बच गये हैं. यदि श्रमिक जल्दी वापस आ जाएं और पूंजी का प्रबंध हो जाये, तो अधिकतर उद्योग पुनः शुरू हो सकते हैं.

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र, जो जीडीपी में 30 फीसदी योगदान देता है, भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख संचालकों में है. आज यह क्षेत्र लगभग ठप है. उद्यम कर्मचारियों को भुगतान करने में असमर्थ हैं और कई के पास व्यवसाय फिर से शुरू करने के लिए वित्तीय संसाधन नहीं हैं. सरकार इस क्षेत्र के लिए 20,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज पर विचार कर रही है. अन्य क्षेत्रों- पर्यटन, विमानन, ऑटोमोबाइल और रियल एस्टेट- में भी मदद की जरूरत है. ये क्षेत्र रोजगार देने और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में सक्षम हैं. यह सब सरल लग सकता है, पर इस अभूतपूर्व संकट का कोई आसान समाधान नहीं है. हमारे लिए जो सबसे महत्वपूर्ण है, वह यह है कि लोगों को सुरक्षित रूप से काम पर वापस लाया जाये. यह तभी संभव होगा, जब हम अपने नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा दे सकें. अभी आवश्यकता है समझदारी से आशापूर्वक सोचने और विवेकपूर्ण कार्य करने की.

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